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काॅरपोरेट घरानों को बैंक खोलने की सिफारिश पर उठे सवाल, गरमाने लगी राजनीति

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंतरिक काय्र समूह (आईडब्लयूजी) ने काॅरपोटेट घरानों को बैंक शुरू करने का लाइसेंस दिये जाने की जो सिफारिश की है, उस पर बैंकिंग क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों द्वारा असहमति व्यक्त किये जाने के बाद अब कांग्रेस भी सरकार पर हमलावर हो चुकी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला किया है कि सरकार ने पहले तो कुछ बड़ी कंपनियों का कर्ज माफ किया है और अब उन्हें बैंक खोलने की अनुमति भी दी जा रही है। उन्होंने सरकार की नीयत पर सवाल उठाया है कि सरकार ऐसा इसलिए कररही है ताकि लोगों कीबचत सीधे इन कंपनियों के बैंकों में चली जाए।

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के द्वारा गठित एक आंतरिक कार्य समूह (आईडब्ल्यूजी) ने कई सुझाव दिये थे। इन सुझावों में एक महत्वपूर्ण सिफारिश शामिल है कि बेंकिंग विनियमन अधिनियम में आवश्यक संशोधन करके काॅरपोरेट घरानों को बैंक शुरू करने का लाइसेंस दिया जा सकता है। साथ ही बैंक में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी मौजूदा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 26 प्रतिशत करने पर भी सिफारिश की गई। इसके अलावा समूह में बड़े औद्योगिक समूह के लिए निगरानी प्रणाली को मजबूत किये जाने का भी प्रस्ताव किया गया है।

इस पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा कि काॅरपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की मंजूरी देने की सिफारिश चैंकाने वाले है। उनका कहना है कि राजन और आचार्य ने एक साझा आलेख में यह भी कहा कि इन प्रस्ताव को अभी छोड़ देना बेहतर है। आलेख में कहा गया कि बैंकिंग का इतिहास बहुत ही भयावह रहा है। आप इसको ऐसे समझ सकते हैं कि जब बैंक प्रतिबद्ध का मालिक कर्जदार ही होगा तो ऐसे में बैंक अच्छा ऋण कैसे दे पाएगा?

यह आलेख रघुराम राजन के लिंक्डइन प्रोफाईल पर सोमवार 23 नवंबर को पोस्ट किया गया था। इस लेख में आंतरिक कार्य समूह ने बैंकिग अधिनियम 1949 में कई अहम संशोधन का सुझाव दिया है। इनका उद्देश्य बैंकिंग में काॅरपोरेट घरानों की मंजूरी देने से पहले रिजर्व बैंक की शक्तियों को बढ़ाना है। पूर्व आरबीआई गर्वनर ने कहा आरबीआई में अच्छा नियम व अच्छी निगरानी सिर्फ कानून बनाने से संभव होता तो भारत में एनपीए के समस्या नहीं होती। तकनीकी रूप से तार्किक बनाने पर केंद्रित आंतरिक समूह के कई सुझाव अपनाये जाने योग्य हैं। राजन और आचार्य ने कहा कि दुनिया के कई हिस्से की तरह भारत में बैंक को शायद ही कभी विफल होने नहीं दिया जाता है। यस बैंक और लख्मी विलास बैंक को जिस तरह बचाया गया है। यह इसका उदाहरण है। इससे जमाकर्ताओं का भरोसा बैंकों पर और बढ़ जाता है।

काॅरपोरेट घरानों को मंजूरी देना जोखिम भरा प्रस्ताव

काॅरपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने का मंजूरी देने की सिफारिश ने दुनिया भर को ध्यान खींचा है। बैंकों की वैश्विक रेटिंग संस्था एसएंडपी ग्लोबल ने इसे एक जोखिम भरा प्रस्ताव करार दिया है। एजेंसी का कहना है भारत में बढ़ी कंपनी के पिछले कुछ सालों में कर्ज लौटाने को लेकर चूक और कंपनी संचालन की व्यवस्था की कमजोरी को देखते हुए काॅरपोरेट घरानों को इन क्षेत्र में स्वामित्व देने की अनुमति पर संदेह है।

देश और दुनिया के बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञों ने सवाल और संदेह उठाये तो राजनीति भी गरमाने लगी है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा क्रोनोलाॅजी समझिए सबसे पहले, कुछ बड़ी कंपनियों के लिए कर्ज माफी, फिर कंपनियों के लिए भारी कर कटौती अब उन्हीं कंपनियों द्वारा स्थापित बैंकों में सीधे लोगों की बचत जाएगी। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर एक बार फिर से सूट-बूट की सरकार होने का आरोप लगाया।

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