देश के प्रसिद्ध समाजसेवी एवं विचारक बाबा आम्टे की पोती डॉ शीतला ने 30 नवम्बर को आत्महत्या कर ली है। लेकिन इस आत्महत्या के बाद आम्टे परिवार के भीतर से कई अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं जिसे लेकर अब विवाद सामने आने लगे हैं।
‘महारोगी सेवा समिति’
डॉ शीतला आम्टे ,मुम्बई स्थित आनंदवन के मनोरोगी सेवा संसथान की सीईओ भी थीं। कुष्ठ रोगियों का इलाज और पुनर्वास करने वाले इस मानवीय संस्थान ‘आनंदवन’ का संचालन एक गैर लाभप्रद एनजीओ ‘महारोगी सेवा समिति’ (एमएसएस) करती है।
डॉ. शीतल इसी समिति की सीईओ थीं और समिति के काम-काज को आधुनिक बनाने में जुटी थीं। लेकिन बताया जाता है कि आनंदवन और एमएसएस पर कब्जे की लड़ाई ने अंतत: उनकी जान ले ली।
कथित आंतरिक गड़बडि़यों तथा पारिवारिक कलह
डॉ. शीतल ने समिति में कथित आंतरिक गड़बडि़यों तथा पारिवारिक कलह को लेकर पिछले हफ्ते फेसबुक पर एक पोस्ट भी डाली थी, जिसके वायरल होते ही पूरे आनंदवन और आमटे परिवार में हड़कंप मच गया था।
शीतल ने काम के तनाव और डिप्रेशन के चलते ऐसा किया?
डॉ. शीतल ने परिवार के दबाव में दो घंटे बाद ही उसे हटा दिया था। तब परिजनों ने कहा था कि शीतल ने काम के तनाव और डिप्रेशन के चलते ऐसा किया। लेकिन उसके एक हफ्ते में ही शीतल ने डॉक्टर, एक पत्नी और एक बेटे की मां होने के बावजूद स्वयं को विष का इंजेक्शन लगाकर जान दी तो रहस्य और गहरा गया।
सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर एक समाजसेवी को आत्महत्या की राह क्यों पकड़नी पड़ी? समाज सेवी भी ऐसी कि वो डॉक्टर भी थी ?
लोग मान रहे हैं कि यकीनन इसके पीछे कुछ गहरे राज और आंतरिक विवाद हैं, जिन्हें सामने आना चाहिए। क्योंकि ‘आनंदवन’ अपने आप में ऐसी अनूठी संस्था है, जो सात दशकों से कुष्ठ रोगियों की अंधेरी दुनिया में आत्मनिर्भरता की रोशनी बिखेरती आ रही है।