[gtranslate]
पहले भी जम्मू-कश्मीर के नेताओं व पीएम मोदी समेत बीजेपी राजनेताओं के बीच अनुच्छेदों 370 और 35 A को लेकर लगातार बहस होती रही है और अब एक बार फिर आर्टिकल 35 A पर सवाल उठने लगे है।
अनुच्छेद 35 A, संविधान में जुड़ा हुआ वह प्रावधान है, जो जम्मू और कश्मीर की सरकार को यह अधिकार प्रदान करता है, कि वह यह तय करने के लिए स्वतन्त्र है, कि जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी कौन है, किस व्यक्ति को सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में विशेष आरक्षण दिया जायेगा, कौन जम्मू और कश्मीर में संपत्ति खरीद सकता है, किन लोगों को जम्मू और कश्मीर की विधानसभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार होगा, छात्रवृत्ति, अन्य सार्वजनिक सहायता और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का लाभ कौन प्राप्त कर सकता है। अनुच्छेद 35 A, के अंतर्गत यह भी प्रावधान है, कि यदि जम्मू और कश्मीर की राज्य सरकार किसी कानून को अपने हिसाब से बदलती है, तो उसे भारत की किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। अनुच्छेद 35 A, जम्मू और कश्मीर को एक विशेष राज्य के रूप में अधिकार देता है। इसके तहत दिए गए अधिकार जम्मू और कश्मीर में रहने वाले ‘स्थाई निवासियों’ से जुड़े हुए हैं। इसका मतलब है, कि जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार को ये अधिकार है, कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए हुए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू और कश्मीर में रहने के लिए पनाह दे सकते हैं, और मना भी कर सकते हैं।
दरअसल, जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार ने 10 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की है। खबरों के अनुसार इन 100 कंपनियों में सीआरपीएफ की 50, बीएसएप-10, एसएसबी-30 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां हैं। हर एक कंपनी में 90 से 100 जवान मौजूद रहते हैं यानी कि प्रदेश में करीब 10 हजार अतिरिक्त जवान की तैनाती होगी। सरकार का फैसला ऐसे समय में आया,जब कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जम्मू-कश्मीर के दो दिन के दौरे से लौटे हैं। सूत्रों के अनुसार अपने दौरे के दौरान अजीत डोभाल ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कानून व्यवस्था को लेकर बैठक की थी। केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आनी तेज हो गई है।
 कभी भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री रहीं महबूबा मुफ्ती ने केंद्र के सुरक्षाबलों की अतिरिक्त तैनाती को लेकर मोदी सरकार को निशाने पर लिया है। महबूबा द्वारा  ट्वीट कर कहा गया  कि घाटी में 10 हजार सैनिकों को तैनात करने के केंद्र के फैसले ने लोगों में भय पैदा कर दिया है। कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है। जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है जो सैन्य साधनों से हल नहीं होगी। केंद्र सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार और सुधार करने की आवश्यकता है। वहीं दूसरी तरफ नौकरशाही छोड़कर राजनीति में आये और जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) का गठन करने वाले शाह फैसल द्वारा भी सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया दी गयी  है। फैसल द्वारा  ट्विटर पर लिखा गया  कि घाटी में अचानक सुरक्षा बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती के गृह मंत्रालय के फैसले से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। कोई नहीं जानता कि यह तैनाती क्यों की जा रही है। ऐसी अफवाहें हैं कि घाटी में कुछ भयानक घटित हो सकता है।
 अचानक इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती ने सूबे की राजनीतिक पार्टियों को चौकन्ना कर दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि जम्मू कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले अनुछेद 35ए को लेकर  सरकार कोई बड़ा फैसला लेने की तैयारी में हैं। जिसका जिक्र गृह मंत्री अमित शाह अक्सर हर मंच से करते आए हैं। यहां तक की भाजपा ने अपने घोषणापत्र में भी धारा 370 और 35ए को हटाने की बात का जिक्र किया हुआ है। गौरतलब है कि अमित शाह कुछ अलग तरह के गृह मंत्री हैं और पारंपरिक राजनीति में विश्वास नहीं रखते हैं। जम्मू कश्मीर की समस्या पर वर्तमान सरकार के नजरिए को स्पष्टता से रखते हुए अमित शाह ने सदन में भी साफ कर दिया था कि एकता अखंड और संप्रुभता के सूत्र में भारत को बांधना है और इसमें धारा 370 सबसे बड़ी अड़चन है। अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर को टॉप एजेंडे में रखा है। दो दिनों के अपने दौरे से लौटने के बाद भी गृह मंत्री अमित शाह ने धारा 370 को एक अस्थाई व्यवस्था करार दिया था।
किसी भी हंगामे से बचते हुए जम्मू-कश्मीर में 35ए को समाप्त करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा एक प्रभावशाली कार्ययोजना तैयार करने के लिए संबंधित अधिकारियों की एक बैठक 15 अगस्त के बाद बुलाई  गयी है। खबर यह भी है कि गृह मंत्रालय द्वारा  इस मुद्दे पर संविधान विशेषज्ञों और कानून विशषज्ञो  को एक रोडमैप तैयार करने के लिए कहा  गया है। इससे पहले भी भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना द्वारा  एक बयान में कहा गया  था कि यह केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है कि वह अनुच्छेद 35ए पर कोई भी फैसला ले सकती है। भाजपा का इस मुद्दे पर स्टैंड स्पष्ट है। हम इसे समाप्त करने के पक्षधर हैं और इस दिशा में जो उचित होगा, कदम उठाया जा रहा है और उठाया जाएगा। बहरहाल, जो भी हो लेकिन कश्मीर में अतिरिक्त जवानों की तैनाती और 35ए समाप्त करने की लगाई जा रही अटकलों ने सूबे का सियासी पारा जरूर बढ़ा दिया। ऐसे में सरकार कश्मीर को लेकर क्या फैसला लेती है यह वक्त आने पर ही ज्ञात हो पायेगा।

You may also like

MERA DDDD DDD DD