जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने 13 दिसंबर को सीएए के विरोध में प्रदर्शन किया था जिसके बाद 15 दिसंबर को जामिया परिसर में हिंसा हुई थी। पुलिस ने कैंपस में लाठीचार्ज किया गया था, साथ ही लाइब्रेरी में भी आंसू गैस के गोले दागे थे और वहां पढ़ रहे छात्रों पर लाठीचार्ज किया था। इस घटना में कई छात्र घायल हो गए थे। हालांकि, पुलिस की ओर से लाइब्रेरी में घुसने और लाठीचार्ज करने वाली बात का खंडन किया गया था। लेकिन 16 फरवरी को एक वीडियो सामने आया है जिसमें पुलिस लाइब्रेरी के अंदर नजर आ रही है और छात्रों पर लाठियां भांज रही है।
What happened in #Jamia on December 15? India Today accesses the #exclusive video. @arvindojha’s report.
LIVE https://t.co/4fqxBVUizL pic.twitter.com/qrsTsFuDw3— IndiaToday (@IndiaToday) February 16, 2020
उसी शाम दिल्ली पुलिस की ओर से भी एक और वीडियो जारी किया गया जिसमें उनकी तरफ से दावा किया गया ‘दंगाई’ लाइब्रेरी में घुसे थे इस लिए लाठीचार्च किया गया। इस वीडियो में कई छात्र लाइब्रेरी में घुसकर दरवाजे के आगे फर्नीचर लगाकर उसे ब्लॉक करते नजर आ रहे थे। वीडियो में दिख रहे केवल एक व्यक्ति ने मास्क पहन रखा है। वहीं एक व्यक्ति के हाथ में कोई चीज नजर आती है, जिसे पुलिस की ओर से पत्थर बताया जा रहा है। हालांकि, वह पत्थर नहीं है।
बीते रविवार 16 फरवरी को इंडिया टुडे द्वारा इसी वीडियो की फुटेज को ‘एक्सक्लूसिव’ बताते हुए चलाया गया था। इंडिया टुडे को यह फुटेज दिल्ली पुलिस की विशेष जांच दल की ओर से दिया गया था। चैनल ने इस वीडियो को ‘प्रमाणिक’ कहकर चलाया। साथ ही दावा किया गया कि छात्र पत्थर लेकर लाइब्रेरी में अंदर आए थे।
इंडिया टुडे के अलावा कुछ अन्य चैनलों ने भी इसी दावे के साथ फुटेज को प्रसारित किया। इनमें अंग्रेजी मीडिया में टाइम्स ऑफ इंडिया, मिरर नॉउ, रिपब्लिक भारत, टाइम्स नॉउ, द क्विंट और डीएनए शामिल हैं। वहीं दूसरी तरफ हिंदी चैनलों में जी न्यूज, आज तक, इंडिया टीवी, एनडीटीवी इंडिया और न्यूज नेशन ने भी इस वीडियो को इसी तरह प्रसारित किया। ऑपइंडिया और स्वराज्य वेबसाइट्स ने भी इस फुटेज पर ऐसी ही खबरें चलाई। इन सभी चैनलों की ओर से दावा किया गया कि वीडियो में दिख रहे छात्र अपने दोनों हाथों में पत्थर लिए हुए था।
इस पूरे प्रकरण के वीडियो का ऑल्ट न्यूज़ ने एक फैक्ट चेक किया है। फैक्ट चेक लिए ऑल्ट न्यूज ने स्रोतों से प्राप्त एक उच्च रिजॉल्यूशन वीडियो का इस्तेमाल किया है। ऑल्ट न्यूज़ का दावा है कि उसने वीडियो को धीमा कर दिया और इसे फ्रेम-दर-फ्रेम देखा। इस तरह से ऑल्ट न्यूज ने पाया कि छात्र ने पत्थर नहीं, बल्कि अपने एक हाथ में पर्स लिए हुए था और दूसरे हाथ में कोई सपाट-सी वस्तु थी। पूरे वीडियो में एक छात्र अपने दाहिने हाथ में एक पर्स और अपने बाएं हाथ में एक सपाट सामान (संभवतः एक फोन) के साथ कमरे के अंदर एंट्री करता है। फिर लगभग 10 सेकंड तक वह व्यक्ति फ्रेम में नजर नहीं आता है।
बीते रविवार 16 फरवरी को इंडिया टुडे की ओर से इसी वीडियो की फुटेज को ‘एक्सक्लूसिव’ बताते हुए चलाया गया था। इंडिया टुडे को यह फुटेज दिल्ली पुलिस की विशेष जांच दल द्वारा दिया गया था, चैनल ने इस वीडियो को ‘प्रमाणिक’ कहकर चलाया। साथ भी दावा किया गया कि छात्र पत्थर लेकर लाइब्रेरी की रीडिंग रूम में अंदर आए थे। लेकिन फिर दोबारा करीब 17 सेकंड में वापस नजर आता है। इस बार उसक दाहिने हाथ खाली होता है।
साथ ही उसके बाएं हाथ में भूरे रंग का पर्स साफ दिखाई देता है। युवक के हाथ में यह पर्स कई बार वीडियो में नजर आता है। पर्स 1:22 मिनट पर बिल्कुल स्पष्ट दिखाई देने लगता है। जिस दौरान युवक अपना हाथ फैलाता है। वीडियो में छात्र के दूसरे हाथ में एक सपाट सामान है। हालांकि, मीडिया संस्थानों ने बिना जांच-पड़ताल के पुलिस के पक्ष को ही सामने रखते हुए इस वीडियो को प्रसारित किया। बल्कि जिस छात्र को पत्थरबाज के रूप में दिखाया गया। उसने अपने एक हाथ में पर्स और दूसरे हाथ में सपाट आकार वाला कोई सामान ले रखा है।