पिछले दिनों पुलित्जर पुरस्कार विजेता कश्मीरी फोटो जर्नलिस्ट सना इरशाद मट्टू के विदेश जाने पर रोक लगाई गई है। इस उन्होंने कहा है कि 17 अक्टूबर को वो अपना पुलित्जर पुरस्कार लेने न्यूयॉर्क जा रही थीं,लेकिन उन्हें दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने रोक दिया गया। इसके अलावा उन्होंने ने यह भी कहा कि ‘अमेरिका का वैध वीजा और टिकट होने के बावजूद उन्हें विदेश जाने से रोका गया है।’यह दूसरी बार है जब बिना किसी कारण मुझे सफर करने से रोका गया है। इससे पहले जो हुआ,उस बारे में कई अधिकारियों से संपर्क करने के बावजूद मुझे कोई जवाब नहीं मिला था। इस पुरस्कार समारोह में शामिल होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा पल होता। इस पर केंद्र सरकार ने पत्रकार सना इरशाद मट्टू के दावे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन जम्मू और कश्मीर पुलिस के अधिकारियों ने बताया है कि उनका नाम नो-फ्लाई लिस्ट में है,इस वजह से उन्हें यात्रा करने से रोका गया है।
इसी साल पत्रकार सना इरशाद मट्टू को भारत में कोरोना संक्रमण के दौरान दौरान फोटोग्राफी के लिए सना इरशाद मट्टू को फीचर फोटोग्राफी श्रेणी में पुलित्जर पुरस्कार दिया गया था। यह फोटोग्राफी उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स के लिए की थी।पत्रकार सना इरशाद मट्टू श्रीनगर की रहने वाली हैं। उन्होंने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में जाकर फोटोग्राफी की थी। सना इरशाद साल 2018 से ही जम्मू-कश्मीर में इंडिपेंडेंट फोटोग्राफी कर रही हैं।
आपने एक बयान में उन्होंने यह भी कहा है कि मुझे कोई वजह नहीं बताई गई कि क्यों मुझे रोका जा रहा है। मुझसे ये कहा गया कि मैं विदेश यात्रा नहीं कर सकती हूं। इस दौरान अफसोस जताते हुए उन्होंने कहा कि वो पुलित्जर सम्मान था। यह हर पत्रकार का सपना होता है। जब आप को इस सम्मान के लिए चुना जाता है तो आप इससे जुड़े हरेक लम्हे को जीना चाहते हैं,लेकिन उन्होंने अब मुझसे ये ख़ुशी छीन ली है। बिना कोई वजह बताए, बिना ये कहे कि वे मुझे विदेश जाने से क्यों रोक रहे हैं। ईमानदारी से कहूँ तो मेरा दिल टूट गया है।इससे पहले भी विदेश जाने से रोका गया था। तब वे एक बुक लॉन्च और फ़ोटोग्राफ़ी प्रदर्शनी के लिए दिल्ली से पेरिस जाने वाली थीं। उस समय उन्होंने कहा था कि उनके पास फ्रांस का वीजा है, लेकिन इसके बावजूद अधिकारियों ने उन्हें विदेश यात्रा नहीं करने दी है। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर पर लिखा था कि मैं दिल्ली से पेरिस एक बुक लॉन्च और फोटो एग्जीबिशन के लिए जा रही थी। सेरेन्डिपिटी आर्ल्स ग्रांट 2020 के 10 पुरस्कार विजेताओं में से एक होने की वजह से मुझे जाना था। लेकिन फ्रांस का वीजा मिलने के बावजूद मुझे दिल्ली हवाई अड्डे पर इमिग्रेशन डेस्क पर रोक दिया गया है।मुझे इसके लिए कोई कारण नहीं बताया गया, बस इतना कहा कि आप अंतरराष्ट्रीय यात्रा नहीं कर सकती हैं।
गौरतलब है कि, यह पहला मामला नहीं है कि किसी पत्रकार को विदेश जाने से रोका गया है। इससे पहले पत्रकार राना अय्यूब विदेश जाने से रोका गया था।उस वक्त उन्हें ‘इंटरनेशनल सेंटर फ़ॉर जर्नलिस्ट्स’ के एक इवेंट में भाषण देने के लिए जाना था। कुछ दिनों बाद विदेश जाने की इजाजत दे दी गई, लेकिन इसके लिए उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय जाना पड़ा था।न्यायालय के फैसला आने के बाद उन्हें जाने दिया गया था। इसी साल अप्रैल में एमनेस्टी इंडिया के पूर्व चीफ आकार पटेल को बेंगलुरु एयरपोर्ट पर अमेरिका जाने से दो बार रोका गया था। इसकी वजह बताई गई कि आकार पटेल के कार्यकाल के दौरान एमनेस्टी इंडिया पर विदेशी मुद्रा अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगा था। इस दौरान सुरक्षा एजेंसियों ने आकार पटेल को ‘फ़्लाइट रिस्क’ क़रार दिया था। लेकिन बाद में न्यायालय के न्यायालय के आदेश पर जाने दिया गया था।
इसी साल भारतीय मूल के अमेरिकी पत्रकार अंगद सिंह को कथित तौर पर दिल्ली पहुंचे ही न्यूयॉर्क के लिए डिपोर्ट कर दिया गया था। लेकिन इस मामले में भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है।लेकिन अंगद सिंह के परिवार ने दावा किया कि रिपोर्ट किए जाने से पहले उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया था।उस समय अंगद सिंह की मां ने ये आरोप लगाया कि उनके साथ ये बर्ताव उनकी डॉक्यूमेंट्री की वजह से किया गया था। अंगद सिंह ने वाइस न्यूज़ के लिए भारत के कोरोना संकट और किसानों पर ये डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। इन सब के अलावा कई अन्य पत्रकार को भी रोका गया था।