पुड्डुचेरी में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन चुनाव से पहले राज्य में पश्चिम बंगाल जैसे सियासी हालात बन चुके हैं। जिस तरह बंगाल के तृणमूल कांग्रेस विधायकों और नेता भाजपा का दामन थाम रहे हैं, वही स्थिति पुड्युचेरी में भी हो चुकी है। नतीजा यह है कि राज्य की कांग्रेस सरकार संकट में है। 15 फरवरी और 16 फरवरी को दो मंत्रियों सहित चार विधायकों ने वी नारायणसामी के सत्तापक्ष वाली कांग्रेस सरकार से इस्तीफा दे दिया है। एक विधायक के अयोग्य घोषित होने और इस्तीफों के बाद राज्य की कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई है। विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की आंकड़ा 15 से घटकर 10 हो गया है।
अब कांग्रेस गठबंधन की बात की जाए तो विधानसभा में सरकार तथा विपक्षी दलों के विधायकों की आंकड़ा चैदह-चैदह रह गया है। पुडुचेरी विधानसभा में तेंतीस सीटें हैं। इसमें से 30 पर ही चुनाव होता है। तीन सीटों पर भाजपा के ही विधायक नाॅमिनेटेड है। कांगे्रस से इस्तीफा देने वाले विधायकों में से दो बीजेपी में शामिल होंगे। 17 फरवारी को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पुडुचेरी दौरे से पहले ही यह घटनाक्रम हुआ।
सरकार के पास से 4 विधायकों के छिटकने के बाद विपक्षी दलों ने फ्लोर टेस्ट की मांग करते हुए वी नारायणसामी से इस्तीफा मांगा है। सोलह फरवरी को इस्तीफा देने वाले ए जाॅन कुमार मुख्यमंत्री वी ़नारायणसामी का करीबी हैं। उन्होंने नेल्लीथोप सीट से 2016 के विधानसभा चुनाव जीता था। नारायणसामी के लिए सीट खाली कर दी थी। जाॅन कुमार ने 2019 में कामराज नगर उपचुनाव जीता था। हाल के दिनों में ही दिल्ली में भाजपा के बड़े नेताओं से मिल कर लौटे थे।
कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले विधायक ए जाॅन कुमार, ए नमस्सिवम, मल्लादी कृष्णा राव तथा ई थेपयन्थन हैं। कांग्रेस विधायक एन धनवेलु को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। वर्ष 2016 में विधानसभा चुनाव हुए थे। कांग्रेस को 15 सीटें मिली थीं। वी नारायणसामी मुख्यमंत्री बने थे। कांग्रेस के अलावा एआईएनआरसी को 8, एआईएडीएमके को 4, डीएमके को 2 सीटें मिली थीं। एक निर्दलीय भी जीता था। भाजपा के तीन नाॅमिनेटेड विधायक हैं। पुंडुचेरी में सरकार का समय 8 जून को पूरा होने वाला है।