कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी आगामी 21 फरवरी को प्रयागराज जाने की तैयारी में हैं। इस बात के संकेत दिए हैं यूपीसीसी ने। कांग्रेस की तरफ से मिले इस संकेत के बाद से यूपी सरकार के बीच मंथन शुरु हो गया है। मंथन इस बात का कि किस तरह से प्रियंका गांधी के सियासी स्नान को रोका जाए। हालांकि यूपी सरकार वैसी गलती अब दोहराने के मूड में नहीं है जैसी गलती उसने अखिलेश यादव को रोककर की थी। स्पष्ट है कि चुनावी माहौल में यदि अखिलेश यादव की भांति प्रियंका गांधी को भी रोका गया तो निश्चित तौर पर कांग्रेस को सिम्पैथी मिल सकती है जिसे आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान आसानी से भुनाया जा सकेगा।
मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार बीच का ऐसा रास्ता निकालने के मूड में है जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। यानी मीडिया के सहारे पुलवामा की घटना को प्रियंका के सियासी स्नान से जोड़कर ऐसे उठाया जाए जिससे प्रियंका गांधी के समक्ष अपना दौरा रद्द करने की मजबूरी बन जाए।
वैसे कहा तो यही जा रहा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा गंगा स्नान के इरादे से प्रयागराज जाने वाली हैं लेकिन यूपी सरकार उनके इरादे से भलीभांति परिचित है। भाजपाई तो यहां तक कह रहे हैं कि इससे पूर्व प्रियंका गांधी कभी भी गंगा स्नान के लिए इलाहाबाद (प्रयागराज) नहीं गयीं। स्पष्ट है कि उनका यह स्नान धर्म के प्रति आस्था नहीं अपितु सियासत के प्रति आस्था का प्रतीक है।
दूसरी तरफ जानकारी मिली है कि प्रियंका गांधी के प्रथम दौरे के पश्चात दिल्ली से मिले आदेश के बाद यूपी में दो कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। एक पूर्वी यूपी और दूसरा पश्चिमी यूपी का अध्यक्ष होगा। ज्ञात हो पूर्वी यूपी की कमान प्रियंका गांधी के पास है जबकि पश्चिम यूपी की कमान ज्यातिरादित्य सिंधिया के हाथों में। मिली जानकारी के अनुसार इन महत्वपूर्ण पदों के लिए पूर्वी यूपी से ब्राह्मण अथवा क्षत्रिय और पश्चिमी यूपी में मुस्लिम, दलित या वैश्य नेताओं के नामों पर चर्चा हो रही है। बताया जा रहा है कि इस नयी रणनीति पर सहमति बन चुकी है और एक सप्ताह के भीतर दो कार्यवाहक अध्यक्षों के नामों की घोषणा कर दी जायेगी। इस दौड़ में एक मजबूत नाम पीएल पुनिया के रूप में उभरकर सामने आ रहा है जबकि पूर्व विधायक इमरान मसूद, पूर्व सांसद प्रवीन सिंह ऐरन भी इस दौड़ में शामिल हैं। रही बात प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर की तो वे उसी तरह से काम करते रहेंगे जैसे वे पहले से करते रहे हैं। जहां तक राज बब्बर को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाए जाने की बात है तो उन्हें लोकसभा चुनाव के पश्चात बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। कांग्रेस का मानना है कि ऐन चुनाव के वक्त किसी बडे़ नेता और खासतौर से किसी प्रदेश अध्यक्ष को हटाना पार्टी हित में नहीं होगा। इसका दुस्प्रभाव लोकसभा चुनाव में पड़ सकता है। इसके साथ ही चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष के तौर पर भी दो नामों संजय सिंह और आरपीएन सिंह के नामों पर विचार किया जा रहा है।
फिलहाल कांग्रेस की नवनियुक्त महासचिव प्रियंका गांधी के सियासी स्नान का सूबे की जनता पर क्या प्रभाव पड़ता है? इसका निर्णय तो जनता ही करेगी लेकिन उससे पहले देखना यह होगा कि यूपी सरकार प्रियंका गांधी के इस सियासी स्नान को मंजूरी देती भी है अथवा नहीं।