[gtranslate]
Country

राहुल के इंकार करने पर प्रियंका संभालेंगी कांग्रेस की कमान 

देश की सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा समय तक राज करने वाली पार्टी कांग्रेस के बहुत बुरे दिन चल रहे हैं। जहां एक ओर केंद्र और राज्यों में उसका जनाधार सिमटता जा रहा है, वहीं पार्टी के सामने अहम सवाल यह है कि आखिर भविष्य में  पार्टी का खेवनहार कौन होगा? पार्टी अपना नेतृत्व ही तय नहीं कर पा रही है। लोकसभा चुनाव के बाद सोनिया गांधी ही अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर काम कर रही हैं। एक तरह से पार्टी को अध्यक्ष नहीं मिल पाया है। ऐसे में पार्टी में जारी वैचारिक मतभेद के बीच अब अप्रैल में पार्टी अध्यक्ष पद के लिए संगठनात्मक चुनाव कराने पर विचार कर रही है। सूत्रों का कहना है कि यह एक ऐसी प्रक्रिया होगी, जिससे 2019 लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से हुए नुकसान को कम किया जा सकेगा। माना जा रहा है कि यदि राहुल गांधी चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हुए ताेेे प्रियंका गांधी मैदान में उतर सकती हैं।

सूत्रों ने कहा कि नेतृत्व संगठनात्मक चुनावों पर विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है, लेकिन राहुल गांधी ने अभी भी पार्टी के नेताओं को संकेत नहीं दिया है कि वह अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे या नहीं। गौरतलब है कि राहुल ने लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनीं।

पार्टी के एक करीबी नेता ने कहा कि इस बात की पूरी संभावना है कि अगर राहुल गांधी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए मना करते  हैं, तो उनकी बहन प्रियंका  वाड्रा एक संभावित उम्मीदवार हो सकती हैं।

गांधी परिवार से इतर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी उम्मीदवारी के लिए तैयार हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव रोचक हो सकता है। हालांकि, पार्टी में कुछ लोगों को लगता है कि इससे प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

एआईसीसी के पदाधिकारी और राहुल के करीबी सहयोगी ने कहा, कांग्रेस के लिए एकमात्र विकल्प पार्टी को स्थिर करना और फिर किसी प्रकार के पुनर्निर्माण के लिए तत्पर रहना होगा, ताकि गांधी परिवार के किसी सदस्य को कार्यभार संभालने के लिए तैयार किया जा सके।

संभावना यह भी है कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम जैसे प्रमुख राज्यों में आने वाले चुनावों के बाद होंगे। सत्तारूढ़ भाजपा को चुनौती देते हुए असम में कांग्रेस मुख्य प्रतिद्वंद्वी है जबकि तमिलनाडु में यह डीएमके के साथ विपक्षी गठबंधन है।

वहीं, कांग्रेस पश्चिम बंगाल में वाम दलों के साथ हाथ मिला सकती है, जहां सत्तारूढ़ टीएमसी और भाजपा के राज्य में सरकार बनाने के प्रमुख दावेदार होने की संभावना है। पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गए हैं, क्योंकि भाजपा ने राज्य में पहली बार जीत हासिल करने के लिए पूरी जान लगा दी है। इसे देखते हुए कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ गई है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD