[gtranslate]
Country

जाटलैंड में प्रियंका गांधी की आंधी

जाटलैंड यानी कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश इन दिनों चर्चा के केंद्र में है। चर्चा के केंद्र में इसलिए है कि यहां के दिग्गज किसान नेता राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन का केंद्र बन गए हैं । देश में 3 किसान कृषि बिल लागू होने के बाद केंद्र में शासित भाजपा सरकार के खिलाफ किसानों का गुस्सा जमकर फूट रहा है । पूर्व में किसानों का विरोध पंजाब और हरियाणा से शुरू हुआ जो अब वाया गाजीपुर बॉर्डर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों तक जा पहुंचा है ।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश पूरी तरह किसान बहुलता एरिया है। यहां जाट और गुर्जर के साथ ही राजपूत और मुस्लिम लोग किसानी खेती पर निर्भर हैं। फिलहाल किसान आंदोलन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर भारतीय किसान यूनियन और राष्ट्रीय लोकदल के साथ ही कांग्रेस ने यहां के मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए चुनावी चौसर बिछानी शुरू कर दी है। एक साल बाद ही उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट लैंड में हर कोई पार्टी किसानों के सहारे अपना वजूद स्थापित करना चाहती हैं । ऐसे में कांग्रेस भला कहां पीछे रहने वाली है। कांग्रेस की युवा नेता और उत्तर प्रदेश की महासचिव प्रियंका गांधी ने समय की नजाकत को समझा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान पंचायत कर चुनावी उद्घोष कर डाला।

चौंकाने वाली बात यह है कि 1 सप्ताह में प्रियंका गांधी पश्चिम उत्तर प्रदेश में 4 किसान पंचायत आयोजित कर चुकी है । जिसमें उमड़ता जनसमूह प्रियंका गांधी की राजनीतिक महत्वकांक्षी को बल देता हुआ प्रतीत हो रहा है। चर्चा है कि कांग्रेस प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर सकती है ।शायद यही वजह है कि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की राजनीति में गहरे तक उतर जाना चाहती है।

लॉकडाउन में जिस तरह प्रियंका गांधी ने मजदूरों के मुद्दों पर योगी सरकार की जमकर घेराबंदी की इससे यह प्रतीत होने लगा था कि अब कांग्रेस प्रियंका को यूपी की चुनावी बागडोर दे सकती हैं। उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए अजय कुमार लल्लू को प्रियंका गांधी का खासम खास माना जाता है।

अजय कुमार लल्लू की घोषित की गई प्रदेश टीम में अधिकतर प्रियंका गांधी के समर्थक है । इनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में करीब आधा दर्जन नेता प्रियंका गांधी की पसंद के हैं।

फिलहाल इन सभी नेताओं के साथ मिलकर प्रियंका गांधी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक किसान जनसभा करके योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ा रही है। प्रियंका गांधी ने सबसे पहले शुरुआत रामपुर से की थी । 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड रैली में हादसे का शिकार हुए नवनीत सिंह के परिवार से मिलने पहुंची प्रियंका ने इस मामले में पहला नंबर हासिल किया।

प्रियंका गांधी ने ना केवल नवनीत के परिजनों के आंसू पोछे बल्कि एक पंचायत में भी पहुंची । जहां भारी भीड़ देखकर प्रियंका गांधी उत्साहित हो गई। इसके बाद प्रियंका गांधी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को किसान राजनीति का केंद्र बना दिया ।

10 फरवरी को प्रियंका गांधी ने सहारनपुर के चिलकाना में पंचायत रैली की । जिसमें भारी जनसमूह उमड़ा। इस दौरान प्रियंका गांधी ने सहारनपुर की मां शाकुंभरी देवी के दर्शन किए और साथ ही रायपुर स्थित खानकाह में हजरत रायपुरी की दरगाह में जियारत की।

इसके बाद 15 फरवरी को प्रियंका गांधी ने दो रैलियां की। जिनमें पहली रैली मेरठ जिले के सरधना तहसील के कैली गांव में की। इसके बाद प्रियंका गांधी बिजनौर पहुंची। जहां चांदपुर में उन्होंने किसान पंचायत की।

फिलहाल प्रियंका गांधी आगामी 21 फरवरी को मथुरा में एक किसान पंचायत करेगी । किसान पंचायतों में कांग्रेस को मिल रहा जन समर्थन संकेत दे रहा है कि 2022 में यह पार्टी मजबूती से उत्तर प्रदेश की राजनीति में आ सकती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वैसे भी भाजपा के खिलाफ माहौल पैदा हो रहा है । इस माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए प्रियंका गांधी अब सक्रिय भूमिका में नजर आने लगी है।

प्रियंका गांधी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत जमीन करने के लिए कई बड़े नेताओं को कमान दी है। सहारनपुर में इमरान मसूद तो मुजफ्फरनगर में जाट समुदाय से आने वाले हरेंद्र मलिक और पंकज मलिक सक्रिय हैं। जबकि गुर्जर समाज से वीरेंद्र सिंह गुड्डू अपने समाज को कांग्रेस की तरफ लाने के लिए जी तोड मेहनत कर रहे हैं। गुड्डू कांग्रेस पार्टी के प्रदेश महासचिव भी है और प्रियंका गांधी के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं।

प्रियंका गांधी के इस अभियान से किसान जातियों खासकर हिन्दू-मुस्लिम जाटों और गुर्जरों में मजबूत पकड़ बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। कांग्रेस ने इस अभियान के तहत उन जिलों को प्राथमिक तौर पर टारगेट किया है, जहां पर मजबूत किसान राजनीति का आधार रहा है।

गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनावों में पश्चिम उत्तर प्रदेश की 126 सीटों में से बीजेपी ने 109 सीटें जीती थीं । जबकि सपा 20, कांग्रेस दो, बसपा 3 सीट जीती थी और एक सीट आरएलडी को मिली थी। किसान आंदोलन के चलते एक बार फिर गुर्जर, जाट-मुस्लिम सहित तमाम किसान जातियां एक साथ आती हुई दिखाई दे रही हैं ।

2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक तरफा भाजपा के पक्ष में माहौल था। लेकिन अब यह माहौल किसान आंदोलन के चलते पलटने लगा है। इस नब्ज को कांग्रेस बखूबी महसूस कर रही है। प्रियंका गांधी की सक्रियता इसी नजरिए से देखी जा रही है कि वह आंदोलन और पंचायतों के बहाने किसानों में अपनी पैठ बना कर पार्टी को मजबूती की ओर ले जाती हुई दिख रही है । जिसमें वह सफल होती हुई प्रतीत हो रही है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD