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कांग्रेस पर बढ़ा उत्तर प्रदेश में रणनीति बदलने का दबाव , गठबंधन की मांग हुई तेज  

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस जिसके हाथों में  देश की बागड़ोर सबसे  ज्यादा  समय तक रही वो पार्टी  करीब एक दशक से लगातार कमजोर होती जा रही है । ऐसे में हाल में हुए विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस पर अब अगले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए अपनी  रणनीति बदलने का दबाव बढ़ गया है। पार्टी में गठबंधन की मांग तेज हो गई है। पार्टी नेताओं का मानना है कि वर्ष 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा की हार सुनिश्चित करनी है तो क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो पार्टी के लिए सियासी राह आसान नहीं होगी।

उत्तर प्रदेश में चुनावी गठबंधन की वकालत करने वाले नेताओं का कहना है कि पार्टी को पांच राज्यों के चुनाव परिणाम से सबक लेना चाहिए। पार्टी केरल और असम में जीत की दहलीज तक नहीं पहुंच पाई, जहां सरकार में वापसी की सबसे ज्यादा उम्मीद थी। ऐसे में उसे उत्तर प्रदेश में अपने दम पर सत्ता में वापसी का सपना छोड़कर हकीकत का सामना करना चाहिए।

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पश्चिम बंगाल में कांग्रेस तमाम कोशिशों के बावजूद अपना खाता तक खोलने में नाकाम रही, क्योंकि पार्टी हवा के विपरीत चल रही थी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यूपी भाजपा के लिए बेहद अहम है। इसलिए भाजपा अपनी सरकार बनाए रखने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगी। वहीं, कांग्रेस का पूरा दारोमदार अपने परंपरागत मतदाता और मुस्लिम वोट पर है।

यूपी में मुस्लिम मतदाता अभी तक अलग-अलग कारणों से अलग-अलग पार्टियों को वोट करते आ रहे हैं। पर बिहार विधानसभा चुनाव के बाद मुस्लिमों के वोट करने के तरीके में बदलाव आया है। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर एकतरफा वोट डाला। ऐसे में यूपी में भी मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर किसी एक पार्टी को वोट दे सकते हैं।

इन नेताओं की दलील है कि मतदाता भाजपा के खिलाफ उस पार्टी को वोट देंगे, जो सरकार बना सकती हो। कांग्रेस फिलहाल इस स्थिति में नहीं है। ऐसे में कांग्रेस को भाजपा विरोधी वोट एकजुट रखने के लिए गठबंधन पर विचार करना चाहिए। हालांकि, कई नेता इसके खिलाफ भी हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2017 के चुनाव में सपा से गठबंधन से पार्टी को नुकसान हुआ है। किसी बड़ी क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन के बजाय छोटे दलों को साथ लेकर सोशल इंजीनियरिंग करनी चाहिए। इन नेताओं का कहना है कि 2012 के चुनाव में कांग्रेस को 28 सीटों के साथ लगभग 12 फीसदी वोट मिले थे,लेकिन  2017 में सिर्फ छह प्रतिशत मत हासिल हुए। ऐसे में पार्टी को गठबंधन के बजाय संगठन को मजबूत बनाने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

लोकसभा चुनाव 2019 में बुरी तरह परास्त होने के बाद से लगातार कांग्रेस सिमटती जा रही है। कांग्रेस के कुछ बागी नेताओं की ओर से पिछले साल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी गई थी। इस शिकायती चिट्ठी से पार्टी में खासा हंगामा हुआ था। इन बागी नेताओं के गुट को जी-23 गुट कहा जाता है।यह सब तब हुआ जब  पांच राज्यों में चुनाव का बिगुल बज चुका था , इसके बावजूद जी-23 गुट के नेताओं ने जम्मू में शांति सम्मलेन कर  अपनी नाराजगी जाहिर की थी ।

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