फरवरी 2014 में यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने कहा था कि बीते 15 वर्षों से मेरी यह राय रह रही है कि यूपी जैसे बड़े राज्य में गुड गवर्नेंस संभव नहीं है । इस राज्य के बेहतर भविष्य के लिए हमें इस के बंटवारे के बारे में सोचना चाहिए।
यूपी के ऐसे ही है बेहतर भविष्य की कल्पना बसपा के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने 2011 में की थी। उन्होंने तो बकायदा उत्तर प्रदेश की विधानसभा और विधान परिषद से प्रस्ताव पास भी करा दिया था। तब उत्तर प्रदेश को चार भागों में बांटने की मायावती ने बात कही थी।
लेकिन अब 10 साल बाद एक बार फिर उत्तर प्रदेश के विभाजन की बात जोरों पर है। चर्चा है कि केंद्र और राज्य में सत्तासीन भाजपा उत्तर प्रदेश को दो भागों में बांटना चाहती है। हालांकि कहीं इसे तीन भागों में तो कहीं चार भागों में बांटने की भी चर्चा है।
अगर चर्चाओं की बात करें तो पिछले 1 सप्ताह से उत्तर प्रदेश चर्चाओं का केंद्र बन गया है। यहां आए दिन चर्चा होती रहती है। कभी मुख्यमंत्री के बदलने की तो कभी मंत्रिमंडल विस्तार की तो कभी केंद्र और राज्य के भाजपा नेताओं के आपसी टकराव की।
सब कुछ सही नहीं फिर भी “ऑल इज वेल”
भाजपा में फिलहाल सब कुछ सही नहीं चल रहा है। हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेता “ऑल इज वेल” बताकर मामले को घुमा देना चाहते हैं । लेकिन राजनीतिक पंडितों की माने तो केंद्रीय आलाकमान उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की कोशिशों में जुटा है। हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की “हठ” एक बार फिर केंद्रीय नेताओं के पीछे हटने का कारण बनी बताई जा रही है।
केंद्रीय आलाकमान प्रदेश में योगी को हटाकर अपनी पसंद के सीएम को सत्ता में पदासीन नहीं कर सके। लेकिन चर्चा यह है कि अब केंद्रीय भाजपा आलाकमान उत्तर प्रदेश को लेकर नई नीति की योजना बना रहे हैं। जिसके तहत प्रदेश को विभाजित करने की रणनीति है।
एक तीर से दो निशाने
बताया जा रहा है कि केंद्रीय आलाकमान एक तीर से दो निशाने साधने की तैयारी में है। जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नए बनाए जाने वाले पूर्वांचल प्रदेश तक सिमटा दिया जाएगा । जबकि उत्तर प्रदेश में अपनी पसंद का चेहरा उतार दिया जाएगा।
बंगाल में खेला होवे और यूपी में खदेड़ा
अगर देखा जाए तो 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद कभी केंद्र से लखनऊ का इतना ‘राजनीतिक लगाव’ देखने को नहीं मिला जितना पिछले 1 सप्ताह में। हालांकि इसे राजनीतिक हलचल कहा जा सकता है। लेकिन यह हलचल फिलहाल विपक्षी नेताओं के लिए जुमलेबाजी बन गई है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो यह तक कह दिया कि “बंगाल में खेला होवे और यूपी भाजपा में खदेडा”।
एक सप्ताह से कयासबाजियों का दौर
पिछले 1 सप्ताह में पार्टी के पदाधिकारियों, संघ पदाधिकारियों, मंत्रियों और नेताओं की बैठकों का दौर चला है। इस दौरान प्रदेश में कभी संघ के डिप्टी दत्तात्रेय हंसबोले पहुंचे। तो कभी पार्टी प्रभारी राधा मोहन । इसी दौरान तरह-तरह के कयास लगाए जाते रहे हैं।
योगी की मोदी, शाह और नड्डा से मुलाकात
इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात हुई। मोदी और शाह के बाद योगी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिले। बाद में वह राष्ट्रपति से मिलने गए । इस दौरान चर्चा यह चली की दिल्ली दरबार में योगी को तलब किया गया । लेकिन कहा गया कि योगी ने दिल्ली आलाकमान के सामने यूपी के कोरोना संकट में इलाज का ब्योरा दिया है।
छोटे राज्यों की पक्षधर रही है भाजपा
यह सर्वविदित है कि भाजपा छोटे राज्य बनाने के पक्ष में रही है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब केंद्र में अटल बिहारी की वाजपेई की सरकार थी तब कई नए राज्यों को अस्तित्व में लाया गया। जिनमें मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ बनाया गया तो उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड तथा बिहार से झारखंड नया राज्य बनाया गया था।
मायावती 10 साल पहले ही कर चुकी थी चार राज्य बनाने की पैरवी
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहते मायावती ने भी एक बार पहले प्रदेश को चार भागों में विभाजित करने की योजना बनाई थी । तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। समय था 2011 का। इस दौरान मुख्यमंत्री मायावती ने बकाया बकायदा प्रदेश के की विधानसभा और विधान परिषद में प्रस्ताव पास करा कर उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में विभाजित करने के लिए प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा था। 21 नवंबर 2011 को भारी हंगामे के बीच मायावती ने बिना चर्चा किए ही यह प्रस्ताव पास करा लिए थे । मायावती ने तब प्रदेश को बुंदेलखंड, पूर्वांचल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और अवध प्रदेश में विभाजन का प्लान बनाया था।
2012 में भाजपा ने राज्य विभाजन को कहा था मायावती का चुनावी सगुफा
हो सकता है कि आज भाजपा उत्तर प्रदेश को चार टुकड़ों में विभाजित करने की योजना बनाएं लेकिन एक दिन वह भी था जब भाजपा ने उत्तर प्रदेश के विभाजन को चुनावी शगुफा करार दिया था तब 2012 था समय था तत्कालीन सपा सरकार द्वारा मायावती के राज्य विभाजन पर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा।
2012 में राज्य विभाजन के अविश्वास प्रस्ताव पर सपा के साथ थी भाजपा
2012 में बनी सपा सरकार ने अखंड उत्तर प्रदेश के नारे को बुलंद किया था। सपा मायावती सरकार के उत्तर प्रदेश के विभाजन के फैसले के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव ले आई थी । तब इस अविश्वास प्रस्ताव में कॉन्ग्रेस के साथ ही भाजपा ने भी सपा का साथ दिया था।
मायावती के राज्य विभाजन की रणनीति में थे चार राज्य
आज से 10 साल पहले 2011 में जब प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने राज्य को चार प्रदेशों में विभाजित करने की योजना बनाई थी, तब बुंदेलखंड, पूर्वांचल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का प्रस्तावित नक्शा तैयार किया गया था। इसके अनुसार पूर्वांचल में 32 जिले, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 22, अवध प्रदेश में 14 जिले तथा बुंदेलखंड में 7 जिलों का प्रस्ताव बनाया गया था।
भाजपा की रणनीति में दो और तीन राज्यों का विभाजन
फिलहाल भाजपा के द्वारा राज्य विभाजन के कयास के दौरान जो बात सामने आ रही है उसके अनुसार भाजपा प्रदेश को दो या तीन भागों में बांटने की योजना बना रही है। जिसमें उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड और पूर्वांचल है। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ होगी। जिसमें 20 जिले होंगे तो बुंदेलखंड की राजधानी प्रयागराज होगी। जिसमें 17 जिले होंगे। इसी तरह पूर्वांचल में 23 जिले होंगे और पूर्वांचल की राजधानी गोरखपुर होगी।
समय कम तो कैसे होंगी भाजपा की इच्छा प्रबल ?
प्रदेश के विधानसभा चुनाव में महज 8 माह का समय बाकी है। ऐसे में राज्यों का विभाजन करना का समय कम बताया जा रहा है । ऐसे में भाजपा कैसे उत्तर प्रदेश का विभाजन का प्लान पूरा कर सकेगी? जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने विधानसभा और विधान परिषद से राज्य विभाजन का प्रस्ताव पास कराकर केंद्र को भेजा था ऐसे योगी सरकार भी केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज सकती है । लेकिन अगर यह संभव नहीं हो सका तो राज्य निर्माण में केंद्रीय गृह मंत्रालय की भूमिका को भी अहम माना जाता रहा है। इसके अलावा राज्य के राज्यपाल की गोपनीय रिपोर्ट केंद्र को मिलने के बाद भी केंद्र सरकार राज्य के बंटवारे की संस्तुति कर सकती है।
यूपी के सूचना विभाग ने तोड़ी चुप्पी , बताया फेक न्यूज
वही दुसरी तरफ यूपी सरकार के सूचना विभाग ने आज इस खबर का खंडन किया है। विभाग की तरफ से कहा गया कि यूपी के विभाजन की खबर पूरी तरह फेक है। ऐसा कोई भी प्रस्ताव या रणनीति नहीं बनाई जा रही है। ऐसी अफवाहों से लोगों को बचने के लिए भी कहा गया।