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किसान आंदोलन को फिर से खड़ा करने की तैयारी

किसान बिल के मुद्दे पर केंद्रीय सरकार को बैकफुट पर लाने वाला संयुक्त किसान मोर्चा एक बार फिर सक्रिय हो गया है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद मोर्चा की पहली बैठक दिल्ली में हुई। जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया गया।  बहरहाल, मोर्चा की पहली बैठक में 21 मार्च को देशभर में रोष प्रदर्शन करने तथा 25 मार्च को चंडीगढ़ में ट्रैक्टर मार्च निकालने का निर्णय किया गया। इसके साथ ही एमएसपी को लेकर मोर्चा के संगठनों ने 1 सप्ताह तक विरोध प्रदर्शन करने का भी ऐलान किया। यह विरोध प्रदर्शन 11 अप्रैल से 17 अप्रैल के बीच होगा। यह प्रदर्शन पूरी तरह राष्ट्रव्यापी होगा।  उत्तर प्रदेश उत्तराखंड और पंजाब के साथ ही पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किसान आंदोलन कुछ दिन के लिए स्थगित कर दिया गया था। इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के नेता अपने अपने प्रदेश में चुनावों में व्यस्त हो गए। देखने में यह आया कि किसान आंदोलन कर रहे संयुक्त मोर्चा के नेता भाजपा का विरोध कर रहे थे।
 लेकिन बावजूद इसके उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा का आना मोर्चा के लिए आघात माना जा रहा है। शायद यही वजह है कि संयुक्त किसान मोर्चा के 32 संगठनों में से 11 संगठन मोर्चा से किनारा कर लिया है। संयुक्त मोर्चा के 18 संगठनों ने कल दिल्ली में एक बैठक आयोजित की । जिसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में जहां सत्तारूढ़ भाजपा सत्ता बरकरार रखने में सफल रही तो वहीं दूसरी ओर बदलाव की आंधी में पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) ने जबर्दस्त जीत हासिल की। जबकि माना यह जा रहा था कि वापस लिए गए कृषि कानूनों के मुद्दे पर चले किसान आंदोलन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश और किसानों के प्रभाव वाले इलाकों पर असर पड़ेगा‌।  इसे ध्यान में रखते हुए ही समाजवादी पार्टी ने इस बार राष्ट्रीय लोक दल से गठबंधन किया था। ताकि जयंत चौधरी के साथ आने के बाद सपा को जाट मतदाताओं का साथ मिलेगा। लेकिन ऐसा हो नहीं सका। चुनाव परिणामों से स्पष्ट है कि किसानों की नाराजगी को भुनाने के सपा गठबंधन तथा कांग्रेस के प्रयास विफल साबित हुए हैं।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा बनकर उभरे राकेश टिकैत ने कहा कि जो भी पार्टी सत्ता में आए, हमारी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। मैं यूपी चुनाव के बारे में बात नहीं करना चाहता। वह अब खत्म हो गया। लेकिन आंदोलन शत-प्रतिशत जारी रहेगा। मैं संयुक्त किसान मोर्चा के साथ हूं। राकेश टिकैत ने संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन में अपनी भागीदारी को वापस लेने वाली खबरों को कुछ लोगों की ओर से उड़ाई गई अफवाह बताया। उन्होंने कहा कि कुछ चैनल कह रहे हैं कि हम असफल रहे। उन्होंने उल्टा सवाल किया कि अगर हम असफल हुए तो सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस क्यों ले लिए।

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