लोकसभा चुनावो में मिली सफलता के बाद अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार मिशन 2022 को लेकर सजीदा हो रही है। चर्चा है कि प्रदेश में योगी कैबिनेट में छटनी करने की भी योजना बना रहे है। जनता के बीच सरकार की उपलब्धियां को समझाने में फेलियर मंत्रियो का फेरबदल हो सकता है। इसके साथ ही योगी कैबिनेट में विस्तार की भी योजना बना रहे है।
बहरहाल, योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली प्रदेश सरकार में बड़े पैमाने पर बदलाव की सुगबुगाहट है। चर्चा है कि कैबिनेट से कई मंत्रियों की छुट्टी होगी और कुछ के विभाग बदले जा सकते हैं । इसके अलावा तीन-चार मंत्री प्रोन्नत हो सकते हैं। वहीं नए लोगों को सरकार में काम करने का मौका भी मिल सकता है ।
गौरतलब है कि योगी सरकार में फिलहाल 43 मंत्री हैं। लोकसभा चुनाव जीतने वाले तीन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, डॉ. एसपी सिंह बघेल और सत्यदेव पचौरी ने इसी महीने इस्तीफा दिया है। इससे पहले दिव्यांगजन कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर को मंत्री पद से हटाया जा चुका है। निर्धारित मानक के अनुसार सरकार में मुख्यमंत्री समेत 60 मंत्री रह सकते हैं। ऐसे में 17 मंत्री शामिल करने की गुंजाइश अभी बची हुई है।
कैबिनेट में सभी पद तो नहीं भरे जाएंगे, लेकिन माना जा रहा है कि 10 से 12 नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार कई मौजूदा मंत्रियों को हटाने की तैयारी है। इसका आधार उनकी परफॉरमेंस रहेगी। वहीं, कुछ मंत्रियों को सरकार से हटाकर संगठन की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
संभावना है कि मंत्रियों के विभागों में भी बड़े स्तर पर फेरबदल किया जाएगा। नए विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी। दो-तीन मौजूदा मंत्री प्रोन्नत हो सकते हैं। काबीना के फेरबदल में अधिकतर नए मंत्री राज्यमंत्री स्तर के होंगे। दो-तीन नए मंत्री स्वतंत्र प्रभार या कैबिनेट स्तर के भी हो सकते हैं। मंत्रिपरिषद का विस्तार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया जाएगा।
कहा यह भी जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में अच्छी कामयाबी के बाद योगी मंत्रिमंडल में पिछड़ों व दलितों की नुमाइंदगी बढ़ेगी। अनुसूचित जाति में सर्वाधिक तादाद होने के बावजूद कोई जाटव मंत्री नहीं है। इस कमी को विस्तार में पूरा कर लिया जाएगा। पश्चिमी यूपी से अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले किसी विधायक को मंत्री बनाए जाने की संभावना है।
इसी तरह जातीय संतुलन साधने की कोशिश भी की जाएगी। किसी गुर्जर को भी मंत्री बनाया जा सकता है। सांसद चुने जाने के बाद जिन तीन मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है, उनमें दो ब्राह्मण व एक अनुसूचित जाति से हैं। ऐसे में कैबिनेट में कम से कम दो ब्राह्मणों को शामिल किए जाने की संभावना है।