3 महीने पहले 378 दिन चला किसान आंदोलन खत्म हो गया था। 19 नवंबर 2021 को गुरुनानक देव जी के प्रकाश पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी।
इसी के साथ ही यह भी तय हुआ था कि किसानों की 5 मांगे पूरी की जाएगी। जिसके लिए बकायदा सहमति पत्र बनाया गया था। लेकिन आज 3 माह बाद भी सहमति पत्र में लागू की गई मांगे पूरी नहीं हुई है । इसके चलते ही अब संयुक्त किसान मोर्चा एक बार फिर केंद्र सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन की तैयारी कर रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार को इसकी बाबत चेताया भी है। यही नहीं बल्कि गत 31 जनवरी को मोर्चा ने केंद्र सरकार के द्वारा मांग न माने जाने पर विश्वासघात दिवस भी मनाया।
यही नहीं बल्कि 21 मार्च को मोर्चा के नेताओं ने राष्ट्रपति के नाम सरकार के खिलाफ रोष पत्र भी लिखा है। इसके बाद भी केंद्र सरकार के सिर पर जूं नहीं रेंग रही है। मजबूरन अब किसान फिर से आंदोलन की राह पर है।
वह 5 बिन्दु जिन पर बनी थी सहमति-
एमएसपी लागू करना :
एमएसपी यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस लागू करने के लिए एक कमेटी का गठन करने की घोषणा की गई। यह कमेटी एमएसपी पर अपना निर्णय लेगी।
केस वापसी :
हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार केस वापसी पर सहमत हो गई हैं। दिल्ली और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के साथ रेलवे द्वारा दर्ज केस भी तत्काल वापस होंगे।
मुआवजा :
मुआवजे पर भी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सहमति बन गई है। पंजाब सरकार की तरह ही यहां भी 5 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है।
बिजली बिल :
बिजली संशोधन बिल को सरकार सीधे संसद में नहीं ले जाएगी। पहले उस पर किसानों के अलावा सभी संबंधित पक्षों से चर्चा होगी।
प्रदूषण कानून :
प्रदूषण कानून को लेकर किसानों को सेक्शन 15 से आपत्ति थी, जिसमें किसानों को कैद नहीं, जुर्माने का प्रावधान है। इसे केंद्र सरकार हटाएगी।