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राजस्थान में सचिन पायलट की प्रैशर पॉलिटिक्स या थर्ड फ्रंट की तैयारी?

राजस्थान में सचिन पायलट की प्रैशर पॉलिटिक्स या थर्ड फ्रंट की तैयारी?

रणभूमि राजस्थान में एक बार फिर राजनीतिक तपिश पैदा हो गई है। यह तपिश सत्तासीन पार्टी कांग्रेस में है। जिसमें फिलहाल भाजपा बरसात की छींटे पड़ने जैसा सकून महसूस कर रही है। इस बीच कांग्रेस के 2 क्षत्रप मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच शुरू सियासत की उठापटक जारी है। यह उठापटक कब तक चलेगी यह तो पता नहीं, लेकिन इतना जरूर है कि इस बार पलड़ा सचिन पायलट का भारी रह सकता है।

प्रदेश में पार्टी के मुखिया के तौर पर पिछले साढ़े 6 साल से आसीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रूसवाईयो से नाराज चल रहे थे। फिलहाल सचिन पायलट की यह नाराजगी कितना गुल खिलाएगी, यह देखना बाकी है। कहा जा रहा है कि राजस्थान की राजनीति में सचिन पायलट इस समय प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं। फिलहाल वह राजनीतिक तराजू के दोनों पलडों में बेलेंस बना कर रख कर चल रहे हैं। तराजू के इस पलडे में एक तरफ सत्तासीन अशोक गहलोत सरकार है तो दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी भाजपा हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा राजस्थान में मध्य प्रदेश जैसी स्थिति लाने के लिए आतुर है। इसके लिए भाजपा ‘कुछ भी’ कर सकती है।

सुनने में आ रहा है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री गहलोत से असंतुष्ट विधायकों का समर्थन मिल रहा है। इसी के साथ ही विपक्षी दल भाजपा भी सचिन पायलट को बाहर से समर्थन दे सकती है। फिलहाल राजस्थान की राजनीति में मुख्यमंत्री एकमात्र अशोक गहलोत स्वयंभू लीडर बनना चाहते हैं। लेकिन सचिन पायलट के होते हुए यह संभव नहीं लग रहा है।

बताया जा रहा है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार करना चाहते हैं। जिसमें वह अपने करीबियों को स्थान देने की रणनीति बना रहे हैं। कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्रियों के नामों की सूची भी वह आलाकमान से स्वीकृत करा लाए हैं। इस सूची में सचिन पायलट के खास लोगों के नाम नहीं है । यही बात पायलट को अखर रही है।

दरअसल, पायलट चाहते हैं कि मंत्री मंडल विस्तार में 10 से 12 मंत्री बनने वाले विधायकों में कम से कम आधे उनके समर्थक हो। फिलहाल इसमें कुछ पूर्व मंत्रियों के भी पर कतरने की तैयारी चल रही है। उसमें भी कई मंत्री पायलट के समर्थक बताए जा रहे हैं। राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत सचिन पायलट को हाशिए पर डालने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। जिसके लिए वह समय-समय पर प्रदेश में ‘एक व्यक्ति – एक पद ‘ का मुद्दा अपने समर्थकों से उठवाते रहते हैं। एक व्यक्ति एक पद का यह मुद्दा सीधे-सीधे सचिन पायलट के खिलाफ ही उठता है।

सब जानते हैं कि फिलहाल सचिन पायलट के पास दोहरी जिम्मेदारी है । जिसमें वह पिछले साढ़े 6 साल से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद को भी संभाले हुए हैं तो दूसरी तरफ वह सत्ता में डिप्टी सीएम भी बने हुए हैं। अशोक गहलोत चाहते हैं कि कांग्रेस का सिद्धांत ‘एक व्यक्ति-एक पद’ राजस्थान में भी लागू हो। लेकिन दूसरी तरफ पायलट समर्थक पायलट को ही प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बने रहना देखना चाहते हैं।

राजस्थान में सचिन पायलट की प्रैशर पॉलिटिक्स या थर्ड फ्रंट की तैयारी?

हालांकि, राजस्थान के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सचिन पायलट को हटाकर नया प्रदेश अध्यक्ष बनाने की कई बार कोशिशें हो चुकी है। जिसमें ब्राह्मणों की तरफ से कभी रघु शर्मा तो कभी महेश जोशी का नाम चलाया जाता रहा है। तो कभी जाटों की तरफ से लालचंद कटारिया और ज्योति मिर्धा के नाम अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल किए जाते रहे हैं।

वर्तमान में जो राजस्थान में राजनीतिक संकट पैदा हुआ है उसके मूल में तीन निर्दलीय विधायक है। प्रदेश की एसओजी ने इन तीनों निर्दलीय विधायकों की जांच की थी। जिसमें पता चला कि यह निरंतर भाजपा के संपर्क में हैं। एसओजी की जांच में पता चला कि भाजपा के कई नेता इस कोशिश में लगे हुए हैं कि राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार अस्थिर हो और विपक्षी दल भाजपा इसमें अपनी राजनीतिक रोटियां सेक सके।

दरअसल, भाजपा द्वारा अशोक गहलोत सरकार को अस्थिर करने की योजना 19 जून को प्रदेश में हुए राज्य सभा के तीन सीटों के चुनाव में बनी थी। तब कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया था कि वह कुछ विधायकों को प्रलोभन देने में लगी हुई है। कांग्रेस ने बकायदा इसकी जांच करने के लिए एसओजी गठित की थी। एसओजी ने सरकार अस्थिर करने के प्रयास के मामले में जांच पड़ताल की।

जिसमें शुक्रवार को केस भी दर्ज किया गया। एसओजी की जांच का केंद्र तीन निर्दलीय विधायक रहे। जो निरंतर भाजपा के संपर्क में थे। एसओजी ने इन तीनों निर्दलीय विधायको पर एफआईआर दर्ज करा दी। बताया तो यहा तक जा रहा है कि भाजपा से इन तीनों विधायकों की निरंतर बातचीत के सबूत भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष पहुंच गए है।

जिसके बलबूते मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि भाजपा कांग्रेस विधायकों को 25-25 करोड़ रुपये का लालच देकर उनकी सरकार को अस्थिर करने में लगी हुई है। यही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री गहलोत ने दावा किया कि इस बाबत भाजपा 10 करोड रुपये एडवांस और 15 करोड़ रुपये सरकार गिरने के बाद देने की बात भी कर रही है।

फिलहाल भाजपा से सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों के चलते प्रदेश की एसओजी ने 2 दिन पहले मामला तो दर्ज किया है, साथ ही विधायकों की खरीद-फरोख्त और सरकार को अस्थिर करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है। दोनों भाजपा नेता बताए जा रहे हैं।  उधर दूसरी तरफ एसओजी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुख्य सचेतक महेश जोशी को पूछताछ करने के लिए बुलाया है। तीनों पर ही एसओजी सरकार को अस्थिर करने तथा विधायकों की खरीद-फरोख्त से संबंधित मामलों पर पूछताछ करेगी।

बताया जा रहा है कि यहीं से राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच राजनीति छिड़ गई । इस मामले में उस समय स्थिति विचित्र हो गई जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का नाम लिए बगैर मीडिया के सामने कह दिया कि मुख्यमंत्री कौन नहीं बनना चाहता है। उनका सीधा-सीधा इशारा सचिन पायलट की ओर है।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात की है कि जो 3 निर्दलीय विधायक भाजपा नेताओं के संपर्क में है वह सचिन पायलट के समर्थक बताए जाते हैं। मतलब साफ है कि तीनों निर्दलीय विधायक सचिन पायलट को अपना नेता और प्रदेश का सीएम बनाने के लिए फील्डिंग करने में लगे हुए हैं। यहीं से राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर दोनों धुरी अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने-सामने आ गए है।

सुनने में आ रहा है कि विधायक पीआर मीणा, राजेंद्र बिधूड़ी, दानिश अबरार, चेतन डूडी, सहित 17 विधायक मानेसर के आईटीसी होटल में ठहरे हुए हैं। यह सभी विधायक सचिन पायलट के समर्थक बताए जा रहे हैं। उधर दूसरी तरफ यह भी बताया जा रहा है कि शुक्रवार देर रात से ही सचिन पायलट प्रदेश के 10 मंत्रियों के साथ दिल्ली में डटे हुए हैं। हालांकि दिल्ली में सचिन पायलट अपने घर पर नहीं है। लेकिन वह कहां है इसको लेकर भी चर्चाओं का दौर जारी है।

फिलहाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात को लेकर है कि भाजपा राजस्थान में मध्य प्रदेश जैसे हालात करने के लिए कुछ भी कर गुजरने की चाहत में है। इसके तहत ही सचिन पायलट पर फिलहाल भाजपा की निगाहें टिकी हुई है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा एक यह ही चल रही है कि सचिन पायलट अगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हटाकर खुद इस सीट पर काबिज होना चाहते हैं।

लेकिन साथ ही सचिन पायलट मध्य प्रदेश की तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया की माफिक भाजपा में नहीं जाएंगे। बल्कि वह ‘थर्ड फ्रंट’ बना सकते हैं । यह थर्ड फ्रंट कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों के साथ ही भाजपा के विधायकों से मिलकर बनेगा। हालांकि, इस थर्ड फ्रंट के बनने की राह इतनी आसान भी नहीं है। क्योंकि विधायकों का आंकड़ा फिलहाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में ज्यादा दिखता है। जबकि सचिन पायलट अगर भाजपा के विधायकों के समर्थन से मुख्यमंत्री बनते हैं तो उनके लिए विधानसभा में बहुमत हासिल करना इतना आसान भी नहीं होगा।

गौरतलब है कि राजस्थान में भाजपा के 72 विधायक हैं। जबकि आरएलपी के 3 विधायक उन्हें समर्थन दे रहे हैं। इस तरह बीजेपी के इस खेमे में 75 विधायक हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के खुद के 107 विधायक हैं और निर्दलीय व अन्य छोटी पार्टियों के समर्थन से उसके पास 120 विधायक है। हालांकि गत दिनों हुए राज्य सभा चुनावों में कांग्रेस का आकडा 123 था। जबकि उसके दो विधायक बीमार होने के चलते अनुपस्थित थे।

राजस्थान में विधानसभा की स्ट्रेंथ 200 है। यानी बहुमत के लिए 101 सीट ही काफी है। कांग्रेस के पास खुद ही सामान्य बहुमत से ज्यादा सीटें हैं। भाजपा और कांग्रेस खेमे की तुलना करें तो उनमें 45 विधायकों का अंतर है। इस अंतर को पाट पाना फिलहाल सचिन पायलट के लिए संभव नहीं लग रहा है।

क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजनीति के मैदान में एक मंजे हुए खिलाडी माने जाते हैं। वह अपनी पारी जीतने के लिए कोई भी दांवपेंच आजमाकर कप्तान बनने में सबसे आगे रहते आए हैं। सूत्रों के अनुसार अभी भी उन्होंने अपने पास करीब 100 विधायकों का जमावडा लगाया हुआ है।

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