देश में कोरोना वायरस का कहर बढ़ते ही जा रहा है। इस जानलेवा वायरस के भय से लोग आम लोग से लेकर चिकित्सक तक भयभीत हैं। अस्पतालों में लापरवाही का आलम यह है कि एक महिला के गर्भ में ही जुड़वा बच्चों की मौत का मामला केरल के मल्लपुरम से आया है। कोरोना वायरस से संक्रमित होने के शक में एक के बाद एक तीन अस्पतालों ने महिला को भर्ती करने से इनकार कर दिया गया। स्वास्थ्य सुविधाएं समय पर नहीं मिलने के कारण महिला के गर्भ में ही जुड़वा बच्चों की मौत हो गई।
महिला के पति ने एनसी शेरिफ ने अस्पतालों पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उनके मुताबिक, 20 वर्षीय पत्नी शहाला के लेबर पेन शुरू होने के बाद वह उन्हें मंजरी मेडिकल कॉलेज लेकर गए,लेकिन वहां अस्पताल प्रशासन ने बेड नहीं होने की बात कहते हुए भर्ती करने से इनकार कर दिया। इसके बाद दो अन्य अस्पतालों ने भी केस नहीं लिया।आखिर में मंजरी मेडिकल कॉलेज में ही शहाला को भर्ती किया गया। कल 27 सितंबर शाम को सी-सेक्शन से डिलीवरी कराई गई। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गर्भ में ही जुड़वा बच्चों की मौत हो गई थी।
एनसी शेरिफ का आरोप है, ‘मंजरी मेडिकल कॉलेज ने कहा कि ये कोविड अस्पताल है और बेड खाली नहीं है। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने पत्नी को दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया। मेरी पत्नी लेबर पेन में तड़प रही थी। उसे लेकर मैं एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे अस्पताल दौड़ता रहा.’
शेरिफ के मुताबिक, सितंबर में उनकी पत्नी कोविड पॉजिटिव पाई गई थी। लेकिन 15 सितंबर को उनकी दूसरी रिपोर्ट नेगेटिव आई। जिसके बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। कुछ दिनों बाद ही उन्हें पेट में दर्द शुरू हुआ।
शेरिफ के मुताबिक, सितंबर में उनकी पत्नी कोविड पॉजिटिव पाई गई थी। लेकिन 15 सितंबर को उनकी दूसरी रिपोर्ट नेगेटिव आई। जिसके बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। कुछ दिनों बाद ही उन्हें पेट में दर्द शुरू हुआ।
जिसके बाद 18 सितंबर को डिलीवरी के लिए डॉक्टर से पहले ही संपर्क किया गया था। शेरिफ के मुताबिक, ‘शनिवार 26 सितंबर को जब पत्नी को एडमिट किया गया, तो प्राइवेट अस्पताल ने कोरोना की दूसरी टेस्ट रिपोर्ट को मानने से इनकार कर दिया। ये टेस्ट सरकारी अस्पताल में किया गया था। प्राइवेट अस्पताल ने डिलीवरी से पहले दोबारा आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने को कहा था।