19 सितम्कर को राजस्थान में भले ही दिखाने के लिए सत्ता और संगठन की संयुक्त बैठक हो गई हो, लेकिन सब जानते हैं कि जब तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट में तालमेल नहीं होगा, तब तक ऐसी बैठकों के कोई मायने नहीं है। इस बैठक में मौजूद दोनो पक्षो के लिए यहा तक कहा जा रहा है कि हाथी के दांत खाने के ओर दिखाने के ओर हुआ है।
लोकसभा चुनाव में हार के बाद गहलोत और पायलट के बीच की तल्खी सार्वजनिक हुई है। पायलट ने प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी प्रतिकूल टिप्पणियां की है। पायलट कई बार राजनीतिक नियुक्तियों का मुद्दा मुख्यमंत्री के समक्ष उठा चुके हैं। वहीं गहलोत के समर्थक एक व्यक्ति एक पद की मांग कर चुके है।
पायलट इस समय प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के साथ-साथ सरकार में डिप्टी सीएम के पद पर भी नियुक्त है। पायलट के समर्थक चाहते हैं कि वे दोनों पदों पर बने रहे, जबकि गहलोत के समर्थक पायलट से एक पद खासकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का लेना चाहते हैं।
अब यह देखना होगा कि दोनों पक्षों में पायलट के दोनों पदों को लेकर क्या सहमति बनी है। यदि अभी भी एक व्यक्ति एक पद की मांग होती रही तो फिर सत्ता और संगठन में तालमेल होना मुश्किल है। चूंकि आगामी दिनों में पंचायतीराज के चुनाव प्रदेश भर में बहुत महत्वपूर्ण हैं ।
ऐसे में देखना होगा कि सत्ता और संगठन के बीच किस प्रकार तालमेल होता है। इसमें कोई दो राय नहीं की गत विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस संगठन को मजबूती मिली थी।