वित्त मंत्री मिर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) ने बीते सोमवार को 6 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline) की घोषणा की। इस योजना में बिजली से लेकर सड़क(Road) और रेलवे (Railway) के क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर संपत्तियों को मोनेटाइज किया जाएगा।
‘नीति आयोग’ ने तैयार किया है यह पाइपलाइन
केंद्रीय बजट 2021-22 (Union Budget) में पेश किया गया ‘एसेट मोनेटाइजेशन’ के लिए जनादेश बनाकर और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े मंत्रालयों के परामर्श के बाद नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) बनाया गया है।जिसमें चार साल की अवधि के लिए केंद्र सरकार की मुख्य संपत्ति के माध्यम से 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान लगाया गया है।
इसका अर्थ ये हुआ कि सड़क और रेलवे सहित कई संस्थानों में सरकार के पास ऐसी संपत्तियाँ हैं, जिनका भरपूर उपयोग कर के कमाई नहीं की जा रही है। ऐसा आज से नहीं, दशकों से हो रहा है। अगर इन्हीं संपत्तियों पर निवेश जुटाए जाएँ और प्राइवेट सेक्टर के माध्यम से इन्हें कमाई का जरिया बनाया जाए तो जनता का भी फायदा होगा और सरकार की कमाई भी बढ़ेगी। इसीलिए, NMP सरकारी संपत्तियों का पूरा उपयोग कर इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास, जनता के फायदे और कमाई के लिए लाया गया है।
क्या है NMP?
NMP के तहत वित्तीय वर्ष 2022 से लेकर वित्तीय वर्ष 2025 तक की चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की मुख्य परिसंपत्तियों के जरिए 6 लाख करोड़ रुपए की कुल मुद्रीकरण (Monetisation) क्षमता का अनुमान लगाया गया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री(FINANCE MINISTER) ने पाइपलाइन को लॉन्च करते हुए कहा, “परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम पीएम मोदी के विजन से ही सटीक स्वरूप ले पाया है, जो सदैव भारत के समस्त आम नागरिकों के लिए बेहतरीन और किफायती बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं तक पहुँच में विश्वास करते हैं। मुद्रीकरण के माध्यम से सृजन के दर्शन पर आधारित परिसंपत्ति मुद्रीकरण का उद्देश्य नई बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं या अवसंरचना के निर्माण के लिए निजी क्षेत्र के निवेश का उपयोग करना है।”
यह रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है जिससे आर्थिक विकास की गति को तेज करने के साथ-साथ जनहित के लिए ग्रामीण(rural) और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को निर्बाध रूप से एकीकृत करना भी संभव हो सकेगा।” केंद्रीय वित्त मंत्री(Finance Minister) ने वर्तमान सरकार द्वारा बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं के त्वरित विकास और निजी क्षेत्र (private sector) के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए लागू किए गए कई सुधारों और पहलों के बारे में भी जानकारी दी।
मुद्रीकरण का मतलब बेचना नहीं
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य (main aim) संस्थागत और दीर्घकालिक पूँजी का उपयोग करके सार्वजनिक क्षेत्र की मौजूदा (Brownfield) इंफ्रास्ट्रक्चर में निहित निवेश (Investment) के मूल्य को हासिल करना है, जिसे आगे सार्वजनिक निवेश के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे फायदा ये होगा कि निजीकरण (Privatisation) या औने-पौने मूल्यों पर परिसंपत्तियों को बेचने के बजाय व्यवस्थित अनुबंधात्मक साझेदारी के जरिए वित्त प्राप्त करने की योजना तैयार की गई है।
निजी निवेश हासिल करने के लिए चेन्नई(Chennai), भोपाल(Bhopal), वाराणसी(Varanasi)एंव वडोदरा(Vadodara) सहित भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (AAI) के करीब 25 हवाई अड्डे, 40 रेलवे स्टेशनों, 15 रेलवे स्टेडियम और कई रेलवे कॉलोनी की पहचान की गई है। इन्हें निजी क्षेत्र के निवेश से विकसित किया जाएगा।
क्या है ये राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन ?
NMP का उद्देश्य सार्वजनिक परिसंपत्ति के मालिकों के लिए इस कार्यक्रम के सन्दर्भ में एक मध्यम-अवधि रोडमैप प्रदान करना है। इसके साथ ही निजी क्षेत्र की परिसंपत्तियों के बेहतर उपयोग के लिए उनकी वर्तमान स्थिति तथा संभावनाओं के बारे में भी जानकारी दी गयी है। NMP पर रिपोर्ट को दो खंडों में बाँटा गया है। खंड-I एक मार्गदर्शन पुस्तिका के रूप में है, जिसमें परिसंपत्ति मुद्रीकरण के वैचारिक दृष्टिकोण और संभावित मॉडल का विवरण दिया गया है। Part-2 में मुद्रीकरण के लिए वास्तविक रोडमैप दिया गया है, जिसमें केंद्र सरकार के तहत मुख्य अवसंरचना परिसंपत्तियों की पाइपलाइन शामिल है।
NMP के अंतर्गत चिह्नित संपत्तियाँ और लेनदेन कई साधनों के माध्यम से कार्यान्वित होने का अनुमान है। इनमें सार्वजनिक निजी भागीदारी छूट जैसे प्रत्यक्ष अनुबंधित साधन और अवसंरचना निवेश ट्रस्ट (इन्विट) जैसे पूंजी बाजार साधन आदि शामिल हैं। साधन का चयन सेक्टर, संपत्ति की प्रकृति, लेनदेन के समय (बाजार स्थितियों सहित), लक्षित निवेशक विवरण और परिचालन के स्तर/ संपत्ति के स्वामी द्वारा रखे जाने वाले निवेश नियंत्रण आदि के द्वारा तय किया जाएगा।
संपत्ति मुद्रीकरण प्रक्रिया के माध्यम से सार्वजनिक संपत्ति के स्वामी को अनुमानित रूप से मिलने वाला मूल्य, या तो अग्रिम स्रोत के रूप में हो सकता है या निजी क्षेत्र निवेश के रूप में मिल सकता है। NMP के अंतर्गत तय संभावित मूल्य सामान्य नियमों पर आधारित सिर्फ एक उच्च स्तरीय अनुमान है। यह संबंधित क्षेत्र के लिए लागू और उपलब्ध बाजार या लागत या बहीखाते या उपक्रम मूल्य आदि जैसे विभिन्न दृष्टिकोणों पर आधारित हैं।
जमीन नहीं बेचेगी केन्द्र सरकार
योजना के लॉन्च पर वित्त मंत्री (Finance Minister) ने कहा कि एसेट मोनेटाइजेशन (Asset Monetisation) में जमीन की बिक्री शामिल नहीं है, यह सिर्फ ब्राउनफील्ड संपत्तियों (Brownfield Assets) को मोनेटाइज करने से संबंधित है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस परियोजना में शामिल सेक्टर उनसे संबंधित रोड, रेलवे और पावर आदि की पहचान कर ली गई है।
वित्त मंत्री सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बताया कि NMP के जरिए वित्त वर्ष 2022 से लेकर वित्त वर्ष 2025 तक चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की संपत्तियों के माध्यम से कुल 6 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं।उन्होंने कहा कि इन संपत्तियों का मालिकाना हक सरकार के पास ही होगा और तय सीमा के बाद इन्हें वापस सरकार को लौटाना होगा।इस परियोजना से संपत्तियों के वैल्यू अनलॉकिंग (Value Unlocking) को बढ़ावा मिलेगा।
अंडर यूटिलाइज्ड संपत्तियों को किया जा रहा Monetise
वित्त मंत्री ने कहा कि नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन पूरी तरह से ब्राउनफील्ड संपत्तियों (Brownfield Assets) को मोनेटाइज करने से संबंधित है। इन क्षेत्रों में निवेश पहले से किया जा चुका है और निवेश या तो सुस्त है या पूरी तरह से मोनेटाइज नहीं है या फिर अंडर यूटिलाइज्ड है।
प्राइवेट भागीदारी लाकर हम इसे (Brownfield Assets) और भी बेहतर तरीके से मोनेटाइज करने लायक बना रहे हैं और इस मोनेटाइजेशन के माध्यम से आप जो भी रिसोर्सेज को प्राप्त करेंगे, उसे आप इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाने में और इन्वेस्ट करने में इस्तेमाल कर पाएंगे।