हाल में हुए मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर उपचुनाव में 19 पर बीजेपी ने बाजी मार सरकार बचा ली है। 28 में से 19 सीटें जीतकर राज्य में भाजपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली। ज्योतिरादित्य सिधिंया के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई थी। क्योंकि ज्योतिरादित्य सिधिंया के साथ कई विधायकों ने कांग्रेस को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था। जिसके बाद प्रदेश की 28 सीटें खाली हो गई थी। मध्यप्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें है। पहले बीजेपी के पास 107 सीटें थी। लेकिन उपचुनाव में 19 सीटें जीतने के बाद बीजेपी पूर्ण बहुमत में आ गई है। उपचुनाव में बीजेपी को मिली जीत ने साफ कर दिया है कि जनता ने शिवराज सिंह चौहन पर भरोसा जताया है। वहीं कांग्रेस को केवल 9 सीटें ही मिली।
कमलनाथ सरकार का चक्का जाम करने वाले ज्योतिरादित्य सिधिंया खेमे के 19 में से 13 विधायक जीते है। हालांकि ग्वालियर और चंबल जिसे सिधिंया का गढ़ कहा जाता है उन 16 सीटों पर कांग्रेस ने 7 सीटें जीती। बीजेपी की जीत के बाद सिधिंया का बीजेपी में कद और रुतबा दोनों बढ़़ गए है। सिधिंया खेमे के मंत्री इमरती देवी व गिर्राज दंडोतिया के साथ जसमंत जाटव, रणवीर जाटव, रघुराज कंसाना और मुन्नालाल गोयल हार गए। एक अन्य मंत्री एंदल सिंह कंसाना भी चुनाव हार गए हैं। खास बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी का असर चंबल-ग्वालियर में ही दिखाई दिया। यहां की 16 सीटों में से सात पर कांग्रेस को जीत मिली। बाकी जगहों पर मुख्यमंत्री शिवराज-सिंधिया की जोड़ी चली।
प्रदेश में अब कांग्रेस के पास 96 विधायक है बसपा, सपा और निर्दलिय 7 और 126 के बहुमत के आकड़े के साथ एक बार फिर बीजेपी मध्यप्रदेश की कमान संभाल रही है। उपचुनाव की रैलियों के दौरान नेताओं के भाषण काफी चर्चा में रहे, जिस मंत्री इमरती देवी को आइटम बोल कमलनाथ दुविधा में पड़े, जिसके बाद सारा चुनाव प्रचार इसके इर्द-गिर्द घूमां, वहीं अपनी सीट न बचा सकी। पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर डबरा से ही 57,446 वोटों से जीतने वाली इमरती देवी को 7633 वोटों से कांग्रेस के सुरेश राजे ने हराया।
उपचुनाव में सबसे छोटी जीत भांडेर से बीजेपी प्रत्य़ाशी रक्षा सिरोनिया को मिली। जीत का अंतर 161- 57,043 वोट हासिल किए, कांग्रेस के बरैया को 56,882 मिले। सबसे बड़ी जीत भाजपा के सांची से प्रत्य़ाशी प्रभुराम चौधरी को मिली। जीत का अंतर 63809- 1,16,577 वोट हासिल किए, कांग्रेस के मदनलाल को 52768 वोट मिले। सिंधिया ने जब पार्टी बदली, 22 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ी थी। इनमें 19 सिंधिया समर्थक थे। तीन को भाजपा ने तोड़ा था। ये तीन थे- एदल सिंह कंसाना, बिसाहू लाल और हरदीप डंग। सिंधिया गुट के 19 में से 6 हारे। जीते तेरह। शिवराज गुट के 9 में से तीन हारे। जीते छह। 229 की मौजूदा क्षमता में बहुमत के लिए 115 चाहिए। सिंधिया गुट को छोड़ भाजपा अब 107+6=113 हो गई है। उसे 2 की ही जरूरत होगी। अन्य सात में से एक निर्दलीय और बसपा के दो विधायक भाजपा के पक्ष में हैं।