संसद का बजट सत्र इस दफे आपातकाल के दौरान चले नसबंदी अभियान के नारे ‘हम दो-हमारे दो’ से गुंजायमान रहा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस नारे का स्मरण कराते हुए प्रधानमंत्री पर तीखा हमला बोला। कृषि कानूनों को बड़े उद्योगपतियों के हित में लाए गए कानून बताते हुए राहुल ने पीएम मोदी के कथित तौर पर निकट समझे जाने वाले दो प्रमुख उद्योगपतियों मुकेश अंबानी और गौतम अडानी का नाम लिए बगैर केंद्र सरकार की हर नीति पर इन दोनों के हित साधे जाने का आरोप लगा डाला। राहुल इससे पहले भी मोदी सरकार को ‘सूट-बूट’ वालों की सरकार कह चुके हैं। गौरतलब है कि मुकेश अंबानी और गौतम अडानी समूह तीन वर्ष पूर्व ही कøषि क्षेत्र में व्यापार करने के अपने इरादों को सार्वजनिक कर चुके हैं। अडानी समूह ने फूड काॅरपोरेशन आफ इंडिया के साथ मिलकर अनाज भंडारण केंद्र भी बना डाले हैं। ऐसे में राहुल गांधी के प्रहारों ने जहां भाजपा के भीतर तो भारी बौखलाहट पैदा कर डाली, प्रधानमंत्री मोदी लेकिन विचलित होने के बजाय लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान सीधे तौर पर उद्योग जगत का साथ देते नजर आए। उन्होंने बगैर लाग-लपेट उद्योगपतियों को ‘वेल्थ क्रिएट्र्स’ का तमगा देते हुए कह डाला कि भारत की तरक्की में सबसे बड़ा योगदान इन ‘वेल्थ क्रिएट्र्स’ का है। पीएम ने पंजाब में रिलायंस के मोबाइल टावरों को तोड़े जाने की घटनाओं की भी निंदा की। प्राइवेट सेक्टर के पक्ष में बोलते हुए पीएम ने कहा कि ‘क्या सब कुछ बाबू ही करेंगे? नौकरशाह सरकार काम भी चलाएंगे, फर्टिलाइजर प्लांट भी वही चलाएंगे, हवाई हजार भी चलाएंगे? यह कैसा देश हमने बना डाला है?’ स्पष्ट है कि पीएम मोदी भाजपा के संस्थापकों अटल-आडवानी और मुरली मनोहर की नीतियों से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। वे खुलकर काॅरपोरेट जगत के साथ खड़ा होने के लिए तैयार नजर आ रहे हैं। ऐसे में भाजपा के भीतर असंतोष के स्वर उभरने के संकेत मिलने लगे हैं। हरियाणा के कद्दावर नेता और मोदी सरकार के पहले टर्म में मंत्री रह चुके राव विरेंद्र सिंह किसान आंदोलन को समर्थन दे चुके हैं। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और पूर्वी उत्तर प्रदेश के भाजपा नेताओं को भारी भय सताने लगा है कि यदि किसान आंदोलन लंबा चला तो उसका कोर वोट बैंक हाथ से निकल जाएगा। हालांकि खुलकर बोलने को कोई तैयार नहीं लेकिन ऐसे सभी नेता मोदी सरकार के अड़ियल रुख के चलते भारी बेचैनी महसूस करने लगे हैं। इस बीच हरियाणा में खट्टर सरकार को समर्थन दे रही जननायक जनता पार्टी के भीतर भी बगावत के पूरे आसार बन चुके हैं। पार्टी के विधायक खुलकर किसान आंदोलन का समर्थन तो कर ही रहे हैं, अपने नेता दुष्यंत चैटाला पर सरकार से समर्थन वापस लेने का दबाव भी वे लगातार बढ़ाते जा रहे हैं। पूरी संभावना है कि ‘हम दो-हमारे दो’ का नारा न केवल हरियाणा में बड़ाराजनीतिक भूचाल ला सकता है, बल्कि पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु में भी भाजपा के खिलाफ जनमानस को तैयार कर सकता है।
‘हम दो-हमारे दो’ बनाम वेल्थ क्रिएट्र्स
