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मध्यप्रदेश में भाजपा-कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर

मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव सम्पन्न हो चुका है। उपचुनाव में 69.93 प्रतिशत मतदान हुआ। अगर विधानसभा चुनाव 2018 की बात करें तो उपचुनाव में तीन प्रतिशत की गिरावट आई है। अनुमान लगाया जा रहा था कि कोरोना महामारी के चलते लोग कम मतदान करेंगे, लेकिन कोरोना पर लोकतंत्र भारी पड़ा। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब बारी है उनके रिजल्ट की। लेकिन रिजल्ट से पहले यह समझना बहुत जरुरी है कि अगर कांग्रेस ने दोबारा सत्ता पर काबिज होना है तो क्या उसे 28 सीटों में कितनी जीतनी होगी। मध्यप्रदेश की विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। जिनमें से 107 सीट भाजपा के पास है और 87 सीट कांग्रेस के पास। कांग्रेस के एक दमोहा से विधायक राहुल लोधी ने इस्तीफा दे दिया है। अब कुल सीटें बची 229, अगर कांग्रेस 28 के विधायक जीतते है तो वह एकल सरकार बना सकती है। लेकिन कांग्रेस 21 सीटें जीतती है तो उसे सरकार बनाने के लिए बपसा सपा और निर्दलियों का साथ जरुरी होगा। इस बार प्रदेश की सात सीटों पर मतदान प्रतिशत बढ़ा। बाकी बची आठ सीटों पर 2018 विधानसभा चुनावों के मुकाबले कम रहा। तुलसी सिलावट की सांवेर सीट और गोविंद सिंह राजपूत की सुरखी सीट पर मतदान कम हुआ, पंरतु वहीं दूसरी तरफ सुरेश धाकड़ की पोहरी सीट पर 0.1 प्रतिशत बढ़ा।

ग्वालियर सीट पर 10.3 प्रतिशत मतदान पिछले चुनावों की तुलना में कम हुआ। इस सीट पर पिछली बार 58 प्रतिशत मतदान हुआ था। लेकिन इस बार 48 प्रतिशत मतदान हुआ है। जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनमें से केवल आगर सीट पर भाजपा का कब्जा था बाकी सभी सीटों पर कांग्रेस विधायक जीतें थे। लेकिन मनोहर ऊंटवाल के निधन के बाद यह सीट रिक्त हो गई थी। ब्यावरा और जौरा सीटें कांग्रेसी विधायकों की मृत्यु के बाद खाली हुई थी। कांग्रेस ने उपचुनाव होने के बाद ईवीएम पर दोष मड़ना शुरु कर दिया है। हालांकि कुछ हद तक कांग्रेस का दोष लगाना सही है क्योंकि मतदान के दौरान 47 ईवीएम खराब हो गई थी। जिनको लेकर कांग्रेस भाजपा पर हमलावार हो रही है।
बीजेपी ने ज्यादातर टिकट कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए विधायकों को दिए है। जिनमें से ज्यादतर सिधिंया समर्थक हैं। बदनावर से राज्यवर्धन दत्तीगांव, सांची से प्रभुराम चौधरी, डबरा से इमरती, मुंगावली से बृजेंद्र यादव, अनूपपुर से बिसाहूलाल, बमौरी से महेंद्र सिसौदिया, सुमावली से ऐंदल कंसाना, सुवासरा से हरदीप डंग, मेहगांव से ओपीएस भदौरिया, दिमनी से गिर्राज दंडौतिया, ग्वालियर से प्रद्युम्न तोमर।

इस बार उपचुनाव में सबसे ज्यादा वोटिंग करैरा और पोहरी विधानसभा सीटों पर हुई, जहां बताया जा रहा है कि आजादी के सबसे ज्यादा वोटिंग हुई है। करैरा में 73.68% और पोहरी में 76.02% मतदान हुआ है, जो अंचल की 13 सीटों में सबसे ज्यादा है। जिले में पोहरी के बूढ़दा गांव में दोनों पोलिंग बूथों पर 1511 में से एक भी मतदाता वोट डालने नहीं गया। अपर ककैटो बांध का पानी गांव में भर जाने से ग्रामीण आठ साल से परेशान हैं। समाधान नहीं निकलने पर पूरे गांव में मतदान का बहिष्कार किया है। गांव वाले आगे आर-पार की लड़ाई के मूड में नजर आ रहे हैं। उपचुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा और कांग्रेस के लिए लाज बचाने वाला रहा है। यही वजह है कि कांग्रेस से ज्यादा भाजपा ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी। लोग प्रभावित हुए और कोरोला काल के बावजूद लोग मतदान करने पहुंचे। बता दें कि शिवराज सिंह ने गांव-गांव सभाएं लीं। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कई सभाएं लीं। वहीं कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की दोनों सीटों पर एक-एक सभा रही।

उपचुनाव में नेताओं के बोल भी बिगड़े। भाजपा कांग्रेस के विधायक यहां एक दूसरी की कमियां निकालते-निकालते कब अपनी मर्यादी भाषा को भूल गए यह उन्हें भी नहीं पता चला। कमलनाथ जो प्रदेश के पू्र्व सीएम रह चुके है। उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाली इमरती देवी को आईटम बोल दिया था। जिसके बाद भाजपा लगातार कांग्रेस पर तंज कसती रही। आईटम बोलने पर बीजेपी नेता और प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष को सोनिया गांधी को चिट्ठी भी लिखी थी। आयोग ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस मामले में नोटिस भेजा था। साथ ही आयोग ने कमलनाथ को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया था और कहा था कि वह इस दौरान अपना स्पष्टीकरण आयोग के समक्ष दें।
इस मामले में खुद कांग्रेस नेता राहुल गांधी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से नाराजगी जताई थी। इसके बावजूद भी कमलनाथ माफी मांगने को तैयार नहीं हुए थे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस मामले पर धरना प्रदर्शन किया और देश में महिलाओं की मान सम्मान और इज्जत की दुहाई देकर कांग्रेस की जमकर घेराबंदी की थी।

ऐसा नहीं है कि केवल कांग्रेस विधायकों के बोल बिगड़े थे, भाजपा विधायकों ने भी अपनी भाषा की मर्यादा को तोड़ा। मध्य प्रदेश सरकार में भाजपा के मंत्री बिसाहूलाल ने अनूपशहर से कांग्रेस प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह कुंजाम की दूसरी पत्नी को रखैल तक बता दिया। जहां चुनावों में लोगों के हितों महिलाओं के सम्मान की बात होती है पंरतु इस बार मुद्दों की बजाय एक दूसरे पर कीचड़ फेंकने पर जोर रहा। ऐसे मामलों पर जहां चुनाव आयोग को सख्ती दिखानी चाहिए थी। चुनाव आयोग यह कहकर पल्ला झाड़ता रहा कि सभी मामलों को उन्होंने दिल्ली में निर्वाचन आयोग के पास भेज दिया है।

चुनाव के दौरान कुछ ईलाकों में हिंसक घटनाएं भी हुई, मेहगांव में दिनभर शिकायतें सामने आती रहीं। भाजपा प्रत्याशी ओपीएस भदौरिया के गृहग्राम अकालौनी के इंदिरा नगर पोलिंग बूथ पर सुबह के समय पीठासीन अधिकारी राजेंद्र परिहार ने लोगों को बिना स्याही लगाए ही वोट डालकर जाने दिया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बूथ के अंदर जाकर ऐसा करने से रोका। इसके बाद परिहार मतदाताओं की अंगुली पर स्याही लगवाने लगे। इसकी शिकायत कांग्रेस ने कलेक्टर से की है। लिलोई के पोलिंग बूथ पर असामाजिक तत्वों ने ईवीएम तोड़ दी। जानकारी मिलते ही मौके पर कलेक्टर वीरेंद्र रावत और एसपी मनोज सिंह पुलिस बल के साथ पहुंचे। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक आरोपियों पर मामला दर्ज नहीं होगा, तब तक हम मतदान नहीं करेंगे।

प्रदेश की राजनीति में उस समय भूचाल आया जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। इतना ही नहीं उन्होंने कमलनाथ सरकार तक को गिरा दिया था। उनके साथ कांग्रेस के 25 विधायकों ने अपना इस्तीफा दे दिया था। उपचुनाव संम्पन होने के बाद कांग्रेस ने ईवीएम को लेकर भाजपा पर आरोप लगाना शुरु कर दिया है। आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा के नेता और सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कांग्रेस अपनी पराजय का ठीकरा एक बार फिर ईवीएम पर फोड़ने को तैयार है! यह वही ईवीएम है जिससे 2018 में छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नतीजे आए, तब ईवीएम ठीक थी लेकिन अब, जब पराजय सामने दिख रही है, तो उसे दोष देना कांग्रेस के नेताओं ने प्रारम्भ कर दिया है। क्या दोबारा कांग्रेस सत्ता में वापसी करेंगी या बीजेपी ही सत्ता पर काबिज रहेगी, इसका फैसला रिजल्ट आने के बाद ही होगा।

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