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आखिरकार अतीक के खौफ का हुआ अंत

 

मंगलवार को एमपी-एमएलए कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, उस दौरान कोर्ट रूम और उसके बाहर कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी। हाई सिक्योरिटी के तहत अतीक और उसके भाई अशरफ को नैनी सेंट्रल जेल से ले आया गया था। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दोनों को अलदग-अलग प्रिजन वैन से कोर्ट में ले आया गया था।

अतीक और उसके भाई की पेशी के लिए सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की गई है. कोर्ट को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। वहीं उमेश पाल की पत्नी ने मीडिया से बातचीत करते हुए मांग किया कि अतीक अहमद को कोर्ट फांसी की सजा सुनाए. अपहरण मामले की सुनवाई को लेकर अतीक अहमद को गुजरात के साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया। वहीं उसके भाई अशरफ को बरेली सेंट्रल जेल से प्रयागराज लाया गया। दोनों भाइयों को नैनी जेल के हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया।

आरोप है कि साल 2006 में 28 फरवरी को बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में गवाह उमेश पाल को पूर्व सांसगस अतीक अहमद, उसका भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ अपने साथियों के साथ अपहरण कर अपने कार्यालय में ले गए थे। उमेश पाल ने अतीक अहमद सहित पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया था।

इस मामले में मुख्य आरोपी पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसका भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम और फरहान जेल में बंद हैं. जबकि दिनेश पासी, खान सौलत हनीफ, जावेद उर्फ बज्जू, आबिद, इसरार, आशिक उर्फ मल्ली और एजाज अख्तर जमानत पर बाहर हैं। इस मामले में दोषी पाए जाने पर अतीक को उम्रकैद हो सकती है।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की हत्या की गई थी। इस हत्याकांड में देवीलाल पाल और संदीप यादव भी मारे गए थे। राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल का 28 फरवरी 2006 को अपहरण कर लिया गया था। यह अपहरण अतीक अहमद ने धूमनगंज थाना क्षेत्र के फांसी इमली में किया था। इस क्षेत्र से उमेश पाल को लैंड क्रूजर वाहन उठा ले गई थी। इसके बाद अपहरण करने वाले अतीक अहमद के द्वारा उमेश पाल की ओर से जबरन उसके पक्ष में बयान दिया गया कि ‘वह मौके पर मौजूद नहीं है और किसी तरह की गवाही नहीं देना चाहता है।’

उस समय यूपी में सपा सरकार और अतीक के सत्ताधारी दल के सांसद होने के कारण उमेश पाल की प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई थी। साल 2007 में राज्य में बसपा की सरकार बनने के बाद उमेश पाल ने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। उमेश पाल ने धूमनगंज थाने में पांच जुलाई 2007 को बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद, भाई अशरफ, दिनेश पासी, अंसार अहमद उर्फ अंसार बाबा, खान सौलत हनीफ, जावेद, फरहान, इसरार, आबिद प्रधान, आशिक उर्फ मल्ली ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी. और एजाज अख्तर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इसमें एक आरोपी अंसार अहमद उर्फ अंसार बाबा की मौत हो गई है।

इसके बाद 2009 में अदालत ने आरोपी के खिलाफ आरोप तय किया और मामले की सुनवाई शुरू की। 2016 में भी उमेश पाल को न केवल कोर्ट परिसर की चौथी मंजिल से फेंकने का प्रयास किया गया, बल्कि अतीक और अशरफ की मौजूदगी में उमेश पाल के अपहरण का भी प्रयास किया गया। पीएसी बुलाई जाती तो उमेश पाल की जान बच सकती थी। इस मामले में कर्नलगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. आरोपी अतीक अहमद मामले को प्रभावित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट गया था। मामले की सुनवाई रोकने की मांग की गई। उमेश पाल ने मामले के जल्द निस्तारण की मांग को लेकर हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।

उमेश पाल की हत्या की गई थी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई दो महीने में 16 मार्च 2023 तक पूरी करने का आदेश दिया। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 8 गवाह पेश किए। खास बात यह है कि उमेश पाल अपहरण के 8 आरोपी वही हैं जो राजूपाल हत्याकांड में भी आरोपी थे. 24 फरवरी को इस मामले की पैरवी करके लौटने के बाद उमेश पाल की हत्या कर दी गई थी. फायरिंग और बमबाजी में उमेश पाल की सुरक्षा में तैनात दो सरकारी गनर भी शहीद हो गए। उमेश पाल अपहरण मामले में धूमनगंज थाने में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 364ए, 341, 342, 504, 506, 120बी और 7सीएलए एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.

आजीवन कारावास या मृत्युदंड से दंडित किया जा सकता है
इन धाराओं में 5 से अधिक लोगों को हथियार से पीटने, बंधक बनाने, गाली-गलौज व जान से मारने की धमकी देकर अपने पक्ष में गवाही कराने का मामला दर्ज किया गया है. कानून के जानकारों के मुताबिक इन धाराओं में अतीक अहमद को उम्रकैद या मौत की सजा भी हो सकती है. उमेश पाल अपहरण मामले में अगर अतीक अहमद और अशरफ को सजा मिलती है तो पहले मामले में यह सजा होगी. राजू पाल हत्याकांड के 8 गवाहों पर दबाव बनाकर अतीक अहमद ने बयान बदलवा लिया. बसपा की सरकार बनने के बाद उमेश पाल के अलावा अन्य गवाहों ने भी प्राथमिकी दर्ज कराई थी. सादिक, सैफुल्ला और महेंद्र सिंह पटेल ने भी प्राथमिकी दर्ज कराई थी। महेंद्र सिंह पटेल राजू पाल का ड्राइवर था। इसके मामले की सुनवाई अभी चल रही है।

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