सर्दियों की शुरुआत के साथ ही देश में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है। इसी बीच सामने आ रही ख़बरों के अनुसार बिहार की हवा दिन प्रतिदिन जहरीली होती जा रही है। हालही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार देश के सबसे प्रदूषित शहरों में से दो तिहाई बिहार के शहर हैं।
आंकड़ों के अनुसार पिछले दिनों बिहार के बेगूसराय में 379, बक्सर में 378, छपरा में 316, दरभंगा में 354, कटिहार 327, पटना में 322, पूर्णिया में 317, सहरसा 327, समस्तीपुर 357 का एयर क्वालिटी इंडेक्स दर्ज किया गया था। इस समय इनमे से अधिकतर शहर रेड जोन में हैं। यह आंकड़ा बेहद चौका देने वाला है क्योंकि सबसे प्रदूषित शहरों के बारे में सोचने पर सबसे पहले दिल्ली या नॉएडा जैसे शहरों का नाम सामने आता है। लेकिन यह आंकड़े कुछ और ही दिखा रहे हैं।
बिहार के शहरों में प्रदूषण बढ़ने के कारण
बिहार के शहरों में प्रदूषण के बढ़ने के कई कारण बातये जा रहें हैं; बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष अशोक कुमार का कहना है कि राज्य में प्रदूषण के स्तर के बढ़ने का कारण कुछ हद तक राज्य की भौगोलिक संरचना भी है। क्योंकि राज्य के कुछ भागों के अलावा अधिकतर स्थानों पर एल्युवियल मृदा पाई जाती है, जो आसानी से धूलकण के रूप में परिवर्तित हो जाती है। बिहार के कई क्षेत्रों में बाढ़ अधिक आने के कारण उत्तर बिहार के एक बड़े भूभाग में बाढ़ के पानी के साथ-साथ सिल्ट भी आ जाता है। सर्दियों के मौसम में वही सिल्ट धूलकण बनकर हवा में फैलने लगता है। गर्म हवा ऊपर चली जाती है और ठंडी हवा नीचे आने लगती है। जिसके कारण ऊपर की तरफ फैले धूल के कण भी ठंडी हवा के साथ नीचे आने लगते हैं और नीचे आकर उन्हें फैलने की जगह नहीं मिलती और वह कण धुंध की तरह नीचे ही ठहर जाते हैं। वहीं प्रदुषण के बढ़ने का एक दूसरा बड़ा कारण राज्य के लोगों में प्रदूषण को लेकर जागरूकता की कमी भी बताई जा रही है। ख़बरों के अनुसार पेड़ों की कटाई, शहर के अंदर कचरे को जलाना, सड़क-पुल या भवन निर्माण आदि में निर्धारित मानदंडों का पालन नहीं करना, निर्माण सामग्रियों का बिना ढंके परिवहन भी उन वजहों में शामिल हैं, जिनसे वायु गुणवत्ता सूचकांक में खतरनाक स्तर तक वृद्धि होती है। एक अन्य कारण उत्तर प्रदेश में जलाई जा रही परलियाँ भी हैं जिस पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद रोक नहीं लगाई जा सकी है हालांकि पिछले वर्षों की तुलना में इस प्रकार के मामलों में कुछ हद तक कमी आई है। लेकिन पराली जलाना भी बिहार के शहरों में प्रदूषण के बढ़ने का महत्वपूर्ण कारण हो सकता है।विशेषज्ञ अरुण कुमार का कहना है कि ‘सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी बढ़ गई है और अधिक निर्माण कार्य चल रहे हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है। सर्दियों के समय में तापमान उलटाव की स्थिति में प्रदूषण होने की संभावना अधिक होती है। इन सबके बावजूद, हम बिहार में प्रदूषण की स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और इस प्रथा को हतोत्साहित करने के लिए पराली जलाने पर नजर रख रहे हैं।’