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अयोध्या में राम मंदिर पर राजनीति, अब मंदिर के मुहूर्त को संतों ने बताया अशुभ

अयोध्या में राम मंदिर पर राजनीति, अब मंदिर के मुहूर्त को संतों ने बताया अशुभ

राम मंदिर पर राजनीति बहुत पुरानी बात है । जब से राम मंदिर के निर्माण का उद्घोष हुआ है तब से ही राजनीति के नए-नए पैंतरे सामने आते रहे हैं । हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता खुल गया है। इसके मद्देनजर ही 5 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे ।

लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस भूमि पूजन को संत समाज में अशुभ माना जा रहा है । जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के साथ ही आचार्य प्रमोदन ने राम मंदिर के मुहूर्त को शुभ नहीं बताया है । इसी के साथ ही मंदिर की नींव पड़ने से पहले ही संतों का विरोध शुरू हो गया है।

जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने तो यहां तक कहा है कि मंदिर निर्माण से पहले जनता की सलाह लेनी चाहिए थी। इसके पीछे यह तर्क देते हुए कहते हैं कि जब मंदिर के निर्माण में जनता का पैसा लगना है तो जनता की राय सुमारी बहुत जरूरी है ।

इसी के साथ ही उन्होंने कहा कि मंदिर का मुहूर्त का शिलान्यास हो रहा है वह घड़ी सही नहीं है। यह अशुभ घड़ी है । उन्होंने कहा कि राम मंदिर कोई भी बनाए हमें खुशी होगी। लेकिन उसके लिए उचित तिथि और शुभ मुहूर्त होना चाहिए था जो नहीं हुआ।

वह कहते हैं कि राजनीति के चलते ही हिंदुओं के मुद्दे खटाई में पड़ जाते हैं। इसलिए राम मंदिर निर्माण में राजनीति नहीं होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि भगवान राम का मंदिर कंबोडिया के अंकोरवाट की तरह विशाल बनना चाहिए। इसके लिए जनता की राय ली जानी चाहिए थी कि भगवान राम का मंदिर का मॉडल कैसा हो।

दूसरी तरफ आचार्य प्रमोदन ने एक ट्वीट करके कहा कि मैं ज्योतिषाचार्य नहीं हूँ पर इतना अवश्य जानता हूँ कि श्री हरि विष्णु शयन काल में मंदिर निर्माण का मुहूर्त कोई विद्वान ब्राह्मण नहीं निकाल सकता।उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम हमारी आस्था के आधार हैं, इस लिये प्रत्येक कार्य विधि विधान से “शास्त्र” सम्मत होना चाहिये “राजनैतिक” दृष्टिकोण से नहीं।

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