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जय श्री राम और जय सियाराम पर सियासत

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के जरिए 12 राज्यों के भ्रमण पर है। इस यात्रा का मकसद न सिर्फ 2024 की चुनौती को पार करना है बल्कि अपनी छवि और कुनबे को मजबूत करना भी है,लेकिन इस बीच उन्होंने भाजपा और आरएसएस को नसीहत देते हुए कहा कि वे जय सिया राम की जगह जय श्री राम बोलते हैं। उनके इस बयान के बात वे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद और ब्रजेश पाठक सहित कई भाजपा नेताओं के निशाने पर आ गए है।

 

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का कहना है कि राहुल गांधी नाटक मंडी के नेता हैं। वो कोट के ऊपर जनेऊ पहनते हैं। उनको भारत की संस्कृति के बारे में कुछ नहीं पता है। बस गली-गली दौड़ रहे हैं,क्योंकि जनता ने इनको नकार दिया है। वहीं केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा है कि भगवान श्रीराम के अस्तित्व को नकारने वाले कांग्रेस के सांसद श्री राहुल गांधी जी को जय श्री राम न सही, भाजपा ने जय सियाराम बोलने के लिए विवश कर दिया है, यह भाजपा की वैचारिक विजय और कांग्रेसी विचारधारा की हार है। इसके अलावा एमपी के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा- राहुल बाबा का ज्ञान, बाबा-बाबा ब्लैक शीप तक ही सीमित है। अरे भाई राम की शुरुआत श्री से ही होती है और श्री जो हैं, वह विष्णु भगवान जी की पत्नी लक्ष्मी और सीता जी के लिए ही इस्तेमाल होता है… जरा खोल कर तो देख लें इतिहास। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि रामायण बुक पढ़ेंगे नहीं और गीता के पन्ने शायद उन्होंने पलटे ही नहीं होंगे तो इंटरनेट पर देख लें उसमें श्री का उल्लेख है। श्री राम और कृष्ण विष्णु जी के अवतार हैं और इसलिए उनके नाम के आगे श्री लगता है। मुझे लगता है आपको यह बात उन्हीं पंडित जी ने बताई होगी, जिन्होंने मंदिर का केक बनाकर कमलनाथ जी से केक कटवाया था।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि हमारे जो आरएसएस के मित्र हैं, उनको मैं कहना चाहता हूं कि जय श्री राम जरूर बोलें, लेकिन जय सिया राम और हे राम, तीनों का प्रयोग कीजिए और सीता जी का अपमान मत कीजिए।सीता के बिना भगवान राम का नाम अधूरा है -वो एक ही हैं इसलिए हम ‘जय सियाराम’ कहते हैं। भगवान राम सीता जी के लिए लड़े थे। हम जय सिया राम जपते हैं और महिलाओं को सीता का स्वरूप मान उनका आदर करते हैं। ‘जय सिया राम’ इतना ही नहीं राहुल गांधी ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश में एक पंडित मेरे पास आए और समझाया फिर उन्होंने मुझसे गहरा सवाल किया,उन्होंने कहा कि जो भगवान राम थे, वो तपस्वी थे। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी तपस्या में डाल दी थी। फिर उन्होंने कहा कि गांधीजी हे राम कहते थे। उनका नारा था हे राम था। हे राम का मतलब, राम एक जीने का तरीका हैं। वो केवल एक व्यक्ति नहीं थे वो एक जिंदगी जीने का तरीका था- प्यार, भाईचारा , इज्जत, तपस्या है,उन्होंने पूरी दुनिया को जीने का तरीका दिखाया है। गांधी जी जब हे राम कहते थे तो उनका मतलब था जो भगवान राम हैं वो भावना हमारे दिल में है और उसी भावना को लेकर हमें जिंदगी जीनी है। हे राम का मतलब जिस तरह से भगवान राम ने अपनी जिंदगी जी, जो उन्होंने तपस्या की, प्यार फैलाया, जो उन्होंने समाज के लिए काम किया वैसे ही अपनी जिंदगी जीना है।

फिर पंडित जी ने कहा दूसरा नारा- जय सिया राम है। जय सीता जय राम का मतलब सीता और राम एक ही हैं। इसलिए नारा है- जय सियाराम या जय सीताराम,मतलब जो राम ने सीता के लिए किया, सीता के लिए लड़े और तीसरा नारा है जय श्री राम – जिसमें हम राम भगवान की जय करते हैं। भाजपा और आरएसएस के लोग भगवान राम की भावना को नहीं अपनाते क्योंकि भगवान राम ने जो जिंदगी जी, किसी के साथ अन्याय नहीं किया है। समाज को जोड़ने का काम किया, सबको इज्जत दी, सबकी मदद की और सबसे जरूरी नारा जय सियाराम तो कर ही नहीं कर सकते क्योंकि उनके संगठन में एक भी महिला नहीं है। तो वो तो राम का संगठन ही नहीं है क्योंकि उनके संगठन में सीता नहीं आ सकती है,उन्हें तो बाहर कर दिया गया है।

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