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MLA और तहसीलदार की लड़ाई से गरमाई सियासत, CM दरबार पहुंचा मामला

राजस्थान की राजनीति में तूफान आते ही रहते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही गहमागहमी अभी शांत नहीं हुई है । कुछ दिनों पहले भाजपा की एक सांसद की गाड़ी पर लोगों द्वारा हमला किया जाने की बात पर भी सत्ता पक्ष और विपक्ष की राजनीति खत्म नहीं हुई थी कि इस दौरान एक नया विवाद शुरू हो गया है। जिसमें कांग्रेस के एक विधायक और तहसीलदार आमने – सामने आ गए हैं। यही नहीं बल्कि यह मामला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा था । हाईकोर्ट के बाद अभी है मामला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दरबार में जा पहुंचना है। इस मामले में राजस्थान की सियासत गरमा गई है।

पूर्व में कई बार विवादों में रह चुके भीलवाड़ा के मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक रामलाल जाट एक फिर विवादों के घेरे में आ गये हैं। उन पर महिला तहसीलदार को फोन पर धमकाने और अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगा है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से की गई है।

विधायक रामलाल जाट का आराेप है कि तहसीलदार जनता के काम नहीं करती हैं। जाट का तर्क है कि जनता के काम ताे बताने ही पड़ेंगे, लेकिन इसमें अभद्रता जैसा कुछ नहीं हुआ है। इस मामले में तहसीलदार झा काे राजस्व मंडल ने 21 मई काे एपीओ कर दिया था, लेकिन हाईकाेर्ट से स्टे मिलने पर उन्हाेंने दो दिन पूर्व हुरड़ा में कार्यभार संभाल लिया है। दाेनाें के बीच विवाद एक जमीन के नामांतरण मामले से जुड़ा है।

बताया जाता है कि तहसीलदार के पास कुछ लाेग नकल लेने आ रहे थे, लेकिन उन्हें नकल नहीं मिली इसलिए यह विवाद हुआ है। हालांकि तहसीलदार ने कहा कि नकल में देरी का काेई मामला नहीं है। तहसीलदार ने रामलाल जाट पर धमकाने और गालियां देने का आरोप लगाया है। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

इस मामले में राजस्थान तहसीलदार सेवा परिषद एसोसिएशन विधायक जाट के खिलाफ लामबंद हो गई है। एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख जाट के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

तहसीलदार सेवा परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष विमलेन्द्र राणावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे पत्र में घटनाक्रम को ब्यौरा देते हुये कहा कि हुरड़ा तहसीलदार स्वाती झा 21 मई को अपने कार्यालय में सरकार कामकाज निबटा रही थी। इस दौरान तीन व्यक्ति आये और नायब तहसीलदार से अविलंब नकल तैयार करने का दबाव बनाया। इस दौरान उन्होंने वहां अनर्गल बातचीत शुरू कर दी। कुछ देर बाद वे तीनों व्यक्ति फिर आये तहसीलदार स्वाती झा पर फोन से मांडल विधायक रामलाल जाट से बात करने का दबाव बनाया।

परिषद अध्यक्ष का आरोप है कि फोन पर विधायक रामलाल ने तहसीलदार स्वाती झा से अमर्यादित और अभद्र तरीके से बातचीत कर धमकाया। उसके कुछ ही घंटों के बाद राजस्व मंडल ने स्वाती झा को पदस्थापन की प्रतीक्षा में रखते हुये एपीओ करने के आदेश जारी कर दिये। उसके बाद वे व्यक्ति तहसीलदार के निवास पर पहुंचे और वहां काम करने वाले दलित व्यक्ति के साथ मारपीट की। इसकी रिपोर्ट गुलाबपुरा थाने में दी गई है।

याद रहे कि वर्ष 2011 के पारस देवी कांड में भी जाट का नाम आ चुका है। तब जाट राज्य में मंत्री हुआ करते थे। इसी बीच भीलवाड़ा में पारस देवी नाम की महिला की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। रामलाल जाट पर आरोप लगा कि उन्होंने लाश का पोस्टमार्टम नहीं होने दिया और लाश को यूं ही मुर्दाघर में रखवा दिया। बाद में मृतक के परिजनों के हस्तक्षेप से पोस्टमार्टम हुआ। लेकिन भंवरी देवी कांड के बीच ये कांड भी दबकर रह गया। भाजपा ने तो इस मामले की सीबीआई जांच तक कराने की मांग की थी।

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