महाराष्ट्र में पिछले 6 महीने से मंदिरों को बंद होने और खुलवाने को लेकर राजनीति हो चली है। मंदिरों पर शुरू हुई यह राजनीति इस बार प्रदेश के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उधम सिंह ठाकरे के बीच आपसी बहस तक पहुंच चुकी है । यही नहीं बल्कि दोनों ने ही पत्र लिखकर इस मुद्दे को गरमा दिया है।
फिलहाल महाराष्ट्र में हो रही मंदिरों की राजनीति में मुख्यमंत्री उधम सिंह ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी आमने-सामने आ चुके हैं । इसी बीच मंदिर खुलवाने को लेकर महाराष्ट्र में धरना-प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं।
इस मुद्दे पर सबसे पहले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। अपने पत्र में राज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि यह विडंबना है कि एक तरफ सरकार ने बार और रेस्त्रां खोल दिए हैं, लेकिन मंदिर नहीं खोले गए। ऐसा न करने के लिए आपको दैवीय आदेश मिला या अचानक से सेक्युलर हो गए।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के इस पत्र पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर कहा रुकने वाले थे। उन्होंने भी इस मुद्दे पर पलटवार कर मामले को गर्मा दिया । मुख्यमंत्री ठाकरे ने लिखा है कि जैसे तुरंत लॉकडाउन लगाना ठीक नहीं था, वैसे ही तुरंत ही इसे हटाना ठीक नहीं है। और हां, मैं हिंदुत्व को मानता हूं। मुझे आपसे हिंदुत्व के लिए सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।
उधर दूसरी तरफ महाराष्ट्र के मंदिरों को खोलने के फैसले में सरकार द्वारा की जा रही देरी को लेकर राज्यभर के धार्मिक नेता और श्रद्धालुओं ने शिवसेना की अगुवाई वाली महाविकास समिति सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसके चलते भाजपा ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए कुछ घंटों के लिए आज उपवास रखने का निर्णय लिया है।
मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रसाद लाड ने कहा है कि हम मांग कर रहे हैं कि हमें सिद्धिविनायक मंदिर में प्रवेश करने दिया जाए। अगर वे हमें प्रवेश नहीं करने देते, तो हम मंदिर में घुसने का अपना रास्ता बनाएंगे। यह आंदोलन पूरे महाराष्ट्र में हो रहा है। लाड ने कहा कि हम चाहते हैं कि राज्य के सभी मंदिरों को फिर से खोल दिया जाए।