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जामिया मिल्लिया इस्लामिया पर फिर सियासत

जामिया मिल्लिया इस्लामिया पर फिर सियासत

जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दो माह पहले 15 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून को लेकर छात्रों और दिल्ली पुलिस के बीच हुई झड़प के वीडियो सामने के बाद एक बार फिर सियासत गर्मा गई है। इस घटना से जुड़ी एक के बाद एक सनसनीखेज जानकारियां सामने आ रही हैं। पहले वीडियो में पुलिस की छात्रों पर ज्यादतियां दिखाई दे रही है तो दूसरे वीडियो में छात्रों का झूठ भी सामने आ रहा है। इन वीडियो के सामने आने के बाद सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस पार्टी आमने -सामने है। देश की राजनीति में उबाल आ गया है।

पिछले हफ्ते जामिया को-आर्डिनेशन कमिटी ने एक वीडियो जारी किया था जिससे पुलिस की कार्रवाई सामने आई है। इस वीडियो में पुलिस यूनिवर्सिटी के रीडिंग रूम में घुसकर कुर्सियां फेंकती और छात्रों पर लाठियां बरसाती दिख रही है। जिसको लेकर अब राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। एआईएमआईएम के प्रमुख असुदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने झूठ कहा कि वो जामिया के अंदर नहीं घुसी, बल्कि दिल्ली पुलिस जामिया के अंदर घुसी और एक बच्ची की आंख को जख्मी किया, इस वीडियो से पता चलता है कि बच्चे बाहर निकलना चाहते थे।

लेकिन पुलिस बच्चों को मार रही थी। वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि अगर इसके बाद भी एक्शन नहीं लिया जाता है तो सरकार की नीयत पूरी तरह देश के सामने आ जाएगी। बीते हफ्ते 17 फरवरी से शुरू हुआ वीडियोवार अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। महज दो दिनों में एक के बाद एक छह वीडियो जारी होने के बाद दिल्ली पुलिस और जामिया के छात्र एक बार फिर कठघरे में आ गए हैं। अब इन सभी वीडियो की जांच एसआईटी करेगी।

पहला वीडियो : जामिया लाइब्रेरी में पुलिस की एंट्री और छात्रों पर बरसते डंडे जिसने जामिया हिंसा पर दो महीने बाद नई जंग छेड़ी। पुलिस ने जामिया कैंपस में जाकर छात्रों से मारपीट की।

दूसरा वीडियो : जबाब में एक वीडियो दिल्ली पुलिस ने जारी किया जिस वीडियो में साफ दिख रहा है कि छात्र लाइब्रेरी के अंदर घुस रहे हैं। जिससे ऐसा लग रहा है कि जैसे वो छुपने की कोशिश कर रहे हैं। जिसमें कुछ छात्रों के चेहरे नकाब और रुमाल से ढके दिख रहे हैं। वो लाइब्रेरी की टेबल को खिसका कर लाइब्रेरी का दरवाजा बंद करते हैं। बाहर से आ रहे इन छात्रों में कुछ के हाथ में पत्थर भी हैं।

तीसरा वीडियो : इस वीडियो में जामिया यूनिवर्सिटी के अंदर ही छात्र सीढ़ियों और बालकनी में दिख रहे हैं, कई छात्रों के हाथ में बड़े- बड़े पत्थर दिख रहे हैं, जो बालकनी से लटककर पुलिस पर पत्थर फेंकने की कोशिश कर रहे हैं।

चौथा वीडियो : 17 फरवरी को जामिया की तरफ से एक और वीडियो सामने आता है जिसमें पुलिस ने छात्रों पर बिना कुछ सुने, सोचे समझे डंडे बरसाए। कैंपस के अंदर घुसकर लाइब्रेरी और कमरों में छात्रों को घेरकर मारती दिख रही है।

पांचवां वीडियो : जामिया के इस वीडियो के जवाब में पुलिस ने फिर एक वीडियो जारी किया। जिसमें लाइब्रेरी में बड़ी संख्या में लड़के ऐसे आते दिख रहे हैं जैसे बाहर भगदड़ मची हो।

छठा वीडियो : दिल्ली पुलिस की तरफ से एक और वीडियो जारी किया गया जिसमें जामिया यूनिवर्सिटी के गेट पर 12 लड़के दिख रहे हैं। यूनिवर्सिटी का गेट खुला है। कुछ लड़के गेट के अंदर हैं कुछ गेट के बाहर सड़क पर। इसमें कुछ गेट के अंदर से पत्थर चला रहे हैं।

बीते 15 दिसंबर को जामिया में हुई हिंसा को लेकर जो वीडियो सामने आ रहे हैं उनको लेकर पुलिस ने आधिकारिक बयान दिया है कि जांच हो रही है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या पुलिस को लाइब्रेरी में घुसकर लाठीचार्ज करना चाहिए? क्या पुलिस का बिना अनुमति के लाइब्रेरी के भीतर जाना उचित है?

एक वीडियो में दिख रहा है कुछ छात्र आराम से बैठे हैं। वहां पर एक पुलिस वाला जाता है और मारना शुरू कर देता है। एक छात्र भागता नजर आता है, लेकिन एक छात्र मुस्तफा का दावा है कि वह वहीं बैठा था। उसने दोनों हाथ ऊपर किए थे, लेकिन पुलिस मारती रही। जिसमें एक छात्र मिन्हाज की एक आंख पूरी तरह से खत्म हो गई है। मुस्तफा और मिन्हाज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एक करोड़ का हर्जाना मांगा है। अब सभी के मन में यही सवाल उठ रहा है कि जामिया में हिंसा पर कौन सच् चा है और कौन झूठा?

दिल्ली पुलिस ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा के मामले में 18 फरवरी को अदालत में आरोपत्र दाखिल कर दिया जिसमें शरजील इमाम पर उकसाने का आरोप लगाया गया है। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गुरमोहन कौर की अदालत में आरोप पत्र दायर करते हुए कहा कि सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकार्ड्स और 100 से अधिक गवाहों के बयान प्रमाण के रूप में संलग्न किये गए हैं। जिस पर कार्रवाई करते हुए अदालत ने शरजील इमाम को तीन मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। एक कथित वीडियो में इमाम को एनआरसी के क्रियान्वयन को रोकने के लिए भारत से पूर्वोत्तर को अलग करने की बात करते हुए देखा जा रहा है।

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