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ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में राजनीतिक धुरधंरों की अग्निपरीक्षा

ग्रेटर हैदराबाद में 1 दिसंबर को हुए नगर निगम चुनाव के लिए मतदान हुआ था। 4 दिसंबर यानी आज मतों की गणना जारी है। हैदराबाद में वार्डो की संख्या 150 है और कुल 1112 प्रत्याशी मैदान में खड़े हुए थे। बीजेपी ने इस चुनाव को जीतने के लिए अपना पूरा जोर लगाया। शुरु के रुझानों में बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी बताया जा रहा था। थोड़ी ही देर में भाजपा सबसे ज्यादा सीटों वाली पार्टी नजर आने लगी थी। रुझानों के अनुसार उसे 79 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही थी और पिछले चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी रही तेलंगाना राष्ट्रवादी समिति 35 सीटों पर सिमटी नजर आ रही थी। लेकिन, 5 घंटे के भीतर ही यानी करीब एक बजे खेल फिर पलट गया। ग्रेटर हैदराबाद के नगर निगम का बजट 5 करोड़ के करीब है। टीआरएस दोबारा हैदराबाद नगर निगम चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनी हुई है।

अभी तक की ताजा जानकारी के अनुसार भाजपा 9 सीटें जीत चुकी हैं। टीआरएस रेस में आगे बनी हुई है। उसने 22 सीटें जीत ली हैं और 47 सीटों पर बढ़त है। इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को 23 और कांग्रेस  2 सीटें जीत चुकी हैं। अगर हम पिछले चुनाव की बात करें तो 99 सीटें तेलगांना राष्ट्र समिति को मिली थी असदु्द्दीन औवेसी की एआईएमआईएम को 50 सीटें और भाजपा को केवल 4 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। नगर निगम चुनाव में मुद्दे सड़क, बिजली, पानी के कूड़े को लेकर होते है। नवंबर की शुरूआत में यहा दुब्बाक असेंबली के लिए उपचुनाव हुआ था। ये सीट टीआरएस की सीटिंग सीट है। जिस सीट से केसीआर चद्रशेखर चुनाव लड़ते है उसी के साथ लगती सीट है। इसलिए जहां ज्यादा प्रभाव भी टीआरएस का है। यह सीट विधायक की मौत के बाद ख़ाली हुई थी। पार्टी ने विधायक की पत्नी को ही उम्मीदवार बनाया था। उपचुनाव में इस सीट का पूरा प्रबंधन केसीआर के भतीजे हरीश राव ने संभाला था। जैसे बीजेपी में अमित शाह को राजनीति का चाणक्य कहा जाता है वैसे टीआरएस के लिए हरीश राव राजनीति के चाणक्य है। पंरतु इस सीट पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया था। इसी सीट को जीतने के बाद बीजेपी की तेलगांना को लेकर ज्यादा महत्वाकाक्षाएं बढ़ी। बीजेपी का वोट शेयर 13.75 फीसद से बढ़कर 38.5 प्रतिशत बढ़ा। वोट शेयर बढ़ा तो बीजेपी का हौंसला बढ़ा, और अब उस हौसले को लेकर बीजेपी नगर निगम चुनाव में अपना दमखम लगा रही है।

गृह मंत्री अमित शाह 29 नवंबर को हैदराबाद पहुंचे थे। वे चार मीनार पर स्थित भाग्यलक्ष्मी मंदिर गए और सिकंदराबाद में रोड शो किया था। इसके बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर टीआरएस सरकार पर तीखा हमला बोला। कहा- चंद्रशेखर राव जी से पूछना चाहता हूं कि आप ओवैसी की पार्टी से समझौता करते हैं, इससे हमें कोई दिक्कत नहीं है। लोकतंत्र में किसी भी पार्टी से समझौता या गठबंधन किया जा सकता है। दिक्कत है कि आपने एक कमरे में ईलू-ईलू करके सीटें बांट लीं।

भूमि पूजन को ओवैसी ने बताया धर्मनिरपेक्षता की हार और हिंदुत्व की जीत

ओवैसी की तरफ से अवैध रोहिंग्या मुस्लिमों के शहर में होने के सवाल पर शाह ने कहा था, जब मैं एक्शन लेता हूं, तो वे संसद में बवाल करते हैं। उनसे कहिए कि मुझे लिखकर दें कि रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को निकाला जाना है।

ग्रेटर हैदराबाद देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है। यह नगर निगम 4 जिलों में है, जिनमें हैदराबाद, मेडचल-मलकाजगिरी, रंगारेड्डी और संगारेड्डी शामिल हैं। पूरे इलाके में 24 विधानसभा क्षेत्र हैं तो तेलंगाना की 5 लोकसभा सीटें आती हैं। तेलंगाना की जनसंख्या 84% हिन्दू, 12.4% मुस्लिम और 3.2% सिक्ख, ईसाई और अन्य धर्म के अनुयायी हैं। कांग्रेस दुब्बाक सीट पर तीसरे नंबर पर आई थी। बीजेपी अब कांग्रेस की जगह खुद को राज्य में स्थापित करने का मौका ढूढ़ रही है। असदुद्दीन की पार्टी एआईएमआईएम बीजेपी की बी टीम कहा जाता है। नगर निगम चुनाव जीतकर बीजेपी इस भ्रम को दूर करना चाहती है। नगर निगम चुनाव को राज्य की सत्ता की चाबी कहा जाता है। कई सालों में पहली बार बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष ऐसे नेता को बनाया है जो हैदराबाद से नहीं आते। प्रदेश के अध्यक्ष इस समय बंदी संजय कुमार हैं, जो करीमनगर लोकसभा सीट से सांसद भी हैं। दुब्बाक सीट पर हुए उप-चुनाव में पार्टी की जीत का सेहरा बंदी संजय कुमार के सिर ही बांधा गया। उपचुनाव से जीतने से पहले बीजेपी ने कभी भी टीआरएस पर सीधे हमला नहीं किया था, लेकिन उपचुनाव की जीत झोली जाते ही अब बीजेपी टीआरएस को दबाकर कोस रही है। हालांकि राज्य के लोगों की धारणा है कि औवेसी की पार्टी और टीआऱएस दोनों मिलकर चुनाव लड़ते है, पंरतु कभी भी दोनों पार्टियों के नेताओं ने कभी इस बात को जनता के सामने स्वीकारा नहीं है।

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