एक बड़ी पहल की शुरुआत बिहार विधानसभा चुनाव से होने जा रही है। अब अगर कोई राजनीतिक दल किसी अपराधिक छवि वाले व्यक्ति को टिकट देगी तो उसे उसके टिकट देने के कारण बताने होंगे। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी किया गया है।
चुनाव आयोग ने बताया कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सभी पार्टियों को पत्र लिखा गया है। यह व्यवस्था बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार लागू होने वाली है। दरअसल, होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों को यह बताना होगा कि आखिर किस वजह से उन्होंने आपराधिक पृष्टभूमि वाले नेता को टिकट दिया है।
दागी उम्मीदवारों को पर्चा वापस लेने की आखिरी तारीख से मतदान के दो दिन पहले तक आपराधिक रिकॉर्ड अखबारों और टीवी चैनलों के माध्यम से मतदाताओं को बताने होंगे। राजनीतिक पार्टी को सभी लंबित आपराधिक मामलों का ब्योरा बड़े अक्षरों में अखबारों छपवाने या टेलीविजन पर प्रसारित करवाने होंगे।
यहीं नहीं, ऐसे नेताओं को टिकट देने वाले राजनीतिक दलों को भी इस बारे में अपनी वेबसाइट पर विस्तार से बताना होगा। बिहार में पहले से ही अपराधिक मुकदमें वाले नेताओं का टिकट देने का सभी दलों का पुराना इतिहास रहा है। लेकिन अब जवाब देना होगा। ऐसे में कई नेताओं का पत्ता साफ होना इस विधानसभा चुनाव में तय माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत चुनाव आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त दलों इसको लेकर सूचना जारी किया है। बिहार में 150 रजिस्टर्ड दलों को निर्वाचन विभाग ने चिट्ठी लिखकर इसकी जानकारी दी है। इसके अलावा राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त 2543 दलों को भी पत्र भेजा जाने वाला है।
बिहार के उप-मुख्य निर्वाचन अधिकारी बैजूनाथ सिंह ने बताया, “आयोग का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सभी पार्टियों को पत्र लिखा गया है। यह व्यवस्था बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार लागू हो रहा है। दलों को बताना होगा कि आपराधिक मामले दर्ज नेताओं को उम्मीदवार बनाने का क्या कारण था। इसके अलावे नामांकन के महीने के अंदर दलों के प्रत्याशियों समाचार पत्रों और टीवी के माध्यम से इसकी सूचना देनी होगी।” उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग का पत्र राज्य के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को भेजा जा रहा है।
सभी राजनीतिक पार्टियों को अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी अपने वेबसाइट पर भी देनी होगी। साथ ही साथ उनके बारे में अखबारों में प्रकाशित कराना होगा और चैनलों पर भी प्रसारित कराना होगा।
इसके अलावा नामांकन करते वक्त भी सी-फॉर्म में उनके अपराधों का ब्योरा देना होगा। यह तमाम जानकारी चुनाव के 30 दिन के अंदर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को देना अनिवार्य किया गया है।
उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड और सजा वगैरह का विवरण अपने इलाके के सर्वाधिक प्रसार संख्या वाले अखबारों में तीन अलग-अलग तारीखों में विज्ञापन के रूप में छपवाना होगा। यह सूचना बड़े अक्षरों में (12 पॉइंट) में छपवानी होगी। वहीं टीवी चैनलों पर तीन अलग-अलग दिन खुद पर लगे आरोप बताने होंगे।