वेस्ट यूपी में पिछले 1 महीने में दो घटनाएं ऐसी घट गई है जिससे 2013 का मुजफ्फरनगर कांड स्मरण हो रहा है। मुजफ्फरनगर कांड में जाटों और मुस्लिमों में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। जिसमें कई लोगों की मौत हुई थी । इस सांप्रदायिक दंगे ने बाद में राजनीतिक रंग ले लिया था। जिसमें अंततः फायदा भाजपा को मिला था।
ऐसा ही कुछ आजकल वेस्ट यूपी में दलितों और गुर्जरों के बीच देखने में आ रहा है। पिछले 1 महीने में ही दोनों संप्रदायों के बीच ऐसी घटना घट गई है जो आने वाले दिनों के लिए खतरनाक संकेत दे रही है। चर्चा है कि इन दोनों संप्रदायों को आपस में भिडाने की राजनीतिक साजिश की जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि इस साजिश के पीछे मास्टरमाइंड कौन है ? कौन है जो गुर्जर और दलितों को आपस में भिडाकर राजनीतिक लाभ लेना चाहता है?
इस मामले की तह में जाने के लिए हमें पिछले महीने उत्तराखंड और यूपी के बॉर्डर पर स्थित है गांव खेड़ी का वाकया सामने रखना होगा। गांव खेड़ी में पूर्व में एक बोर्ड डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का लगा हुआ था। जहां उसके साथ ही गुर्जर संप्रदाय के लोगों ने एक और दूसरा बोर्ड लगा दिया, जिस पर लिखा गया गुर्जर सम्राट मिहिर भोज। इसके कुछ दिन बाद ही रहस्यमय परिस्थितियों में अज्ञात लोगों ने रात में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का बोर्ड उखाड़ कर फेंक दिया ।

इसके बाद खेडी गांव में गुर्जर और दलित संप्रदाय में “बोर्ड युद्ध” छिड़ गया। जिसमें कई दिनों तक गांव में तनातनी रही। गांव में पुलिस और पीएसी तक तैनात कर दी गई थी। हालांकि इसमें भीम आर्मी के एक स्थानीय नेता का नाम आया था। जिसको भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद रावण ने तत्काल प्रभाव से हटा दिया था। इसके बाद इस मामले पर जमकर राजनीति हुई। तब नोएडा के गुर्जर समाज के नेता भी वहां पहुंचे थे ।
कुछ ऐसा ही नजारा आजकल सहारनपुर जिले के गुढ़ा गांव में देखने को मिल रहा है। यहां भी खेड़ी गांव की तर्ज पर ही दोनों संप्रदायों को भिडाने की कोशिश की गई। उसी तर्ज पर यहां भी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के बोर्ड पर गुर्जर चौक लिख दिया गया। यहां से ही दोनों संप्रदायों में आपसी तनातनी शुरू हो गई। गांव का माहौल तनावपूर्ण हो गया। हालांकि इसके बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और दो गुर्जर नेताओं को के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया । इसके बाद भी इस मामले में राजनीति रुकने का नाम नहीं ले रही है।
आजकल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सम्राट मिहिर भोज के नाम पर गुर्जर समाज सक्रिय नजर आ रहा है। जब से 22 सितंबर को दादरी की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैली हुई और उसमें सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति का अनावरण मौके पर गुर्जर शब्द को लेकर जो राजनीति हुई वह राजनीति अभी तक चली आ रही है। यू कहे कि सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर समाज अपना बताते हुए इसे आंदोलन का रूप दे चुका है। गुर्जर समाज सम्राट मिहिर भोज के नाम पर पहले ठाकुरों से उलझ गया था। तब करणी सेना तक इस मुद्दे में शामिल हो गई थी। फलस्वरूप 22 सितंबर को मुख्यमंत्री योगी की दादरी रैली में इस मामले पर गुर्जर समाज में रोष व्याप्त हो गया था।
मुख्यमंत्री योगी के दादरी आने से पहले सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति के नीचे लगे बोर्ड से गुर्जर शब्द हटा दिया गया था। जिसको लेकर गुर्जर समाज में भारी आक्रोश सामने आया था। इसके बाद 2 अक्टूबर और 31 अक्टूबर को गुर्जर संगठनों और समाज के नेताओं ने भाजपा और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर घेराबंदी की थी। हालांकि इससे पहले ही 26 सितंबर की रात को ही राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर के द्वारा सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति के नीचे लगे बोर्ड पर गुर्जर शब्द चष्पा कर दिया गया था। इससे भी गुर्जर समाज की नाराजगी कम होने की बजाय बढ़ गई थी। तब से लेकर अब तक गुर्जर समाज में सम्राट मिहिर भोज को लेकर आंदोलन चल रहे हैं । इस मुद्दे पर गुर्जर समाज ने पिछले दिनों जब प्रधानमंत्री मोदी जेवर एयरपोर्ट का उद्घाटन करने आए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को काले झंडे दिखाए। इसके साथ ही टि्वटर पर “मोदी – योगी गो बैक” का हेशटैग अभियान चलाया। जिसमें करीब 40 हजार लोगों ने समर्थन दिया।

युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविंद्र भाटी के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी दो जातियों में विवाद कराना चाहती है। जैसे उनोहने 2013 में जाट वर्सेज मुस्लिम करवाया था। इनके पास कोई मुद्दा नहीं हैं। ये हर चुनाव में कोई न कोई दंगा कराकर सत्ता प्राप्त करना चाहती है। इसी तरह पथिक सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुखिया गुर्जर भी इस मामले में भाजपा को आरोपित करते हैं। वह कहते हैं कि जिस आकाश पर मुकदमा दर्ज कराया गया है वह मेरा आदमी है। कहीं आकाश इस मामले में हीरो ना बन जाए इसलिए प्रदेश के एक मंत्री ने उसके खिलाफ मामला दर्ज करा दिया है। भाजपा गुर्जर समाज का दमन कर रही है। लेकिन यह समाज किसी का दवाब नहीं सहेगा। अखिल भारतीय अंबेडकर महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष विद्या गौतम कहती है कि भाजपा दलित और गुर्जरो को आपस में लड़ा कर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करना चाहती है। पहले गुर्जर और ठाकुरों को आपस में लड़ाने की राजनीति की गई थी। जहां उन्हें सफलता नहीं मिली तो अब दलितों और गुर्जरों को एक दूसरे के सामने लाया जा रहा है। इस मामले में बहन मायावती जी पहले ही कह चुकी है कि संविधान के दायरे में रहकर हमारी पार्टी काम करती है। हम समाज को जोड़ने का काम करते हैं, जबकि भाजपा समाज को तोड़ने का काम कर रही है। पूर्व में वेस्ट यूपी में दलित और गुर्जरों के गठजोड़ ने बसपा को बहुत मजबूती दी थी। भाजपा चाहती है कि 2022 के चुनाव में गुर्जरों और दलितो का गठजोड़ एक बार फिर ना बन पाए। इसके चलते ही “बोर्ड युद्ध” शुरू कराया जा रहा है।