बंगाल के चुनाव की तुलना अब बिहार से की जाने लगी है। जिस तरह पुरे देश में बिहार राजनीतिक अराजकता के लिए जाना जाता है उसी तरह बंगाल में भी राजनीतिक माहौल बनता दिख रहा है। यहां राजनीतिक दलों में चुनाव से ज्यादा खूनी खेल खेलना अब चर्चा का विषय बन गया है। शायद ही कोई महीना ऐसा बीतता होगा जब कोई न कोई राजनीतिक वारदात सामने आती रहती है। पिछले दिनों चौथे चरण में कूचबिहार में हुई हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी। यही नहीं बल्कि पिछले पांच साल की बात करे तो इस प्रदेश में 240 लोगो की जान चली गई है। अभी भी बंगाल में चुनाव के तीन चरण बाकी है। जिनमे छठे चरण में हिंसा की आशंका अभी से व्यक्त की जाने लगी है। बताया जा रहा है की राज्य की ख़ुफ़िया पुलिस ने भी इस आशंका से सरकार को अवगत करा दिया है।

राजनीतिक गलियारों में हिंसा को लेकर तरह तरह की चर्चाएं है। चर्चा है कि बंगाल में जैसे-जैसे मतदान समाप्ति की ओर बढ़ेगा, वैसे-वैसे खून खराबा भी बढ़ता जाएगा। अभी तक जितनी भी हिंसक वारदातें हुई हैं, उनमें तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के समर्थक आमने-सामने दिखे हैं। यहां इन दोनों दलों में मुख्य चुनावी मुकाबला है और सत्ता पर काबिज होने के लिए उन्हें खूनी खेल से भी परहेज नहीं है। राज्य में चुनाव के दौरान राजनीतिक हिंसा कोई नई बात नहीं है। वाममोर्चा के लंबे शासन में चुनाव के दौरान जब राजनीतिक हिंसा होती थी तो ममता बनर्जी अधिक से अधिक केंद्रीय बल तैनात करने की मांग करती थीं। आज वही ममता केंद्रीय बलों पर पक्षपात करने का आरोप लगा रही हैं।
गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल बंगाल में राजनीतिक हिंसा के कुल 663 मामले सामने आए थे और कुल 57 लोगों की मौत हुई। 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान बंगाल में हिंसा के कुल 693 मामले दर्ज किए गए और 11 लोगों की मौत हुई। इसके बाद 1 जून 2019 से 31 दिसंबर 2019 तक महज छह माह में ही राजनीतिक हिंसा के कुल 852 मामले दर्ज किए गए थे और 61 लोगों की मौत हुई थी। जबकि 2018 के पंचायत चुनावों में 23 लोगों की मौत हुई थी।
बंगाल में अब तक पांच चरणों में चुनाव हो चुके है। जबकि अभी भी तीन चरणों का मतदान बाकी है। इसके मद्देनजर चुनाव आयोग खासी सतर्कता बरत रहा है। अब तक हिंसा के मामलों में ज्यादातर तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ता आमने-सामने हुए हैं। छठे चरण में 22 अप्रैल को चार जिलों की 43 सीटों पर मतदान होना है। याद रहे की बंगाल में चौथे चरण में कूचबिहार में हुई हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद माना जा रहा था कि बाकी के चरणों में हिंसक घटनाएं हो सकती हैं। लेकिन पांचवें चरण में पहले के मुकाबले वारदातों में कमी रहीं और कोई बड़ी हिंसक घटना नहीं हुईं।