खासकर तब जब किसी पत्रकार पर कोई केस दर्ज हो या कार्रवाई किए जाने की प्रक्रिया चल रही हो। इससे पहले जो जरूरी नियम पुलिस को अपनाने के आदेश दिए गए उनमें कहा गया कि जब भी किसी पत्रकार पर कोई मामला दर्ज हो तो दर्ज होने से पहले उसकी जांच किसी राजपत्रित अधिकारी से जरूर कराएं। उसके बाद ही कोई कार्रवाई की जाए। इसी के साथ ही प्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक ने अपने निर्देशों में कहा कि पत्रकारों की समस्याओं के निराकरण हेतु एक सक्षम अधिकारी प्रत्येक जिले में पृथक से नियुक्त किया जाए। यह अधिकारी पत्रकारों की समस्याएं सुनेंगे और उनका समाधान कराएंगे।
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उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक प्रवीण कुमार ने यह पत्र वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर सिंह के एक पत्र के जवाब में निर्देशित किया था। दिवाकर सिंह भारतीय पत्रकार वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। उन्होंने उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर पुलिस द्वारा किए जा रहे जुल्मों-सितम के विरोध में यह पत्र पुलिस के महानिरीक्षक प्रवीण कुमार को लिखा था। दिवाकर सिंह ने पत्र 13 नवंबर 2019 को लिखा। जबकि इसके दो दिन बाद ही यानी कि 15 नवंबर 2019 को प्रदेश के पुलिस महानिदेशक की तरफ से सूबे के सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक को पत्रकारों के संबंध में निर्देश दे दिए गए। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि आज 3 माह बीत जाने के बाद भी पुलिस महानिरीक्षक द्वारा दिए गए निर्देश लागू नहीं हो पाए हैं। पुलिस द्वारा पूर्व की भांति आज भी पत्रकारों पर अन्याय किया जा रहा है। जुल्मों-सितम कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है।
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महिला की रिपोर्ट के आधार पर गिरफ्तारियां की गई। सभी पर कानून के तहत कार्रवाई की गई है। कानून सबके लिए बराबर है। अगर पत्रकारों के लिए कोई अलग से गाइड लाइन है तो उनका भी पालन किया जाता है। -नीरज मलिक, थाना अध्यक्ष, सेक्टर 39, नोएडा
लेकिन नोएडा की सेक्टर 39 थाना पुलिस ने 16 नवंबर 2019 को नियमों के विपरीत जाकर यह काम किया। जिसके चलते पत्रकार और उसका परिवार पिछले डेढ़ महीने से जेल की सलाखों के पीछे नारकीय जीवन जीने के बाद बाहर आ सका है। फिलहाल पत्रकार और उनका परिवार पुलिस के खिलाफ न्यायालय की शरण में है।
जानकारी के अनुसार, नोएडा के सिलारपुर में नगीना नाम की एक महिला ने नोएडा के सेक्टर-39 थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि पत्रकार और उसका परिवार मेरे घर में आकर जबरन घुसे और उन्होंने मेरी दो लड़कियों के साथ मारपीट की। यह मामला 15 नवंबर की रात 12 बजे दर्ज कराया गया और 16 नवंबर की रात 4 बजे पत्रकार और उसके भाइयों के 11 सदस्यों को पुलिस ने उठाया और जेल भेज दिया।
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नगीना नाम की महिला ने पत्रकार इसहाक सेफी के परिवार के अलावा उसके दो भाइयों के पूरे परिवार के सभी सदस्यों का नाम एफ आई आर में लिखवाया था। कुल 20 लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज हुई थी। जिसमें पुलिस ने 11 लोगों को पकड़कर जेल भेज दिया जबकि 9 लोग पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सके। मतलब यह है की पत्रकार और उसके दो भाइयों के पूरे परिवार में एक भी सदस्य ऐसा नहीं बचा जिस पर रिपोर्ट दर्ज ना हुई हो।
नगीना की रिपोर्ट पर पुलिस में 4 धाराओं में केस दर्ज किया । हालांकि यहां यह भी बताना जरूरी है की 9 सितंबर 2019 को सेक्टर 39 के इसी थाना में पत्रकार इसहाक सैफी ने अपने परिवार पर हुए हमले के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए तहरीर दी थी। जिसमें नगीना और उसका बेटा आदिल के साथ ही देवर शाहिद, सोनू और सफीद के खिलाफ मामला दर्ज कराने की मांग की गई थी।
पत्रकार इसहाक सैफी के खिलाफ दर्ज कराया गया मामला फर्जी था, जो पुलिस ने बायस्ड होकर एक महिला के जरिए दर्ज कराया था। इस मामले में हमने तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण से विरोध दर्ज कराया था और प्रेस क्लब की तरफ से शिकायत दर्ज की थी। जिन महिलाओं को गिरफ्तार किया गया उनमें कई नाबालिग लड़कियां थीं। यही नहीं बल्कि एक 12 साल का बच्चा भी था। पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी करते वक्त कोई रूल फॉलो नहीं किया। गिरफ्तारी करते वक्त महिला पुलिसकर्मी भी उनके साथ नहीं थी। -पंकज पराशर, अध्यक्ष, प्रेस क्लब नोएडा
पत्रकार इसहाक सेफी के अनुसार 9 सितंबर को नगीना और उसके बेटे के साथ ही 3 देवरो ने घर पर आकर उनकी पत्नी नसीम जहां पर हमला किया था। जिसकी मेडिकल रिपोर्ट भी कराई गई थी। बामुश्किल मामला तो दर्ज हुआ लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके पीछे का कारण बताते हुए इसहाक खान कहते हैं की नगीना का बेटा आदिल पुलिस का मुखबिर है। जिसके चलते पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। जबकि नगीना की रिपोर्ट पर उनके परिवार के 11 लोगों को डेढ़ महीने की जेल काटकर आना पड़ा। पुलिस अभी भी उनके परिवार को डरा-धमका रही है। जिसके चलते पत्रकार और उनके भाईयों का पूरा परिवार खौफ के साए में जी रहा है।