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काशी के मंच से प्रधानमंत्री ने किसानों पर कही बड़ी बात

किसान आंदोलन पर बीजेपी सरकार चारो तरफ से घिरी हुई है। सरकार लगातार किसानों को समझाने के लिए लगी हुई है। आज किसान आंदोलन का 5 वां दिन है। किसान दिल्ली की सीमाओं पर लगातार डटे हुए है। किसानों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस ने टिकरी बार्डर और सिंधु बार्डर की आवाजाई बंद कर दी है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देव दीपावली के मौके पर वाराणसी दौरे पर गए हुए है। वहां अपने भाषण के दौरान पीएम ने किसानों पर बात कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों को गुमराह कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ”भारत के कृषि उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं। क्या किसान की इस बड़े मार्केट और ज्यादा दाम तक पहुंच नहीं होनी चाहिए? अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन ही ठीक समझता है तो, उस पर भी कहां रोक लगाई गई है? नए कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प और नए कानूनी संरक्षण दिए गए हैं। पहले मंडी के बाहर हुए लेनदेन ही गैरकानूनी थे। अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है। किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है।

उन्होंने आगे कहा कि सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं। नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है। ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है। लेकिन पिछले कुछ समय से एक अलग ही ट्रेंड देश में देखने को मिल रहा है।पहले होता ये था कि सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था। लेकिन बीते कुछ समय से हम देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने बिना किसी पार्टी का नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि अपप्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है। जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है। कृषि सुधारों के मामले में भी यही हो रहा है। ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है। किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं। लेकिन वो खुद मानते थे कि 1 रुपए में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते थे। यानि योजनाओं के नाम पर छल।

न्यूनतम समर्थन मूल्यों के बारें में बात करते हुए कहा कि MSP तो घोषित होता था लेकिन MSP पर खरीद बहुत कम की जाती थी।
सालों तक MSP को लेकर छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे। लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक ये पहुंचते ही नहीं थे। यानि कर्ज़माफी को लेकर भी छल किया गया। जब इतिहास छल का रहा हो, तब 2 बातें स्वभाविक हैं। पहली ये कि किसान अगर सरकारों की बातों से कई बार आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का इतिहास है। दूसरी ये कि जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए ये झूठ फैलाना मजबूरी बन चुका है कि जो पहले होता था, वही अब भी होने वाला है। जिन किसान परिवारों की अभी भी कुछ चिंताएं हैं, कुछ सवाल हैं, तो उनका जवाब भी सरकार निरंतर दे रही है। मुझे विश्वास है, आज जिन किसानों को कृषि सुधारों पर कुछ शंकाएं हैं, वो भी भविष्य में इन कृषि सुधारों का लाभ उठाकर, अपनी आय बढ़ाएंगे।

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