प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिसंबर यानी आज नए संसद भवन का शिलन्यास करेंगे। शिलान्यास से पहले पीएम भूमिपूजन करेंगे। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी, आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह के भी शामिल होने की संभावना है। समारोह में कुछ अन्य केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और राज्य के मंत्री सहित लगभग 200 लोग लाइव वेबकास्ट के माध्यम से भी भाग लेंगे। नए संसद भवन का निर्माण अक्टूबर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर नए भवन में संसद सत्र आयोजित किया जा सके।
इस प्रोजेक्ट को सेंट्रल विस्टा नाम दिया गया है। इसकी लागत राशि 971 करोड़ रूपए बताई जा रही है। नए संसद भवन में लोकसभा कक्ष भूतल में होगा। लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी, वहीं राज्यसभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है। अगर कभी संयुक्त बैठक बुलाई जाती है तो इसमें 1272 सदस्य बैठ सकते है। इस प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक कई नई इमारतों को बनाने की योजना बनाई गई है। नए संसद भवन की इमारत त्रिकोणा होगी। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत केंद्रीय सचिवालय भी बनाया जाएगा,जिसमें 10 इमारतें होगी। पूरे प्रोजेक्ट का निर्माण क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर होगा,यह मौजूदा संसद भवन से 17,000 वर्ग मीटर अधिक होगा।
मौजूदा संसद भवन का इतिहास
मौजूदा संसद भवन 18 जनवरी 1927 को बनाया गया था, इसे छह वर्ष के कार्यकाल में तैयार किया गया था। मौजूदा सर्कुलर बिल्डिंग में 144 सैंडस्टोन के कॉलम है, जिसे सर एडवर्ड लुटियंस ने डिजाइन किया था। लुटियंस ने ही हार्ट ऑफ दिल्ली को डिजाइन किया था। हालांकि नए संसद भवन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी। जिस पर पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद की बिल्डिंग के निर्माण को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी कि जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो सरकार इस प्रोजेक्ट में इतनी तेजी क्यों दिखा रही है। कोर्ट ने कहा था कि आप आधारशिला रख सकते हैं, आप पेपरवर्क कर सकते हैं, लेकिन किसी भी तरह का निर्माण या तोड़फोड़, पेड़ों को काटा नहीं जा सकता है।
दरअसल नए संसद बनाने की योजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अब तक 10 याचिकाएँ दायर हो चुकी हैं। इसमें से एक अहम याचिका वकील राजीव सूरी ने पूरे प्रोजेक्ट के निर्माण और ज़मीन के इस्तेमाल पर आपत्ति दर्ज करते हुए दायर की है। इसके अलावा कई और आधार पर भी इस निर्माण को लेकर आपत्ति दर्ज की गई है। राजीव सूरी ने अपनी याचिका में ज़मीन के इस्तेमाल को लेकर किए गए कई बदलावों को लेकर अधिकारियों पर सवाल खड़े किए हैं। सेंट्रल विस्टा कमिटी की ओर से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) जारी करने को लेकर भी याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी है। नई संसद के निर्माण से जुड़ी पर्यावरण संबंधी सवालों पर मंजूरी देने पर आपत्ति दर्ज की गई है।
भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार के इस कई सौ करोड़ के प्रोजेक्ट का बचाव किया है। उन्होंने कहा है कि मौजूदा संसद की इमारत करीब 100 साल पुरानी है। इस पर ज्यादा दबाव है। नई संसद बनाते वक्त इस इमारत की एक भी ईंट नहीं निकाली जाएगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा संसद की इमारत 1927 में बनी थी और अब यह बहुत पुरानी पड़ चुकी है। इसमें अब सुरक्षा संबंधी समस्याएँ हैं। जगह की कमी है। ये इमारत भूकंपरोधी भी नहीं है। इसमें आग लगने से बचाव संबंधी सुरक्षा मापदंडों का भी अभाव है।