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पराक्रम दिवस के अवसर प्रधानमंत्री ने किया 21 द्वीपों का नामकरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पराक्रम दिवस के महत्वपूर्ण अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 21 परम वीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों का नामकरण किया किया है।

 

आज का दिन ऐतिहासिक दृष्टि से भी पूरे भारत वासियों के लिए महत्वपूर्ण दिवसों में से एक है। क्योंकि आज के दिन भारत को आजादी दिलाने में  अहम् भूमिका निभाने वाले शूरवीर सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था। जिसे आज पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है।
जिन 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर द्वीपों का नाम रखा गया है, उनमें मेजर सोमनाथ शर्मा, सूबेदार और मानद कप्तान करम सिंह, द्वितीय लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राणे, नायक जदुनाथ सिंह, कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह, कैप्टन जीएस सलारिया, लेफ्टिनेंट कर्नल धन सिंह थापा, सूबेदार जोगिंदर सिंह, मेजर शैतान सिंह, सीक्यूएमएच अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, मेजर होशियार सिंह, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग अधिकारी निर्मलजीत सिंह सेखों, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन, नायब सूबेदार बाना सिंह, कप्तान विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, सूबेदार मेजर संजय कुमार और सूबेदार मेजर सेवानिवृत्त ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव शामिल हैं। इसके साथ ही नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर सुभाष चंद्र बोस को श्रदांली दी ।

स्वतंत्रता में सुभाष चंद्र बोस का योगदान 

 

आज यानि २३, जनवरी 1877 को ही दिन देश को स्वतंत्रता दिलाने वाले नेता सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था। आजादी की लड़ाई इनके द्वारा दिया गया नारा ” तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा” जोश भर देने वाला था जिसपर कई नर-नारी देश को स्वतंत्रता दिलाने की कोशिश में शहीद हुए। आजाद भारत में उन्हें नेताजी के नाम से भी संबोधित किया जाता है। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिए, उन्होंने जापान के साथ मिलकर आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया। उनके द्वारा दिया गया ‘जय हिन्द’ का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा है।नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विचार महात्मा गांधी से बिलकुल अलग थे। एक ओर जहाँ महात्मा गांधी अहिंसा की बात करते थे। आंदोलन अहिंसक रूप से कर रहे थे  जैसे अंग्रेजों के खिलाफ दांडी मार्च (नमक सत्याग्रह) निकाला आदि। तो वहीं  दूसरी ओर नेताजी उनसे एकदम अलग विचारों के थे। उनका मानना था कि देश को आजादी दिलाने के लिए अहिंसा से काम नहीं चल सकता। यही कारण था कि उन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ने के लिए एक अलग राजनीतिक पार्टी ‘ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक’ की स्थापना की थी। आजादी की लड़ाई के दौरान कई बार नेताजी ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लेते हुए जेल भी गए । वे 1921 से 1941 के बीच पूर्ण स्वराज के लिए करीब 11 बार जेल गए और लोगों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आक्रोश पैदा किया। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों से जीत हासिल करने के लिए सोवियत संघ, जर्मनी और जापान का सहयोग भी हासिल किया।आजादी प्राप्ति के संघर्ष में मृत्यु को प्राप्त हुए सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु आज रहस्यमय है।

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