देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-चीन सीमा विवाद की मौजूदा स्थिती संसद में बयान की। रक्षा मंत्री ने संसद में कहा कि “मुझे सदन को यह बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि हमारे दृढ़ इरादे और टिकाऊ बातचीत के फलस्वरूप चीन के साथ पंगोंग झील के उत्तर और दक्षिणी तट पर सेना के पीछे हटने का समझौता हो गया है।” मैं सदन को यह बताना चाहता हूँ कि भारत ने हमेशा चीन को यह कहा कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं। साथ ही सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के ज़रिए ही हल किया जा सकता है।”
उन्होंने संसद में आगे कहा कि मैं आश्वस्त हूँ कि यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है और एक स्वर से समर्थन करता है कि यही सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे जगत को जायेगा। मुझे यह बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि भारतीय सेनाओं ने इन सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय पैगोंग Tso के सॉउथ एवं नॉर्थ बैंक पर दिया है। मुझे सदन को यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे इस दृष्टिकोण तथा निरंतर वार्ता के फलस्वरूप चीन के साथ पंगोंग झील के नॉर्थ एवं साउथ बैंक पर असंबद्धता का समझौता हो गया है। मैं आश्वस्त हूँ कि यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है और एक स्वर से समर्थन करता है कि यही सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे जगत को जायेगा।
लेकिन वहीं दूसरी तरफ रक्षामंत्री के बयान के बाद कांग्रेस के वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर मोदी सरकार पर प्रहार किया है। उन्होंने भारत-चीन सीमा विवाद पर बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री एक कायर है जो चीन के सामने खड़ा नहीं हो सकता है। उसने हमारी सेना के बलिदान पर थूक दिया, उसने हमारी सेना के बलिदान को धोखा दिया और भारत या दुनिया में किसी को भी ऐसा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हिंदुस्तान की पवित्र जमीन नरेंद्र मोदी ने चीन को पकड़ा दी है। यही सच्चाई है। चीन के सामने नरेंद्र मोदी ने अपना सिर झुका दिया।
इतना ही नहीं राहुल गांधी ने पीएम और रक्षामंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि फिंगर 4 हमारा क्षेत्र है, यहीं हमारी पोस्ट हुआ करती थी। हम अब फिंगर 4 से फिंगर 3 में चले गए हैं। पीएम मोदी ने भारतीय क्षेत्र को चीन के हवाले क्यों कर दिया है? यह वह प्रश्न है जिसका उत्तर उसके और रक्षा मंत्री को देने की आवश्यकता है। हमारे देश के क्षेत्र की रक्षा करना प्रधान मंत्री की जिम्मेदारी है।
बता दें कि पिछले कई महीनों से भारत और चीन के बीच सीमा पर विवाद चल रहा है। जिसको लेकर देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद को भारत-चीन सीमा विवाद की स्थिति को लेकर बयान दिया था। हालांकि दोनों देशों के राजनयिक में सीमा पर शांति बहाल करने को लेकर कई बार वार्ता हो चुकी है। लेकिन इसके बावजूद चीन हर बार सीमा पर समझौतों का उल्लंघन कर रहा है। रक्षा और युद्ध मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने भी इस समझौते पर अपना नज़रिया ट्वीट किया है। वे लिखते हैं, पीएलए के बयान में सिर्फ एक सेक्टर पैंगोंग झील के “दक्षिण और उत्तर के बैंकों” से अलग होने की समझ का जिक्र है। हालाँकि, चीन के क्षेत्रीय अतिक्रमण, कई क्षेत्रों में हुए, जिनमें डिपांग भी शामिल है, एक ऐसा क्षेत्र जो अभी तक वाहिनी कमांडरों की वार्ता में शामिल नहीं हुआ है। उन्होंने अपने अगले ट्वीट में कहा कि नई दिल्ली पीएलए के बयान के 24 घंटे बाद भारतीय सेना ने अभी तक अपना बयान नहीं दिया है। इसके बजाय रक्षा मंत्री संसद में राजनीतिक बयान देने की संभावना बनाएगी। दो बातें सामने आती हैं। पहले, विचार करें। अफसोस की बात है कि भारतीय नेता इतिहास से सीखने में नाकाम रहते हैं, इसलिए इतिहास खुद को दोहराता रहता है।