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पीएम केयर्स फंड: बेवसाइट पर सिर्फ 5 दिन में 3000 करोड़ का ब्यौरा

देश में पहली बार कोरोना महामारी के लिए दानदाताओं का संग्रह केंद्र बनाया गया पीएम केयर्स फंड। यह ऐसा फंड है जिसकी कोई जानकारी सरकार द्वारा नहीं दी जाती है। पीएम केयर्स फंड में कितना पैसा आया , कितना पैसा गया इसकी जानकारी लेने के लिए सूचना अधिकार के तहत आईटीआई भी डाली गई थी। लेकिन सरकार ने जवाब देने से मना कर दिया था। फिलहाल पीएम केयर्स फंड की आधिकारिक वेबसाइट पर सरकार की तरफ से सिर्फ 5 दिन का ब्यौरा दिया गया है। जिसमें 3000 करोड़ रुपए आने की जानकारी दी गई है। जबकि उसके बाद का हिसाब किताब की जानकारी नहीं दी गई है।

याद रहे कि यह वही पीएम केयर्स फंड है जिसको लेकर कांग्रेस केंद्र सरकार को घेर चुकी है। यहां तक की कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने पीएम केयर्स फंड का ऑडिट कराने की मांग भी की थी। जिसे सरकार ने खारिज कर दिया था।

गौरतलब है कि इससे पहले प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष यानी पीएमएनआरएफ था। देश में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के रहते पीएम केयर्स फंड बनाए जाने पर सवाल उठे थे । तब कहा गया था कि जब देश में पहले से ही प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष यानी पीएमएनआरएफ है तो पीएम केयर्स फंड के नाम से नया फंड बनाने की क्या जरूरत थी । यहां यह भी बताना जरूरी है कि गत 28 मार्च 2020 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर्स फंड के बनाने की घोषणा की थी ।

पीएम केयर्स फंड बनाने का उद्देश्य कोरोना महामारी से लड़ना के लिए लोगों द्वारा दिए जाने जाने वाले दान का संग्रह करना था। जब यह फंड बनाया गया तब इसके तीसरे दिन ही यानी 1 अप्रैल को आरटीआई कार्यकर्ता हर्ष कानदुकुरी ने एक सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी की पीएम केयर्स फंड की पूरी जानकारी दी जाए। यही नहीं बल्कि हर्ष कानदुकुरी द्वारा पीएम केयर्स फंड की पारदर्शिता को लेकर भी सवाल खड़े किए गए थे। लेकिन तब सरकार ने कहा कि पीएम केयर फंड आरटीआई के दायरे में नही आता है।

एक जानकारी के अनुसार पीएम केयर्स फंड में शुरुआत के 69 दिनों में मिले दान के अनुसार जिन लोगों ने दान देना स्वीकार किया था उनके आंकड़े को मिलाकर 9690 करोड रुपए आए थे। जिनमें से सरकारी संस्थाओं से 5349 करोड़ और निजी संस्थाओं से 4223 करोड़ रूपये दिए जाने का आंकड़ा सामने आया था। जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा दान टाटा ने दिया था। टाटा संस ने 500 करोड़ तो टाटा ट्रस्ट ने 1000 करोड दिए। कुल मिलाकर 1500 करोड़ रूपये टाटा द्वारा दिए गए । जबकि ऊर्जा मंत्रालय के अधीन संस्थाओं की तरफ से 925 करोड रुपए का दान मिला था। रक्षा मंत्रालय की तरफ से 500 करोड़ रुपये पीएम केयर्स फंड में दिए गए थे। बॉलीवुड की तरफ से 40 करोड रुपए से भी कम मिले थे। इस तरह से देखा जाए तो पीएम केयर्स फंड में 60 परसेंट दान सिर्फ 10 जगहों से प्राप्त हुआ था।

यहां यह भी बताना जरूरी है कि 13 मई 2020 को पीएमओ द्वारा बताया गया कि पीएम केयर्स फंड से 3100 करोड रुपए रिलीज कर दिया गया है। इनमें से 2000 करोड से 50,000 मेड इन इंडिया वेंटिलेटर खरीदे गए। जबकि 1000 करोड़ प्रवासी मजदूरों पर खर्च किए गए । इसके अलावा 100 करोड रुपए वैक्सीन के रिसर्च पर खर्च किए गए। जबकि 14.53 करोड रुपए पीपी किट तथा 2.5 अरब रूपये एन 95 मास्क, 68 करोड रुपए प्रोटेक्टिव गूगल तथा 22.15 करोड रुपए आरएसपीसीआर टेस्ट पर खर्च करने का दावा किया गया।

पीएम केयर्स फंड के अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री हैं और उनके साथ गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री इसके ट्रस्टी नियुक्त किये गए हैं। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी तीन विशेषज्ञों को समिति में नियुक्त कर सकते हैं। बताया गया कि इस फंड के बनने के एक सप्ताह के अंदर ही इसमें 6,500 करोड़ रुपए जमा हुए। यह मामला पेचीदा तब हुआ जब आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने पीएम केयर्स फंड द्वारा वेंटीलेटरों की खरीदी पर सवाल उठाते हुए इसमें 3000 करोड़ के घोटाले का दावा किया। याद रहे यह सवाल ट्विटर जैसे सार्वजनिक प्लेटफार्म पर लगाए गए हैं।

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