भारत समेत पूरी दुनिया आज विश्व पर्यावरण को लेकर काफी गंभीर है और इनके जतन और संरक्षण के लिए कई नीतियां और योजनाएं बना रही है। लेकिन भारत सिर्फ योजनाएं और नीतियां बना ही नहीं रहा है, बल्कि उस दिशा में तेजी से आगे भी बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन आज दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। इस दिशा में भारत सरकार के लक्ष्यों की पूर्ति और पर्यावरण संरक्षण के साथ ही प्रदूषण को कम करने के लिए सिर्फ पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ही नहीं बल्कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय के अलावा भी अन्य मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं।
इसी के तहत वायु प्रदूषण के खतरे से निपटने और काला धुआं छोड़ती गाड़ियों से निपटने के लिए लोग इथेनॉल, मेथनॉल, बायो-डीजल, बायो-सीएनजी, बायो-एलएनजी, ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक पर स्विच कर रहे हैं। देश में हरित हाइड्रोजन की दिशा में तेजी से काम हो रहे हैं। केंद्र सरकार ने पर्यावरण की स्थिति को बेहतर करने के निरंतर प्रयास कर रही है। पर्यावरण की इसी स्थिति पर जांच के लिए प्रधानमंत्री पर्यावरण सम्मेलन का उद्घाटन किया जिसमें देश के सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के पर्यावरण मंत्री शामिल हैं । ये सम्मेलन गुजरात के एकता नगर में आयोजित किया जा रहा है जो आज और कल 24 सितंबर तक चलेगा। इस सम्मेलन में 6 सत्र होंगे। प्रधानमंत्री इस सम्मेलन में वर्चुअल रूप से शामिल हए। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री कई मुद्दों पर बात करेंगे ,जिसमें प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने, लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (लाइफ) को ध्यान में रखते हुए जलवायु परिवर्तन की चुनौती का प्रभावी मुकाबला करने से जुड़े विषयों पर चर्चा की जाएगी। साथ ही प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, वन्यजीव और वन प्रबंधन के मुद्दों पर राज्यों की कार्य योजनाओं जैसे मुद्दे शामिल हैं।
सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि नया भारत नए दृष्टिकोण और नई सोच के साथ आगे बढ़ रहा है। भारत तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था है और पारिस्थितिकी को लगातार मजबूत कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि देश में वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है। आर्द्रभूमि का भी तेजी से विस्तार हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में शेर, बाघ, हाथी, एक सींग वाले गैंडे और तेंदुए की संख्या बढ़ी है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत में चीतों का गर्मजोशी से स्वागत, आतिथ्य सत्कार का एक उदाहरण है। साथ ही उन्होंने राज्यों से पर्यावरण संरक्षण में सर्वोत्तम कार्यप्रणाली को सीखने और उन्हें पूरे देश में सफलतापूर्वक लागू करने का आग्रह किया।
केंद्र सरकार टीम इंडिया और सहकारी संघवाद की भावना को मजबूती देने और राज्य के नीति निर्माताओं को राष्ट्रीय दृष्टिकोण से जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। अपने इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए नरेंद्र मोदी भिन्न भिन्न सम्मेलनों व बैठकों आदि में शामिल होते रहते हैं।
इससे पहले पर्यावरण सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री द्वारा उठाया गया सबसे महत्वपूर्ण कदम स्वच्छ भारत अभियान है। जिसकी शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन के साथ हुई । इस मिशन के तहत, भारत में सभी गांवों, ग्राम पंचायतों, जिलों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ग्रामीण भारत में 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण करके 2 अक्टूबर 2019, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक स्वयं को “खुले में शौच से मुक्त” (ओडीएफ) घोषित किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि खुले में शौच न करने की प्रथा स्थायी रहे, कोई भी वंचित न रह जाए और ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन की सुविधाएं सुलभ हों, मिशन अब अगले चरण Iअर्थात् ओडीएफ-प्लस की ओर अग्रसर है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण के तहत ओडीएफ प्लस गतिविधियां ओडीएफ व्यवहार को सुदृढ़ करेंगी और गांवों में ठोस एवं तरल कचरे के सुरक्षित प्रबंधन के लिए कार्य करेंगी। इसी प्रकार के कई अन्य आंदोलन भी हैं जिसमें कैच द रेन, मिट्टी बचाओ आंदोलन आदि शामिल हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार सर्वे भवन्तु सुखिन: के मंत्र पर आगे बढ़ते हुए सभी के सुरक्षित व समृद्ध जीवन हेतु निरंतर प्रयासरत है। इसी के तहत नवंबर 2021 में ग्लासगो में काॅप-26 शिखर सम्मेलन भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध भारत ने दुनिया को पंचामृत की सौगात भी दी थी । दरअसल, क्लाइमेट चेंज पर हुए वैश्विक मंथन पीएम मोदी ने कहा था कि इस चुनौती से निपटने के लिए पांच अमृत तत्व रखना चाहता हूं, पंचामृत की सौगात देना चाहता हूं। इनमें पहला अमृत तत्व है भारत, 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुंचाएगा। दूसरा भारत, 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकता, नवीकरणीय ऊर्जा से पूरी करेगा। तीसरा भारत 2030 तक के कुल प्रोजेक्टेड कार्बन एमिशन में एक बिलियन टन की कमी करेगा।
चौथा 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा। पांचवा वर्ष 2070 तक भारत, नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा।