कोरोनाकाल के बाद से देश में रोजगार के अवसर बेहद कम हो गए हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी की दर दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। रोजगार को लेकर काफी समय से सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इस बढ़ती समस्या को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के तहत मेनुफेक्चरिंग कम्पनीज को 3000 करोड़ निवेश करने की सूचना दी है। जिससे रोजगार के अवसर मिल सकेंगे। इस निवेश से अनुमान लगाया जा रहा है कि लगभग 2 लाख नई नौकरियों में भारतियों को भर्तियां मिल सकेंगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ‘उद्योग कई चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक्स पर राष्ट्रीय नीति वर्ष 2019 का टारगेट भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग के लिए ग्लोबल स्तर पर स्थापित करना और इसे बेहतर बनाना है। इसके लिए सरकार द्वारा कई बड़े कदम भारत सरकार द्वारा उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार ने देश के हित में एक और बड़ा फैसला लिया है। जिसके तहत देश में रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे।’
केंद्र सरकार ने डेल, एचपी, फॉक्सकॉन और लेनोवो समेत 27 कंपनियों को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के तहत मंजूरी का ऐलान कर दिया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव के द्वारा इसकी जानकारी दी है। यह मंजूरी ऐसे समय में दी गई है, जब सरकार अपनी योजना से आईटी हार्डवेयर कंपनियों को अपनी पॉलिसी और प्रोत्साहन से आकर्षित कर रही है। इसके साथ केंद्र सरकार मैन्युफैक्चरिंग में देश में स्थापित करने का प्रायस कर रही है, और इस योजना में यह बेहद महत्वपूर्ण कदम है।
अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए कहा कि ‘इसमें से 23 कंपनियां तुरंत मैन्युफैक्चरिंग वर्क शुरू करने लिए तैयार हैं, जबकि अतिरिक्त चार कंपनियां अगले 90 दिनों के भीतर कार्य शुरू कर देंगी। सरकार के इस कदम से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 3000 करोड़ रुपये का निवेश आने का अनुमान है, जबकि 50 हजार लोगों को डायरेक्ट नौकरी और 1.5 लाख लोगों को इनडायरेक्ट नौकरी मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है।
कितनी कोम्पनियों का आवेदन
सरकार के इस योजना का फायदा उठाने के लिए डेल, एचपी, फॉक्सकॉन और लेनोवो समेत कुल 40 कंपनियों ने पीएलआई योजना के लिए आवेदन किया था। इस योजना के तहत इन कम्पनीज को 4.65 लाख करोड़ रुपये मूल्य के पर्सनल कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट, सर्वर और मिक्सड प्रोडक्ट का उप्तादन के लिए दिए जायेंगे। और अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जिन कंपनियों को अभी तक आईटी हार्डवेयर पीएलआई स्कीम के तहत मंजूरी नहीं मिली है, उनका आकलन किया जा रहा है। उम्मीद है कि इन कंपनियों को जल्द ही इस योजना के तहत शामिल किया जाएगा।
क्या है प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम?
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना भारत सरकार के द्वारा एक पहल की गई है, जिसका उद्देश्य घरेलू एवं स्थानीय उत्पादन और अंतरराष्ट्रीय इंडस्ट्रीज को देश में श्रम आधारित उद्योगों में निवेश और रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहित करना है। इसका उद्देश्य उन्नत प्रौद्योगिकी और मुख्य क्षेत्रों में विदेशी निवेश को आकर्षित करना, निर्यात को बढ़ावा देना और आर्थिक विकास में योगदान देना है। पीएलआई योजना विभिन्न लाभ प्रदान करती है, जिसमें आयात और निर्यात शुल्क पर रियायतें, कर छूट, सस्ती भूमि अधिग्रहण और नई परियोजनाओं का प्रबंधन करने वाले एंकर निवेशकों के लिए समर्थन शामिल है। यह योजना सभी 14 क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाएं उचित अनुमोदन के बाद संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा अधिसूचित की गई हैं। ये योजनाएं कार्यान्वयन मंत्रालयों/विभागों द्वारा कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। पीएलआई योजना से देश के एमएसएमई पारिस्थितिकी तंत्र पर व्यापक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
कब लाई गई यह योजना
सरकार ने आईटी हार्डवेयर पीएलआई योजना की शुरुआत इसी वर्ष मई के महीने में की थी, जिसके लिए 17 हजार करोड़ की मंजूरी दी गई थी। इस स्कीम के तहत लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पीसी, सर्वर और अल्ट्रा-स्मॉल फॉर्म फैक्टर डिवाइस में डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है। इससे 3.5 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन शुरू होने और 2 लाख रुपये रोजगार के अवसर पैदा होने का अनुमान है। इस योजना के तहत प्रोत्साहन मूल्य 5 फीसदी तक बढ़ा दिया जाता है। इसके अलावा, पीएलआई स्कीम से मेमोरी चिप्स, सॉलिड-स्टेट ड्राइव, चेसिस, बिजली आपूर्ति घटकों और एडेप्टर जैसे उपकरण के उत्पादन को भी बढ़ावा मिल सकेगा।