बिहार में पिछले काफी समय से राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के ‘जन सुराज यात्रा’ निकालने पर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि वे 2025 में होने वाले चुनाव की तैयारी में जुटे हैं और पदयात्रा निकालकर अपनी जमीन तैयार कर रहे हैं। हालांकि अगले साल होने वाले आम चुनाव में वे अपने समर्थित प्रत्याशी नहीं उतारेंगे, इस बात से भी उन्होंने पूरी तरह इनकार नहीं किया है। यात्रा के दौरान प्रशांत किशोर बिहार के अलग-अलग इलाकों में घूमकर लोगों को आरजेडी, बीजेपी और कांग्रेस की नीतियों से पर्दा उठा रहे हैं। साथ ही नए बिहार का सपना भी दिखा रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि आखिर पीछे का असली प्लान क्या है। पिछले दिनों मीडिया से बातचीत में पीके ने नई राजनीतिक पार्टी बनाने के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि वे अभी जनसुराज पदयात्रा निकाल रहे हैं। यह यात्रा जब पूरी हो जाएगी, तो वे अपने साथियों और समर्थकों से बातचीत करके नई पार्टी बनाने के बारे में फैसला लेंगे। दो हफ्ते पहले वैशाली में पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि क्या वह 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि अगर कोई ईमानदार और योग्य उम्मीदवार उनसे समर्थन मांगेगा, तो वे उसे जरूर सपोर्ट करेंगे। हालांकि सीधे तौर पर प्रत्याशी उतारने की बात से उन्होंने इनकार कर दिया।
माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर 2024 नहीं, बल्कि दो साल बाद होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपनी जमीन तैयार कर रहे हैं। यही वजह है कि वह बिहार के हर जिले के गांव और कस्बों में जाकर लोगों से संवाद कर रहे हैं। उनकी जन सुराज पदयात्रा बीते साल 2 अक्टूबर को शुरू हुई थी, जिसके लोकसभा चुनाव 2024 से पहले खत्म होने की संभावना नहीं है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि पीके नई पार्टी बनाकर 2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के खिलाफ ताल ठोक सकते हैं। प्रशांत किशोर अपने भाषणों में आरजेडी, जेडीयू, बीजेपी और कांग्रेस को बिहार की बदहाली का जिम्मेदार ठहराते हैं। वे अक्सर नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, पीएम नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी जैसे नेताओं की आलोचना करते हैं। उनका कहना है कि लालू यादव बिहार में ‘जंगलराज’ लेकर आए। उनका विरोध कर नीतीश मुख्यमंत्री बने लेकिन अब वे खुद लालू के साथ ही हैं। केंद्र में बीजेपी की सरकार है लेकिन उन्होंने भी बिहार के विकास के लिए बड़ा कदम नहीं उठाया। आजादी के बाद कांग्रेस इतने सालों तक केंद्र और राज्य की सत्ता में काबिज रही लेकिन बिहार पिछड़ा राज्य ही बनकर रहा।
गौरतलब है कि पिछले दिनों बिहार विधान परिषद की 5 सीटों पर हुए चुनाव में से एक सीट पर प्रशांत किशोर समर्थित उम्मीदवार आफाक अहमद ने जीत दर्ज की थी। पीके के जन सुराज अभियान की यह पहली राजनीतिक सफलता थी। इसके बाद से उनका जोश बढ़ गया है। उनके अभियान से जुड़े लोगों में भी उत्साह है कि आने वाले चुनावों में पीके की रणनीति से चुनावी सफलता हासिल की जा सकती है। पीके लोगों को नए बिहार के सपने दिखा रहे हैं। जन सुराज अभियान से जुड़े एमएलसी आफाक अहमद, सच्चिदानंद राय समेत अन्य नेताओं ने पटना में बीते दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि नया बिहार बनाना ही हमारा लक्ष्य है। इसके लिए युवा शक्ति को मजबूत किया जा रहा है। बिहार बदलाव की राह पर है वह समय आ रहा है जब लोग खुद को बिहारी कहने पर गर्व महसूस करेंगे।