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पीके ने अमित शाह को फिसड्डी नेता दिया करार

प्रशांत किशोर ये नाम आपने जब भी सुना होगा जब पश्चिम बंगाल में चुनाव हो रहे थे और अब भी सुना होगा जब चुनाव खत्म हो गए है। ये भी हो सकता है कि आपने ये नाम कभी न सुना हो। कभी- कभार मीडिया से रूबरू होने वाले और बहुत ही कम मीडिया संस्थानों को साक्षात्कार देने वाले प्रशांत किशोर अपना सारा कीमती वक्त केवल देते हैं अपने चुनावी वार रूम को। जहां वह शांत मन और धैर्य के साथ सुनते हैं पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की बातें। जी हां, प्रशांत किशोर वहीं हैं जिन्होंने पश्चिम बंगाल के चुनाव में टीएमसी की जीत पहले ही पक्की कर दी थी। साफ़ शब्दों में कहें तो कहानी के सूत्रधार।

टीएमसी पार्टी के चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि प. बंगाल चुनाव में बीजेपी को 40 फीसदी वोट मिलने जा रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी उनकी सीटें 100 के पार नहीं जाएंगी। अगर ऐसा होता है तो वह अपने काम से ही तौबा कर लेंगे। हुआ भी यही ममता बनर्जी की इस बार हैट्रिक जीत हुई। प्रशांत किशोर को अक्सर चुनावी खेल में पार्टियों के अग्रणी नेताओं की जीत में ‘मैन ऑफ द मैच’ माना जाता है।

हाल ही में उन्होंने एक ऑनलाइन न्यूज़ वेबसाइट टेलीग्राफ को इंटरव्यू दिया है। जहां उन्होंने कई ऐसे बातें कहीं जो वाकई भाजपा को आत्मंथन करने के लिए सोचने पर मजबूर कर देंगी।

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दरअसल, उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया कि बंगाल में उनकी जीत पक्की थी। उन्हें विश्वास था कि टीएमसी ही जीतेगी। उन्होंने बीजेपी की हार पर कहा कि आपको केवल आपका प्रचार चुनाव जीतने में सक्षम नहीं बना सकता है। बंगाल में बीजेपी की हार आंशिक रूप से कहे तो ये उनके अहंकार का परिणाम है, विशेष रूप से अमित शाह जैसे नेताओं का अहंकार। वह जमीनी मुद्दों से चूक गए और हवा हवाई बातों में समय व्यर्थ चला गया । प्रशांत किशोर कई बार पहले भी कह चुके है कि भाजपा पहले से ही खुद को विजयी घोषित करने वाली लड़ाई शुरू कर देती है, जिससे उसे नुकसान होता है।

उन्होंने आगे कहा कि लड़ाई जीतना तब ही संभव है, जब आपके पास कोई ऐसा व्यक्ति हो जो सामने वाली पार्टी से मुकाबला करने के लिए गंभीर हो, तो जो बंगाल में हुआ वही होता है। ममता बनर्जी ने कहा था, ‘ठीक है हम यहां हैं, आओ, हम लड़ेंगे, खेले होबे’। ममता बनर्जी को वर्ष 2019 में कठोर आघात लगा, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से लिया। मुझे याद है कि मैंने अपने पिता को खो दिया था जब उन्होंने मुझसे संपर्क किया था। मैंने कहा कि मेरा परिवार शोकग्रस्त है, मुझे कुछ समय लगेगा लेकिन वह चिंतित और बेचैन थी। वह मुझे तात्कालिकता से बुला रही थी।

 

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क्योंकि वह जानती थी कि उन्हें तत्काल नीतियां बदलनी होगी। यही एक वास्तविक राजनीतिक नेता की पहचान है। वह लड़ना चाहती थी। यही एक गंभीर सेनानी और राहुल गांधी जैसे किसी के बीच अंतर को परिभाषित करता है। वह कोई बहाना नहीं बनाती है, वह इस बात की तलाश करती है कि वह खेल में कितनी अच्छी रह सकती है। यहां उन्होंने राहुल गाँधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा आगे लेकिन बीजेपी पूरी तरह से चूक गई जबकि हमने 2019 के बाद जनता के बीच व्यापक कार्यक्रमों के माध्यम से निरंतर प्रचार किया। हमने लोगों के बीच जमीन पर रहकर काम को अंजाम दिया।

जैसा कि अक्सर कहा जाता रहा है कि भाजपा आज बंगाल में एक जबरदस्त ताकत बनकर उभरी है। लेकिन पीके का कहना है कि देश के गृह मंत्री अमित शाह एक सबसे अधिक मूल्यांकन वाले राजनीतिक और चुनाव प्रबंधक हैं। उनके पास नरेंद्र मोदी जैसे करिश्माई नेता हैं, जिनके सहारे वह जीत हासिल कर सकते हैं। उनके पास पर्याप्त संसाधन हैं। संघ द्वारा समर्थित एक विस्तृत पार्टी नेटवर्क है, उनके पास सरकार और सरकारी एजेंसियों का समर्थन है और तो और चुनाव आयोग भी उनकी कठपुतली बना हुआ है फिर भी वह हार गए।  पीके ने अमित शाह को फिसड्डी नेता करार दे दिया।

प्रशांत किशीरे ने यह भी कहा कि यह तीसरी बार है जब अमित शाह को मैंने मैदान में धूल चटा दी है। वर्ष 2015 में बिहार में, दिल्ली में और बंगाल में और ज़ाहिर है, हमने उन्हें आंध्र और पंजाब में भी हराया, जहां भाजपा स्थानीय दलों के साथ गठबंधन में लड़ रही थी। वह एक अच्छा राजनीतिक रणनीतिकार साबित नहीं हुए है। मुझे कहना होगा कि मैं एक राजनेता के रूप में अमित शाह के लिए सबसे बड़ा सम्मान नहीं हूं।

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अमित शाह के 200 के आंकड़े को छूने वाले दावे पर प्रशांत किशोर ने साफ कहा था कि बीजेपी को अमित शाह के बंगाल दौरे से ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है। भाजपा नेता की यह यात्रा मीडिया द्वारा बनाई गई एक छवि है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा परिणामों में दोहरे अंकों का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी। उन्होंने ट्वीट किया, ‘मीडिया के समर्थित पक्ष द्वारा बढ़ा चढ़ा कर दिखाया गया । वास्तव में, भाजपा को दोहरे अंकों के निशान को पार करना भी मुश्किल होगा। कृपया इस ट्वीट को सेव कर लें। और अगर बीजेपी बंगाल में अच्छा प्रदर्शन करती है तो मैं इस पद को छोड़ दूंगा। और सबके सामने है हुआ भी ऐसा ही।

किशोर चुनावी रणनीतियों को सफलतापूर्वक तैयार करने का अनुभव रखते हैं, जिसमें 2014 में नरेंद्र मोदी का पहला प्रधानमंत्री अभियान भी शामिल है, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 2015 के अभियान को सफलतापूर्वक पूरा किया और इसके बाद पंजाब में कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह को चुनाव जिताने में मदद की। इसके बाद उन्होंने साबित किया कि वह चुनावी रणनीति के मास्टर हैं और 2019 में आंध्र प्रदेश की सत्ता में आने के लिए वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी की मदद की। उन्होंने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल को भी सलाह दी थी।

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