तीन दिन से चला रहा राजस्थान का सियासी ड्रामा आज कही खुशी कहीं गम के माहौल में बदल गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे में जहां विधायक दल के बहुमत का प्रदर्शन करने पर खुशियां मनाई जा रही है। वहीं, दूसरी तरफ सचिन पायलट खेमे में निराशा के भाव हो गए हैं।
हालांकि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विधायकों का पूर्ण समर्थन मिलने पर भी सचिन पायलट हिम्मत नहीं हारे हैं ।वह अभी भी अपनी बात पर अडिग है। फिलहाल 20 विधायक सचिन पायलट के साथ हैं। जो अब तक मुख्यमंत्री के सामने नहीं पहुंचे हैं। ये विधायक हैं-राकेश पारीक,मुरारी लाल मीणा, जीआर खटाना, इंद्राज गुर्जर, हरीश मीणा, दीपेंद्र शेखावत,भंवर लाल शर्मा,विजेंद्र ओला, हेमाराम चौधरी, पीआर मीणा, रमेश मीणा, विश्वेंद्र सिंह, रामनिवास गावड़िया, मुकेश भाकर, सुरेश मोदी, वेदप्रकाश सोलंकी, रामनारायण मीना, अमर सिंह जाटव, गजेंद्र सिंह आदि।
जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से दावा किया जा रहा है कि उनके पास 109 विधायकों का समर्थन हासिल है । हालांकि फिलहाल की स्थिति को देखें तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। लेकिन कहीं ना कहीं अभी भी मुख्यमंत्री खेमे में दहशत का माहौल है। शायद यही वजह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी विधायकों को एक होटल में ‘कैद’ कर लिया है। जबकि दूसरी तरफ सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं।
कांग्रेस की राजनीतिक सरगर्मियों को देखें तो आज सुबह जयपुर के पार्टी मुख्यालय में सचिन पायलट के पोस्टर और बैनर हटा दिए गए थे। यही नहीं बल्कि यह भी कहा जाने लगा था कि विधायक दल की मीटिंग में प्रदेश अध्यक्ष का भी नाम तय हो जाएगा। लेकिन दोपहर के बाद कांग्रेस में यू टर्न दिखाई दे रहा है। कांग्रेस का पहला यू टर्न यह है कि पार्टी मुख्यालय में दोबारा से सचिन पायलट के फोटो और बैनर लगाए जा रहे हैं।
जबकि दूसरी तरफ पहले से ही कांग्रेस द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा था कि सचिन पायलट से सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने दिल्ली में मिलने से इनकार कर दिया है और उन्हें जयपुर जाकर विधायक दल की मीटिंग में शामिल होने को कहा है। लेकिन अब कहा जा रहा है कि सचिन पायलट को मनाने की कोशिशें की जा रही है। जिसके लिए उत्तर प्रदेश की महासचिव प्रियंका गांधी को आगे किया गया है। हालांकि, प्रियंका गांधी सचिन पायलट को कितना मना पाएगी यह तो भविष्य तय करेगा।
लेकिन फिलहाल सचिन पायलट के सामने असमंजस जैसी स्थिति आ गई है। अगर वह आगे बढ़ते हैं तो उनके साथ फिलहाल जो सिर्फ 20 विधायक हैं वही रहेंगे या और भी विधायकों का कारवां जुड़ेगा यह देखना दिलचस्प होगा। अगर वह पीछे हटते हैं तो क्या कांग्रेस उन्हें पहले की तरह मान सम्मान के साथ स्वीकार करेगी। कांग्रेस में सचिन पायलट की स्थिति पहले से बेहतर होगी या अस्वीकार नेता माने जाएंगे।
फिलहाल राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ऊहापोह की स्थिति में है। वह अभी तक तय नहीं कर पा रहे हैं कि कहां जाए? क्योंकि अगर वह आगे बढ़ते हैं तो ‘थर्ड फ्रंट’ बनाकर अपनी राजनीतिक नीव जमा सकते हैं। यह नीव कितनी मजबूत होंगी यह तो अभी तय नहीं है। लेकिन थर्ड फ्रंट के मामले में वह वह रिस्क ले सकते हैं। हालांकि, ऐसी संभावनाएं ज्यादा है। पायलट की पत्नी सारा पायलट के ट्वीट देखे तो लगता है कि वह अब पीछे मुडकर देखने के मुड़ में नही है।
याद रहे कि सचिन पायलट पूर्व में ही कह चुके हैं कि वह भाजपा में नहीं जाएंगे। इसके बावजूद भी भाजपा द्वारा सचिन पायलट को अपने खेमें में लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। पूर्व में सचिन पायलट को राजस्थान का बना का मुख्यमंत्री बनाने के लिए भाजपा की तरफ से मौन सहमति भी हो गई थी। जिसमें भाजपा ‘मूकदर्शक’ बनी हुई थी। भाजपा सचिन पायलट की शक्ति देखना चाहती थी और उसके बाद ही वह कोई फैसला करने की योजना बना रही थी। लेकिन अब भाजपा सचिन पायलट को लेकर गंभीर है या नहीं यह एक सवाल है।