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पायलट ने की राहुल और प्रियंका से मुलाकात, बगावत खत्म करने का दिलाया भरोसा

पायलट ने की राहुल और प्रियंका से मुलाकात, बगावत खत्म करने का दिलाया भरोसा

राजस्थान में 14 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले सचिन पायलट ने सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की। सूत्रों के हवाले से आई खबरों के मुताबिक, कांग्रेस आलाकमान को पायलट ने भरोसा दिलाया है कि वह अपनी बगावत को खत्म कर देंगे।

कयास इस बात के भी लगाए जा रहे हैं कि पार्टी की तरफ से बागियों नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। खबरों के मुताबिक, अभी पायलट को राजस्थान कांग्रेस या गहलोत सरकार में कोई जिम्मेदारी संभालने नहीं मिलेगा। बताया जा रहा है उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

ऐसा माना जा रहा है कि बीते दिनों पायलट खेमे के विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा और भंवरलाल शर्मा के खिलाफ हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई को भी खत्म किया जा सकता है। लेकिन विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा, जिन्हें पिछले महीने पायलट के साथ गहलोत मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था, को फिर से मंत्रीमंडल में जगह दी जाए।

उधर, जयपुर में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (आरपीसीसी) के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटसरा से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मुलाकात कर रहे हैं। इस बात पर मंथन पार्टी में चल रहा है कि गहलोत खेमे और पायलट खेमों के बीच पार्टी के फैसले के प्रभाव को कैसे नियंत्रित किया जाए। इसको लेकर बारीकी काम किया जा रहा है।

लेकिन राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सचिन पायलट बीच बैठक में क्या कुछ चर्चा हुई ये अभी सामने नहीं आया। आउटलुक मैगेजिन ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पिछले हफ्ते कांग्रेस ने पायलट के साथ औपचारिक वार्ता को फिर से शुरू किया था।

इसके अलावा शनिवार को जैसलमेर में गहलोत और उनके विधायकों से कांग्रेस संगठन के महासचिव और राज्यसभा सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने मुलाकात की थी और उन्हें महीने भर से चल रहे गतिरोध के संभावित अंत की जानकारी दी थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से वेणुगोपाल ने पायलट के खिलाफ कोई नया बयान नहीं देने का भी आग्रह किया था।

बताया जा रहा है कि पार्टी पर्यवेक्षकों से गहलोत के वफादारों ने कहा है कि जिन विधायकों ने बगावत का रास्ता चुना उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। उनका मानना है कि अगर पायलट और उनके वफादारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी तो गहलोत खेमे के विधायकों को डर है कि कांग्रेस जोखिम में आसानी से बांटने और अनुशासनहीनता को सहन करने का संदेश देगी।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से शुरू होने जा रहा है। इसी बीच भाजपा ने भी टूट के डर से अपने 12 विधायकों को गुजरात भेजा दिया है। ध्यान रहे कि राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार पर उस समय संकट मंडराया जब सचिन पायलट की अगुवाई में 19 कांग्रेसी विधायकों ने बागी रूख अपना लिया। उसके बाद सचिन पायलट को उप-मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था।

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