प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च से 21 दिनों तक के लिए पूरे को देश को लॉकडाउन कर दिया। लेकिन उन हजारों श्रमिकों और दैनिक आय वाले लोगों का क्या जिसके पास न रहने की जगह है और न खाने-पीने का ठिकाना। दिहाड़ी मजदूर हो या फिर सड़क किनारे बैठे रेडलाइट पर खिलौना बेचने वाले। कहा जाएं। अगर कमाएंगे नहीं तो खाने को एक दाना नहीं मिलेगा। ऐसे में सभी शहर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। कोई बस या ट्रेन उपलब्ध नहीं होने के कारण वे पैदल ही अपने-अपने घर की ओर निकल पड़े हैं।
एक ऐसी ही बुजुर्ग महिला हैं। उम्र है 90 साल। 400 किलोमीटर दूर जाना है अपने घर। राजस्थान की रहने वाली बूढ़ी अम्मा दिल्ली में ट्रैफिक लाइट पर खिलौने बेचती थी। उनके साथ उनका परिवार भी यही काम करता था। पहले सड़कों पर गुजारा होता था अब सरकार के फैसले के बाद वहां भी गुजारा नहीं। पुलिस सबको हटा रही है। जब कोई आसरा नहीं मिला तो लगभग 400 किमी दूर राजस्थान के सवाई माधोपुर के लिए पैदल निकल पड़ी। ये नोएडा सेक्टर 15 में रहती थी। बूढ़ी अम्मा दिल्ली से पैदल यात्रा कर राजस्थान के परी चौक जा रही है। असल में वो परी चौक इसलिए पूछ रही थी क्योंकि वहाँ से उन्हें उम्मीद थी कि वहाँ से बस मिल जाएगी। जहाँ से वे मथुरा और सवाई माधोपुर जाएंगे। लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि सब कुछ बंद है।
बूढ़ी अम्मा को लेकर कांग्रेस नेता उदित राज ने ट्वीट कर सरकार पर सवाल उठाया है। उन्होंने लिखा है, “दिल्ली से 400 किलोमीटर दूर राजस्थान के अपने गांव पैदल लौटती हुई 90 साल की बुजुर्ग मां…! ये सरकार निकम्मी है। तस्वीर आउटलुक से साभार!” ये तस्वीर कई लोगों ने शेयर किया है जिसके बाद ये सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
दिल्ली से 400 किलोमीटर दूर राजस्थान के अपने गांव पैदल लौटती हुई 90 साल की बुजुर्ग मां…!
ये सरकार निकम्मी है ।
तस्वीर आउटलुक से साभार! pic.twitter.com/oRsNEykYhj— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) March 26, 2020
उन्होंने एक और ट्वीट किया है जिसमें लिखा है, “ये लोग जो पैदल ‘वतन वापसी’ कर रहे हैं ना साहब। ये लोग गरीब अपनी किस्मत से नहीं हैं ‘गैर बराबरी’ के मारे हुए हैं। किसी ने इनसे ‘अवसर’ छीन लिया, इनकी हकमारी कर ली है, इनके मुंह का निवाला ‘मैरिट’ के नाम पर छीन लिया है।”
ये लोग जो पैदल "वतन वापसी" कर रहे हैं ना साहब । ये लोग गरीब अपनी किस्मत से नहीं हैं "गैर बराबरी" के मारे हुए हैं ।
किसी ने इनसे "अवसर " छीन लिया, इनकी हकमारी कर ली है , इनके मुंह का निवाला "मैरिट" के नाम पर छीन लिया है । pic.twitter.com/6ULlu7QxB9
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) March 27, 2020
सवाल उठता है कि इन लोगों के लिए सरकार क्या कर रही है। इन बूढ़े-बच्चों की क्या गलती थी। कुछ महिलाएं प्रेग्नेंट हैं। वो क्या करें। मीडिया में बार-बार इस मामले को उठाया गया। जिससे राज्य सरकारें हरकत में आई हैं। बिहार, झारखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, सरकारों ने मदद के निर्देश दिए हैं।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर आ रहे अन्य राज्यों के मजदूरों और अन्य दैनिक काम करने वालों के लिए मानवीय आधार पर विशेष व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड निवासी सभी लोगों और बिहार जाने वाले सभी श्रमिकों और कर्मकारों और अन्य नागरिकों का पूरा ख्याल रखा जाएगा और इन व्यक्तियों को सुरक्षित उनके गन्तव्य स्थल तक भेजा जाएगा।
साथ ही उनके खाने-पीने-रहने की भी व्यवस्था की जाएं। उन्होंने मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव परिवहन और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री को निर्देशित किया है कि मानवीय आधार पर ऐसे व्यक्तियों के लिए भोजन व पानी की व्यवस्था की जाए और स्वास्थ्य संबंधी पूरी सावधानी बरतते हुए इन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को आश्वस्त किया कि बिहार राज्य जाने वाले ऐसे सभी व्यक्तियों का पूरा ख्याल रखा जाएगा और इन व्यक्तियों को सुरक्षित उनके गन्तव्य स्थल तक भेजने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही योगी ने हरियाणा राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बात की।
उन्होंने हरियाणा में उत्तर प्रदेश के निवासियों के लिए उनके प्रदेश में यथा स्थान ठहरने और भोजन आदि की व्यवस्था करने का अनुरोध किया। योगी ने ये भी निर्देश दिए कि वाराणसी सहित प्रदेश के विभिन्न तीर्थ स्थानों पर फंसे अन्य राज्यों और गुजरात आदि के तीर्थ यात्रियों के लिए भी भोजन और सुरक्षा आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
झारखंड
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दूसरे राज्यों में फंसे झारखंड के श्रमिकों की मदद के लिए देश के सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि रोजगार के लिए विस्थापन का दंश झेल रहे झारखंड के लिए यह बड़ी आपदा है। कृपया हमारा साथ दें। हम झारखंड में फंसे दूसरे राज्यों के श्रमिकों की हर संभव मदद कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयास के बाद दिल्ली में फंसे झारखंड के लोगों के लिए भोजन का प्रबंध हो गया है। जिसकी जानकारी मिलते ही हेमंत सोरेन ने अरविंद केजरीवाल को धन्यवाद कहा है।
इसके बाद हेमंत सोरेन ने हेल्पलाइन नम्बर जारी की। नम्बर है 0651- 2282201 पर संपर्क करके झारखंड सरकार तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं। कंट्रोल रूम के माध्यम से हर जरूरतमंदों को उचित मदद पहुंचायी जाएगी। इस सम्बंध में सोरेन ने अन्य राज्यों के सीएम से भी आग्रह किया है।
राजस्थान
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से बातचीत की। उनसे आग्रह की है कि वे प्रवासी राजस्थानियों के लिए आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव ने लॉकडाउन के चलते विभिन्न राज्यों के बीच हो रहे प्रवासियों के आवागमन को पूरी तरह रोकने के निर्देश दिए हैं।
ऐसे में, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली आदि राज्यों के बीच गरीब और मजदूर तबके के उन लोगों का आवागमन रूक जाएगा, जो अपने घर जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि संक्रमण की स्थिति में यह आवागमन उचित भी नहीं है, इसलिए जो व्यक्ति जहां है, वहीं पर संबंधित राज्य सरकार उसके लिए भोजन-पानी तथा चिकित्सा सुविधा की उपलब्धता सुनिश्चित करवाएं।
गुजरात
गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन के बीच राजस्थान जाने वाले लगभग 700 प्रवासी श्रमिकों के लिए परिवहन की व्यवस्था की है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने आश्वासन दिया कि उन्हें भोजन और आवास प्रदान करने की व्यवस्था भी की जाएगी।
पटेल के ट्विटर हैंडल पर बताया गया, “उपमुख्यमंत्री कल रात राजमार्ग पर 700 प्रवासी श्रमिकों से मिले। वे सभी अहमदाबाद से राजस्थान में अपने पैतृक गांव लौट रहे थे।” ट्वीट के अनुसार, उन्होंने राज्य के अधिकारियों और गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा को राजमार्ग पर बुलाया। श्रमिकों के भोजन और परिवहन की व्यवस्था की ताकि उन्हें राजस्थान की सीमा तक पहुँचाया जा सके।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इस संबंध में कहा, “इस कठिन समय में समूहों में यात्रा करना उचित नहीं है। प्रवासी श्रमिकों को जहां हैं वहीं रहना चाहिए।” उन्होंने ये भी कहा कि राज्य सरकार स्वैच्छिक संगठनों की मदद से उनके भोजन की व्यवस्था करेगी। राज्य के कुछ हिस्सों में, पुलिस ऐसे श्रमिकों को भोजन पैकेट वितरित कर रही है।
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देश के 18 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इस बाबत पत्र लिखा। पत्र में राज्य के उन श्रमिकों को सहायता पहुंचाने का आग्रह किया है जो कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन के बाद जगह-जगह फंस गए हैं। बनर्जी ने पत्र में लिखा, ‘‘बंगाल के कई कामगार देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे हैं जिनमें अर्द्ध कुशल और अकुशल दोनों श्रेणी के हैं। देश में कोविड-19 महामारी की वजह से पूरी तरह बंद के कारण पश्चिम बंगाल के कई कामगार वापस नहीं आ सके और विभिन्न जगहों पर फंस गये हैं।’’
ममता बनर्जी का यह पत्र महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, दिल्ली, ओडिशा, कर्नाटक और पंजाब के मुख्यमंत्रियों को मिला है। इसमें बनर्जी ने कहा, ‘‘हमें सूचना मिली है कि बंगाल के मूल निवासी ऐसे कई श्रमिक आपके राज्य में भी फंसे हुए हैं। हमें उनके लिए आपात स्थिति में फोन आ रहे हैं।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्य तौर पर वे 50-100 के समूह में हैं और स्थानीय प्रशासन आसानी से उन्हें पहचान सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम उन्हें कोई मदद नहीं पहुंचा सकते, इसलिए मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि कृपया अपने प्रशासन को उन्हें संकट के इस समय में बुनियादी आसरा, भोजन और चिकित्सा सहायता मुहैया कराने को कहें।” साथ ही उन्होंने इस बात का आश्वासन दिया कि हम बंगाल में फंस गए ऐसे लोगों की देखभाल करेंगे और कर रहे हैं।
बिहार
प्रशान किशोर के तंज के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एक्शन में आए हैं। उन्होंने गुरुवार को हेल्पलाइन नंबर जारी की है। साथ ही उन्होंने कहा है कि बिहार के निवासी जिस भी शहर में राज्य के बाहर फंसे हैं वहां तक उन्हें मदद पहंचाई जाएगी। साथ ही उन तक राहत पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 100 करोड़ रुपये का राहत पैकेज देने का ऐलान किया।
इसके अलावा बिहार सरकार ने राज्य के बाहर फंसे लोगों की मदद के लिए अधिकारियों की एक टीम बनाई है। ये टीम घर से फंसे बिहार के लोगों के रहने-खाने की व्यवस्था देखेगी। राज्य सरकार की तरफ से दो नंबर जारी किए गए हैं। ये दो नम्बर 981831252 और 9773711261 हैं। इस नम्बर पर कॉल कर आप सहायता मांग सकते हैं। आपको इन दिए गए नंबरों पर कॉल करके जानकारी देनी होगी। इसके बाद टीम आपकी मदद की व्यवस्था करेगी।
इन दो नंबरों के अलावा भी सरकार ने कुछ अन्य नंबर भी जारी किए हैं। बिहार के श्रम मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कोषांग पदाधिकारियों का नंबर जारी की है। 9476191436 नंबर पर कॉल कर आप मुख्य सचिव सुधीर कुमार से बात कर अपनी समस्या बता सकते हैं। इसके अलावा 9431019731, 7631499034, 9973904546 इन तीन नंबरों पर भी कॉल कर सकते हैं। बिहार सरकार आपकी मदद के लिए आगे आएगी।