इस साल बुकर पुरस्कार के लिए लिस्ट जारी कर दी गई है। जिसमें तमिल लेखक पेरुमल मुरुगन का नाम भी नामांकित किया गया है।अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए 13 उपन्यासों की ‘लांग लिस्ट’ लिस्ट जारी की गई है जिसमें मुरुगन की पुस्तक ‘‘पायरी’’ को भी शामिल किया गया है।
2016 में अनिरुद्धन वासुदेव ने इस उपन्यास का तमिल से अंग्रेजी में अनुवाद किया था। इसके पुरस्कार में इन्हे 50 हजार पाउंड की धनराशि प्रदान की जाएगी जिसमें से आधी मुरुगन को मिलेगी और आधी अनुवादक को। पुरस्कार जूरी ने मुरुगन के विषय में कहा कि ‘‘शानदार रचनाकार विशेष रूप से, जातिगत घृणा और हिंसा की गहरी जड़ों को दर्शाने वाला लेखक है ’’। मुरुगन ने भी उनका शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि ‘‘अभी कुछ मिनट पहले किसी ने मुझे यह खबर दी। मैं बहुत खुश हूं और यह मेरे लेखन के लिए बहुत बड़ी स्वीकृति है। ‘पायरी’ झूठी शान के लिए हत्या से संबंधित है। झूठी शान के लिए हत्या हमारे देश में एक बहुत बड़ी समस्या है। मुझे उम्मीद है कि इस उपन्यास के बाद और अधिक लोग इस मुद्दे के बारे में जान पाएंगे।’’
गौरतलब है कि बीते साल हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास ‘टूंब ऑफ सेंड’ (रेत समाधि) के लिए बुकर पुरस्कार हासिल हुआ था। जिसके बाद गीतांजलि श्री बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका बन गई हैं।
किसे दिया जाता है अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार
अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार प्रतिवर्ष आयरलैंड या यूके में प्रकाशित उपन्यास के अनुवादित कार्य के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार बुकर पुरस्कार के साथ चलाया जाता है जो अंग्रेजी भाषा के उपन्यास के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार दो साहित्यिक पुरस्कारों में से एक है जो बुकर पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार साल 2015 तक द्विवार्षिक रूप से दिया जाता था। 2016 से इसे सालाना रूप से दिया जा रहा है। इस पुरस्कार में 50 हजार पाउंड का पुरस्कार दिया जाता है जो अनुवादक और लेखक के बीच समान रूप से विभाजित होता है। शॉर्टलिस्ट किए गए अनुवादक और लेखक को भी 2,500 पाउंड प्रदान किया जाते हैं।
कितने भारतीयों को मिल चुका है यह पुरस्कार
वी. एस. नायपॉल: भारतीय मूल के उपन्यासकार वी. एस. नायपॉल को वर्ष 1971 में “इन अ फ्री स्टेट” के लिए मैन बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साथ ही वर्ष 1979 में “अ बैंड इन द रिवर” के लिए उन्हें पुन: शॉर्टलिस्ट किया गया।
अनीता देसाई: भारतीय लेखिका अनीता देसाई अब तक तीन बार बुकर्स पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। पहली बार 1980 में विभाजन के बाद उनके उपन्यास “क्लीयर लाइट ऑफ डे” के लिए चुना गया। 1984 में “इन कस्टडी” के लिए। तीसरी बार 1999 में उनके द्वि सांस्कृतिक उपन्यास “फास्टिंग, फीस्टिंग” के लिए बुकर पुरस्कार प्रदान किया गया।
सर अहमद सलमान रुश्दी: रुश्दी ब्रिटिश भारतीय उपन्यासकार और निबंधकार है। इन्हे न केवल चार बार बुकर के लिए चुना गया बल्कि उन्होंने “बुकर ऑफ़ बुकर्स” और “द बेस्ट ऑफ द बुकर” भी जीता है। सलमान रुश्दी को वर्ष 1981 में उनके उपन्यास ” मिडनाइट चिल्ड्रन ” के लिए मैन बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। “शेम” के लिए वर्ष 1983, “द सैटेनिक वर्सेस” के लिए 1988, और “द मूर्स लास्ट साय” के लिए वर्ष 1995 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अरुंधती रॉय: इस राजनीतिक कार्यकर्ता ने अपने पहले उपन्यास “द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स” के लिए 1997 में बुकर पुरस्कार जीता।
अरविंद अड़ीगा: वर्ष 2008 अरविंद अड़ीगा को उनके पहले उपन्यास “द व्हाईट टाइगर” के लिए मिला था। इस उपन्यास ने अड़ीगा को बुकर पुरस्कार प्राप्त करने वाला दूसरा सबसे छोटा लेखक बनाया।
गीतांजलि श्री : वर्ष 2022 में लेखिका गीतांजलि श्री द्वारा रचित उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ़ सेंड’ (रेत समाधी)अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए चुनी जाने वाली पहली हिंदी भाषा की कृति बन गई है।