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राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होने पर 12 लोगों पर प्रतिबन्ध

आज़ादी के बाद रविंद्रनाथ टेगोर द्वारा लिखे गए राष्ट्रगान को देश के सम्मान का प्रतीक मन जाता है। राष्ट्रगान के कई नियम हैं जिसका अनुसरण करना नागरिकों का कर्तव्य माना जाता है।

हाल ही में जम्मू-कश्मीर से राष्ट्रगान के अपमान का एक मुद्दा सामने आया। जिसके आधार पर जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा आयोजित किये गए एक साइक्लिंग कार्यक्रम के अंत में बजाए गए राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होने पर 12 लोगों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इतना ही नहीं बल्कि राष्ट्रगान बजने से पहले सभी लोगों के खड़े होने को सुनिश्चित तय करने में विफल रहने के लिए पुलिस म्यूजिक बैंड के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है।
पहले यह कहा जा रहा था कि राष्ट्रगान का अपमान करने के लिए 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और कुछ पुलिसकर्मियों को भी निलंबित कर दिया गया था। बाद में श्रीनगर पुलिस ने एक ट्वीट करके कहा कि केवल 12 लोगों को आपराधिक धाराओं के तहत प्रतिबंधित किया गया है। इन 12 लोगों को सीआरपीसी की धारा 107 और 151 के तहत प्रतिबंधित किया गया है।  इन
धाराओं के तहत पुलिस को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने या हिरासत में लेने या अपराध की आशंका में उससे एक बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए कहने की शक्ति प्रदान करती हैं।

 

पहले भी हुए हैं राष्ट्रगान को लेकर विवाद

 

1986 में केरल में हुआ विवाद : अगस्त 1986 में केरल में राष्ट्रगान का अपमान करने के आरोप में 3 छात्रों को जन-गण-मन न गाने पर स्कूल से निकाल दिया गया था। क्योंकि इन तीनों छात्रों ने अपनी धार्मिक मान्यताओं का हवाला देते हुए राष्ट्रगान गाने से इनकार कर दिया था। हालांकि तीनों जन-गण-मन के दौरान खड़े जरूर होते थे। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो कोर्ट ने बच्चों के पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट का कहना था कि इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है जो किसी की धार्मिक भावनाओं या सम्मान आदि को ठेस पहुंचाते हों। कोर्ट का कहना है कि अगर कोई राष्ट्रगान नहीं गाता है, लेकिन पूरी तरह से उसका सम्मान करता है तो उस व्यक्ति को दंड दिया जा सकता है और न ही प्रताड़ित किया जा सकता है।

सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान का मामला : साल 2003 में भोपाल के रहने वाले श्याम नारायण ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर कर निर्देशक, करण जौहर पर अपनी एक फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ में राष्ट्रगान का अपमान करने का आरोप लगाया था। जिसमें राष्ट्रगान बजने पर उनके अलावा कोई खड़ा नहीं हुआ था। उन्होंने राष्ट्रगान के उचित सम्मान की मांग के मुद्दे पर एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसपर साल 2016 में फैसला सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी सिनेमा घरों राष्ट्रगान बजना अनिवार्य होगा जिसके सम्मान में सभी को खड़े होना अनिवार्य है। लेकिन केंद्र की अपील पर साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर संसोधन करते हुए कहा की सिनेमा घरों में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य नहीं है।

 

क्या कहता है संविधान  

 

जन-गण-मन को साल 1950 में भारत के राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया।  केंद्र सरकार ने साल 1971 में प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट पेश किया, जो संसद में पारित हुआ। इस एक्ट के तहत किसी भी राष्ट्रीय प्रतीक जैसे ध्वज, संविधान, राष्ट्रगान, देश के नक्शा का उल्लंघन या अपमान करने पर सजा का प्रावधान है।

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