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बाइक बोट की सवारी के चक्कर में डूब गए लोग, मंहगा पड़ा पैसा दुगुना करने का लालच

लालच बुरी बला है यह कहावत हम बचपन से अपने गांव के बुजुर्ग लोगों से सुनते आए हैं। लालच इंसान में किसी भी चीज को लेकर आ सकता है। पंरतु आजकल ज्यादा लालच लोगों में पैसों को लेकर देखा गया है। पैसों का लालच इंसान में इंसानियत का खात्मा कर देता है। पैसों के लालच के कारण ही आज भाई-भाई का, पिता पुत्र का रिश्तेदार-रिश्तेदारों की हत्या तक कर देता है। बाजार में आज अनेक कंपनियां ऐसी हैं जो यह दावा करती हैं कि आप हमारी कंपनी में पैसे लगाए और आपको इसका दोगुना रिटर्न दिया जाएगा। हालांकि इनमें से ज्यादातर कंपनियां फ्रॉड होती है। पंरतु दोगुना पैसा हर किसी को प्यारा होता है। इसी दोगुने पैसे के लालच के चक्कर में लोग अपनी जमा पूंजी कंपनी में इनवेस्ट कर देते है और बाद में उनके हाथ दोगुना क्या खुद का पैसा वापस मिलना मुश्किल हो जाता है।

2010 में संजय भाटी नाम के एक शख्स ने ‘गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड’ नाम की एक कंपनी बनाई। कंपनी ने 2018 में ‘बाइक बोट’ नाम से स्टार्टअप शुरु किया। ये ओला और उबर जैसी ऐप बेस्ड बाइक टैक्सी सर्विस थी। इन बाइकों को निवेशकों से पैसे लेकर खऱीदा गया था। अब इतनी सारी बाइकों को खरीदने के लिए करोड़ों रूपए की धनराशि की आवश्यकता पड़ी। तब कंपनी ने इसके लिए आम लोगों को इनमें निवेश करने के लिए कहा और बदले में अच्छा रिटर्न देने का आश्वासन दिया गया। लोगों को बताया गया कि यदि आप एक से ज्यादा बाइक का निवेश कंपनी में करते है तो आपको कंपनी हर महीने एक निश्चित रिटर्न देगी। कंपनी के प्लान के मुताबिक यदि आप कंपनी में 62,100 रूपए का निवेश करते है तो कंपनी आपको हर महीने रिटर्न में 9,756 रूपए वापस देगी। यानी साल भर में 1,17,180 रुपए का रिटर्न। कंपनी के ऐसे कई प्लान थे। अपने काम को और ज्यादा बढ़ाने के लिए कंपनी ने 2019 में इलेक्ट्रानिक बाइकों की सेवा शुरु की। इसके बाद निवेशकों को कहा गया कि आपको हर बाइक के लिए 1.24 लाख रूपए जमा करवाने होगे। हर निवेशक को हर महीने रिटर्न के तौर पर 17 हजार रूपए देने का वादा किया गया। जिन लोगों को पहले महीने निवेश के बाद अच्छा रिटर्न मिलने लगा तो इसे देख कर सैकड़ों लोगों ने कंपनी में निवेश करना शुरू कर दिया। कंपनी ने इस तरह से पैसा जुटाने के लिए देशभर में फ्रैंचाइजी बांट रखी थीं। लोगों को झांसा दिया कि वे 3, 5 या 7 बाइक की लागत का पैसा कंपनी में निवेश कर सकते हैं। बदले में अच्छा खासा रिटर्न मिलेगा। संजय भाटी ने अपनी कंपनी का ऑफिस जीटी रोड पर दादरी के चीती गांव में बना रखा था।

इसके कुछ समय बाद लोगों को रिटर्न मिलना बंद हो गया। लोगों ने कंपनी के ऑफिसों के बाहर हंगामा करना शुरू कर दिया। लोग शिकायतें लेकर पुलिस के पास पहुंचने लगे। फिर धीरे-धीरे मामले की परतें खुलने लगी, तो पता चला कि यह घोटाला 42 हजार करोड़ का है। इसके बाद कंपनी के डायरेक्टर सचिन भाटी को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि कंपनी ने दिल्ली सहित देश भर के हजारों लोगों से करीब 42 हजार करोड़ रुपए की ठगी की है। पोंजी स्कीम बाइक बोट के जरिये कंपनी ने बड़ी संख्या में लोगों को चूना लगाया। कंपनी के बैंक अकाउंट आईडीबीआई बैंक दिल्ली, आईसीआईसीआईसीआई बैंक मेरठ और नोबल को-ऑपरेटिव बैंक में था। इन्ही बैंक अकाउंट के माध्यम से निवेशकों से पैसा लिया गया था। इसके बाद आरबीआई ने कहा कि यह कंपनी उनके यहां रजिस्टर्ड नहीं है। ऐसे में कंपनी को जनता से पैसे लेने का अधिकार नहीं है। कंपनी के केवल 8000 हजार शिकायतकर्ता तो दिल्ली के है। उनसे ठगी गई राशि 250 करोड़ रूपये हैं। इसके अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान में इसके खिलाफ शिकायतें दर्ज हैं।

अब ईडी की टीम ने दिल्ली- एनसीआर सहित यूपी के कुल चार लोकेशन पर छापेमारी की है। ईडी की टीम ने मैसर्स F7 ब्रॉडकास्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक मनोज त्यागी के यहां पर छापेमारी की है। मनोज त्यागी के हापुड़ स्थित लोकेशन पर ये छापेमारी की गई है। मैसर्स साहा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक और प्रमोटर अनील कुमार साहा के घर भी ईडी की टीम ने छापा मारा। कंपनी का 16वां निदेशक सचिन भाटी ठगी के एक मामले में गौतमबुद्ध नगर की लुक्सर जेल में बंद है। दिल्ली पुलिस ने अदालत की अनुमति के बाद जेल से ही सचिन भाटी को गिरफ्तार कर लिया था। इससे पहले आर्थिक अपराध शाखा कंपनी के 15 निदेशकों को गिरफ्तार कर चुकी है। एक तरफ यहां कंपनी के निवेशकों ने लोगों को लालच दिया तो कहीं न कही निवेशक भी इसमें घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं। क्योंकि निवेशकों ने बिना कंपनी को जांचे-परखे उस पर अपना पैसा लगाया, और दोगुने पैसे के लालच में अपनी जमा पूंजी भी गवां दी।

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