केंद्र सरकार के लाख नकारने के बाद भी पैगासस जासूसी साॅफ्टवेयर का जिन्न उसका पीछा छोड़ने को राजी नहीं होता नजर आ रहा है। पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों के समय में एक बार फिर से यह जिन्न भाजपा और केंद्र सरकार के लिए बड़ी मुसीबत का कारण बन चुका है। गौरतलब है कि जुलाई, 2021 में अंतरराष्ट्रीय मीडिया के एक समूह ने यह पर्दाफाश किया था कि इजराइल की कंपनी एनएसओ गु्रप ने कई देशों को ऐसा स्पाई साफ्टवेयर बेचा है जिसका इस्तेमाल इन देशों की सरकारें अपने नागरिकों के खिलाफ जासूसी करने में कर रही हैं। इन देशों में भारत का नाम भी सामने आया था। किसी भी मोबाइल फोन में बड़ी आसानी से इस स्पाई साॅफ्टवेयर को डाल सभी प्रकार की जानकारी हासिल करने वाले इस जासूसी कांड ने तब खासा तहलका मचा डाला था। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर संसद के दो सत्रों में भारी हंगामा मचाया। विपक्ष की बार-बार मांग करने के बावजूद केंद्र सरकार इस मुद्दे पर संयुक्त संसदीय कमेटी बनाने के लिए राजी नहीं हुई।
‘वायर’ पत्रिका के मुताबिक भारत में इस स्पाई साॅफ्टवेयर के निशाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर, तत्कालीन चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और भाजपा सांसद अश्वनी वैष्णव शामिल थे। ‘वायर’ ने 40 पत्रकारों के भी इस जासूसी साॅफ्टवेयर के निशाने पर होने की बात अपनी रिपोर्ट में की थी। अश्विनी वैष्णव बाद में मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बना दिए गए। वैष्णव ने संसद में दिए बयान में इस प्रकार के किसी भी जासूसी कांड को सिरे से नकार दिया था। सरकार की हठधर्मिता के बाद सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की स्वतंत्र जांच कराए जाने को लेकर 12 जनहित याचिकाएं डाली गईं।
27, अक्टूबर को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण को बेहद गंभीर बताते हुए अपनी निगरानी में कराने का आदेश दे डाला। अब मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत न्यायाधीश आर ़वी ़ रविन्द्रन कर रहे हैं। अभी यह मामला ठंडा पड़ा भी न था कि प्रसिद्ध अमेरिकी अखबार ‘दि न्यूयाॅर्क टाइम्स’ ने 28 जनवरी के दिन यह सनसनीखेज दावा कर डाला है कि जुलाई 2017 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजराइल दौरे के बाद हुए रक्षा सौदे का एक भाग यह स्पाई साफ्टवेयर भी था। गौरतलब है कि भारत ने इजराइल संग 2 बिलियन अमेरिकी डालर का भारी भरकम रक्षा सौदा किया है। ‘दि न्यूयाॅर्क टाइम्स’ के अनुसार भारत के अलावा मैक्सिको, पोलैंड, सऊदी अरब और हंगरी की सरकारों ने इस जासूसी साॅफ्टवेयर को एनएसओ से खरीदा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पैगासस और राफेल आने वाले लंबे अर्से तक भाजपा के लिए मुसीबत का कारण बने रहेंगे। केंद्र सरकार पैगासस की भांति ही राफेल लड़ाकू विमान सौदे में किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की बात नकारती रही है। कुछ अर्सा पहले ही राफेल प्रकरण में भारतीय बिचैलियों को भारी भरकम रकम दिए जाने का खुलासा फ्रांस के एक अखबार में किया गया है। पांच राज्यों में चल रहे चुनावों के दौरान पैगासस का जिन्न बाहर आने के साथ ही भाजपा पर विपक्ष आक्रमक हो चला है। ‘दि न्यूयाॅर्क टाइम्स’ की खबर पर अभी तक केंद्र सरकार ने कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है लेकिन अपने बड़बोलेपन के लिए कुख्यात सड़क यातायात एवं नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जनरल (रि) वीके सिंह ने ‘दि न्यूयाॅर्क टाइम्स’ को सुपारी मीडिया कह मामले को और बिगाड़ने का काम कर डाला है। इससे पहले 2015 में भी जनरल सिंह ने मीडिया के लिए अपमानजनक टिप्पणी कर भाजपा को बैकफुट पर ला खड़ किया था। अब यदि सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति भी इस प्रकरण पर केंद्र सरकार के प्रतिकूल रिपोर्ट देती है तो भाजपा और केंद्र सरकार के लिए जनता को जवाब देना भारी पड़ जाएगा।