पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बीच पेगासस का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है। पेगासस जिन्न ने केंद्र की मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। साथ ही इसका खामियाजा चुनावी राज्यों में भाजपा को उठाना पड़ सकता है । इस बार यह खुलासा अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में किया है। इसमें कहा गया है कि मोदी सरकार ने पांच साल पहले इजराइल से दो अरब डॉलर यानी करीब 15 हजार करोड़ रुपए का रक्षा सौदा किया था। उसी में पेगासस सॉफ्टवेयर की खरीद भी शामिल थी। इस रक्षा डील में भारत ने कुछ हथियारों के साथ एक मिसाइल सिस्टम भी खरीदा था।
भारत में कैसे आया पेगासस सॉफ्टवेयर
अखबार का दावा है कि जुलाई 2017 में जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजराइल पहुंचे थे, तब उनका संदेश साफ था कि भारत अब अपने फिलिस्तीन के लिए प्रतिबद्धता के पुराने रुख में बदलाव कर रहा है। इसका नतीजा यह हुआ कि पीएम मोदी और इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच काफी करीबी देखी गई। भारत ने इजराइल से आधुनिक हथियार और जासूसी सॉफ्टवेयर खरीदने का सौदा कर लिया। यह पूरा समझौता करीब 15 हजार करोड़ रुपये का था। इसके केंद्र में एक मिसाइल सिस्टम और पेगासस ही था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके कुछ समय बाद ही नेतन्याहू भी भारत के दौरे पर गए थे, जो कि वर्षों में किसी इजराइली पीएम के लिए वह भारत का पहला दौरा था। इसके बाद जून 2019 में यूएन के आर्थिक और सामाजिक परिषद में भारत ने इजरायल के समर्थन में वोट करते हुए फलस्तीन को मानवाधिकार संगठन में ऑब्जर्वर का दर्जा देने के खिलाफ कदम उठाया। यह पहली बार था जब भारत ने इजरायल और फिलिस्तीन के बीच किसी एक देश को प्राथमिकता दी थी।
जुलाई 2021 में हुआ था पेगासस को लेकर खुलासा
अब तक न तो भारत और न ही इजराइल ने इसकी पुष्टि की है कि दोनों देशों के बीच पेगासस का सौदा हुआ है। हालांकि जुलाई 2021 में मीडिया समूहों के एक कंसोर्शियम ने खुलासा किया था कि यह सॉफ्टवेयर दुनियाभर के कई देशों में पत्रकारों-व्यापारियों की जासूसी के लिए इस्तेमाल हो रहा है। भारत में भी इसके जरिए कई नेताओं और बड़े नामों की जासूसी की बात कही गई थी। इसके बाद पिछले साल संसद के मानसून सत्र में विपक्षी दलों इसका विरोध किया था।
राहुल गांधी भी कर चुके हैं हमला
पिछले साल ऐसी खबरें आई थी कि इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप की पेगासस स्पाइवेयर की मदद से दुनियाभर के कई देशों में सरकार के खिलाफ काम करने वाले लोगों की जासूसी की गई थी। पिछले साल एमनेस्टी की सिक्योरिटी लैब ने कई देशों के कई मीडिया समूहों के साथ मिलकर पेगासस के शिकार हुए लोगों की लिस्ट जारी की थी जिसमें बताया गया था कि पेगासस ने व्हाट्सएप और एंड्रॉइड में अज्ञात खामियों का फायदा उठाते हुए लोगों की जासूसी की थी।
भारत में पेगासस को लेकर काफी विवाद भी हुआ था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर को एक जांच कमेटी भी बनाई हैं, पिछले साल कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी दावा किया था कि उनका फोन टैप किया गया था। ये मेरी प्राइवेसी का मामला नहीं है। मैं जनता की आवाज उठाता हूं, मोदी ने इस हथियार को हमारे देश के खिलाफ इस्तेमाल किया है।
क्या है पेगासस
पेगासस एक निगरानी स्पाइवेयर है. इसको इजरायल की कंपनी एनएसओ ने तैयार किया है। दावा है कि इसको अधिकृत सरकारी एजेंसियों को बेचा गया था। इस स्पाइवेयर की मदद से स्मार्ट फोन के जरिए जासूसी हो सकती है।
क्या है पेगासस जासूसी का मामला
पेगासस स्पाइवेयर के जरिए विपक्ष ने मोदी सरकार पर जासूसी के आरोप लगाए थे। दावा था कि इस स्पाइवेयर की मदद से 300 से ज्यादा भारतीय नंबरों की जासूसी की है। इसमें पत्रकार और नेताओं की निगरानी करना भी शामिल हैं। मोदी सरकार पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कुछ मंत्रियों और जजों समेत कई वरिष्ठ लोगों की कथित जासूसी का आरोप लगा था, बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा ।